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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली परेशान होंगे. उनकी टीम इस सीजन के पहले दोनों मैच हार गई है. पहले मैच में चेन्नई सुपरकिंग्स ने 7 विकेट से हराया. दूसरे मैच में मुंबई इंडियंस ने 6 रन से हरा दिया. दूसरे मैच में आखिरी गेंद पर नो बॉल ना दिए जाने के अंपायर के फैसले से विराट कोहली की नाराजगी भी करोड़ों क्रिकेट फैंस ने देखी. उस नाराजगी में झुंझलाहट भी थी. अब रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का अगला मुकाबला रविवार को सनराइजर्स हैदराबाद से है.
सनराइजर्स हैदराबाद पहले मैच में हार के बाद दूसरा मैच जीत चुकी है. उसका प्रदर्शन पटरी पर आ गया है. 199 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने राजस्थान रॉयल्स को 19वें ओवर में ही हरा दिया. इस जीत में जिस एक खिलाड़ी का प्रदर्शन सबसे ज्यादा असरदार रहा वो हैं डेविड वॉर्नर. यही बात विराट कोहली को परेशान कर रही है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गेंद के साथ छेड़छाड़ के मामले के बाद डेविड वॉर्नर पर प्रतिबंध लगाया गया था. उस प्रतिबंध के बाद डेविड वॉर्नर ने आईपीएल से ही मैदान में वापसी की है. उनकी वापसी विस्फोटक रही है. अब तक खेले गए दोनों मैचों में उन्होंने धुंआधार बल्लेबाजी की है. आपको ये आंकड़े दिखाते हैं.
विराट कोहली पहले से ही अपने गेंदबाजों के प्रदर्शन से जूझ रहे हैं. ‘डेथ ओवरों’ में उनके गेंदबाजों ने लगातार रन लुटाए हैं. मुंबई इंडियंस के खिलाफ पिछले मैच में भी हार्दिक पांड्या ने आखिरी ओवरों में आरसीबी के गेंदबाजों की धुनाई की. उन्होंने सिर्फ 14 गेंदों पर 32 रन बनाकर मुंबई का स्कोर 187 रन तक पहुंचा दिया. जिस पर बीच के ओवरों में यजुवेंद्र चहल ने कुछ रोक लगा दी थी. अब परेशानी ये है कि डेथ ओवर के साथ-साथ शुरुआती ओवरों में डेविड वॉर्नर का सामना करना होगा. जो आईपीएल इतिहास के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में से एक हैं. पहले उनके इस सीजन के रिकॉर्डस देखिए.
इस दमदार प्रदर्शन के अलावा आपको ये भी याद दिला दें कि 2016 में डेविड वॉर्नर की कप्तानी में ही सनराइजर्स हैदराबाद ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को हराकर आईपीएल का खिताब जीता था. उस फाइनल मैच में भी डेविड वॉर्नर ने 38 गेंद पर 69 रनों की धुंआधार पारी खेली थी. विराट की कप्तानी में वो पहला और आखिरी मौका था जब रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था. जिस पर डेविड वॉर्नर ने पानी फेर दिया था. अब रविवार को जब विराट कोहली मैदान में उतरेंगे तो उन्हें खिताब से पहले उस मैच की फिक्र सता रही होगी क्योंकि अगर एक मैच और हाथ से निकल गया तो हार की हैट्रिक हो जाएगी. हार की हैट्रिक का सीधा मतलब है कि प्लेऑफ का रास्ता बहुत कठिन हो जाएगा.
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