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मोबाइल पर खेले जाने वाले PUBG गेमे ने बड़ी तादाद में भारतीय बच्चों को अपनी लत में जकड़ लिया है. जालंधर के एक 15 साल के बच्चे ने PUBG स्किन्स और गेमिंग एसेसरीज खरीदने के लिए अपने पिता के अकाउंट से 50 हजार रुपये निकाल लिए. बच्चे ने PUBG मोबाइल स्किन्स के साथ ही मोबाइल के लिए गेमिंग पेड खरीदने के लिए पिता के अकाउंट से पैसे चुराए थे.
जालंधर में रहने वाले बाइक मैकेनिक पिता ने जब पुलिस ने रिपोर्ट लिखाई तब उसे बेटे की कारस्तानी के बारे में पता चला. उसने रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था उसे कोई OTP नहीं मिला और न ही बैंक से किसी ट्रांजेक्शन का मैसेज मिला. लेकिन अकाउंट से पैसे कट गए. जब साइबर सेल ने छानबीन शुरू की तो इस ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ. पता चला कि पैसा उसके अकाउंट से एक पेटीएम अकाउंट में ट्रांसफर हुआ है और इसका इस्तेमाल PUBG आइटम खरीदने में हुआ है.
जांच से पता चला कि इसके बीच बाइक मैकेनिक के 15 साल के बेटे का हाथ है, जिसने पैसा अपने एक दोस्त के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है. बेटे ने पिता के फोन से OTP मैसेज भी डिलीट कर दिया था. पुलिस का सामने बेटे ने चोरी कबूल कर ली. इसके बाद पिता ने शिकायत वापस ले ली.
बता दें कि PUBG मोबाइल स्किन और दूसरे आइटम सिर्फ गूगल प्लेस्टोर या दूसरे एप स्टोर से ही खरीदे जा सकते हैं. साइबर फ्रॉड की छानबीन करने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है बच्चों को मोबाइल देते समय सावधानी बरतनी चाहिए. पेटीएम जैसे फाइनेंशियल और बैंकिंग एप को पासवर्ड या पिन के जरिये सुरक्षित रखना चाहिए.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन भी इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीजेज या आईसीडी में ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ को एक नई बीमारी के तौर पर शामिल कर चुका है. आईसीडी डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित किया जाने वाले मैनुअल है, जो पिछली बार 1990 में अपडेट किया गया था. ताजा एडिशन आईसीडी-11 में गेमिंग डिसऑर्डर को गंभीर बीमारी बताया गया, जिस पर नजर रखने की जरूरत है. PUBG की लत ऐसे ही गेमिंग डिसऑर्डर में शामिल है.
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