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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बिक्री में इसलिए कमी आई है, क्योंकि मिलेनियल कार खरीदने की बजाय ओला और उबर जैसी कैब सर्विस लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
सीतारमण के इस बयान के बाद से ही एक बहस शुरू हो गई है. इसे लेकर कुछ कैल्कुलेशन भी किए गए कि क्या जेब के लिए ज्यादा किफायती है? मारुति सुजुकी की वैगेन-आर खरीदना, या फिर ओला-उबर लेना?
इसे लेकर हमने कुछ कैल्कुलेशन की और जानना चाहा कि युवाओं को कौन सा ऑप्शन ज्यादा सस्ता पड़ रहा है, लेकिन उससे पहले कैल्कुलेशन के कुछ प्वाइंटस:
इस कैल्कुलेशन को बढ़ती तेल कीमतों और इंश्योरेंस रेट को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है. कैल्कुलेशन का आधार रोजाना 25 किलोमीटर का ट्रैवल है. माना गया है कि पेट्रोल की कीमत 72 रुपये प्रति लीटर है, हालांकि ये कुछ समय में बदल सकती है.
कैल्कुलेशन में ये भी माना गया है कि कार ऩई खरीदी गई है. अगर आप इसमें कार लोन को भी शामिल करेंगे, तो इंट्रेस्ट पेमेंट कार की कुल ओनरशिप को करीब 1.5 लाख तक बढ़ा देगी.
इस कैल्कुलेशन को आसान रखने के लिए इसमें पार्किंग चार्ज, टोल चार्ज और बाकी चार्ज को भी शामिल नहीं किया गया है.
दिल्ली में 25 किमी की दूरी का औसतन किराया, उबर गो (उबर की मिनी कैब) के मुताबिक 341 रुपये से 447 रुपये के बीच पड़ता है. इसलिए कैल्कुलेशन को आसान करने के लिए, इसका राउंड ऑफ 390 रुपये (बेस किराया जोड़कर) मान लिया गया है. अगर किराया इसी तरह रहा, तो आपका महीने का खर्चा 11,622 रुपये आएगा.
इसके साथ ही, कैब के अपने फायदे हैं, पार्किंग और मेंटेनेंस के बारे में नहीं सोचना पड़ता. इकलौती असुविधा शायद कैब का इंतजार करना और कारों की क्वालिटी होती है.
अगर आप ऑफिस जाने-आने के लिए रोज कैब का इस्तेमाल करते हैं, तो पांच साल में आप 6,97,320 रुपये खर्च करेंगे.
इस स्टोरी में माना गया है कि आपने गाड़ी सीधे अपनी सेविंग्स से खरीदी है, इसलिए इसमें इंट्रेस्ट पेमेंट नहीं जोड़ी गई है. वैगेन-R VXi की ऑन-रोड कीमत 5.46 लाख रुपये है.
चलिए ये मान लेते हैं कि आप गाड़ी का इस्तेमाल सिर्फ ऑफिस आने-जाने के लिए करते हैं, जो शहरों में 12 किमी प्रति लीटर का एवरेज देती है. ऐसे में आपका अपनी कार पर खर्चा 7.70 लाख रुपये होगा.
क्या ये ज्यादा खर्चीला हुआ? नहीं! बात अभी बाकी है.
हमने इसमें इंश्योरेंस और मेंटेनेंस कॉस्ट शामिल नहीं की हैं. और लोन पेमेंट (अगर है तो) भी. उन सभी को शामिल कर के जोड़ेंगे तो पाएंगे की ऑफिस आने-जाने का आपका खर्चा और बढ़ गया है.
हालांकि, इसमें एक ध्यान देने वाली बात है. कार एक डेप्रिशिएटिंग ऐसेट है, यानी ऐसी संपत्ति जिसकी कीमत गिरती चली जाएगी, लेकिन फिर भी इसे बेचकर आपको कुछ पैसा मिल सकता है.
अगर आप पांच साल बाद अपनी कार बेचते हैं, तो टोटल कॉस्ट कैब से कम पड़ती है. हालांकि, ये सिर्फ वैगन-R जैसी छोटी कारों के लिए है, जिनकी कीमत 5.50 लाख से 6 लाख रुपये के बीच में है.
कार को खरीदने के अपने फायदे और नुकसान हैं. अगर आप ड्राइवर रखते हैं, तो उसकी 15,000 रुपये (करीब) भी जोड़ लीजिए. और फिर उसपर पार्किंग चार्ज, टोल चार्ज और जनरल मेंटेनेंस.
लेकिन फिर, अपनी कार की अलग ही खुशी होती है. आप उसे जिस तरह से चाहें रख सकते हैं, अपनी पसंद का गाना सुन सकते हैं, जब मन चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं.
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