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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (The Competition Commission of India- CCI) ने देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (MSIL) पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों के लिए 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. आरोप यह है कि MSIL ने डीलरों को कारों पर छूट देने के लिए मजबूर किया है.
मारुति ने जांच के दौरान CCI से कहा कि, उसने ऐसी कोई नीति नहीं लागू की है और डीलर अपने ग्राहकों को कोई भी छूट देने के लिए स्वतंत्र हैं. बता दें कि भारत के कार बाजार में मारुति की 50 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है.
कार निर्माता कभी-कभी अपने डीलरों के बीच दाम तय करने के कंपटीशन को रोकने के लिए छूट की एक सीमा तय कर देते हैं. लेकिन भारतीय कानून कहता है कि अगर यह प्रतिस्पर्धा पर उल्टा प्रभाव डालती है तो "रीसेल प्राइस मेंटेनेंस" ने नाम से वर्णित इस नीति को प्रतिबंधित कर दिया जाता है.
गौरतलब है कि CCI ने 2019 में मारुति पर लगे आरोपों की जांच शुरू की थी. जांच का विषय यह था कि क्या मारुति अपने डीलरों को उनके द्वारा दी जाने वाली छूट को सीमित करने के लिए मजबूर करती है, जोकि निश्चित रूप से डीलरों के बीच प्रतिस्पर्धा को कम करती है.
दरअसल इससे उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचता है, क्योंकि जब डीलर डिस्काउंट देने के लिए आपस में कंपीट करते हैं, तो इसका सीधा फायदा ग्राहकों को होता है.
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