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ऐसी खबरें हैं कि भारत की सरकारी एजेंसियां क्लबहाउस (Clubhouse) ऐप के लाइव वॉइस चैट रूम्स (clubhouse chat rooms) पर जासूसी कर रही हैं. सूत्रों ने द हिंदू को बताया है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो, RAW, NIA, ED समेत कई टॉप केंद्रीय एजेंसियां क्लबहाउस रूम्स को ट्रैक कर रही हैं.
केंद्रीय एजेंसियां ऐप के चैट रूम्स से जानकारी निकालने की कोशिश कर रही हैं. मतलब कि क्लबहाउस अब इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का शिकार बन रहा है.
हालांकि, ये क्लबहाउस की टर्म्स ऑफ सर्विस का सीधा उल्लंघन है. ऐप की टर्म्स और कंडीशन ये कहती हैं:
आईटी कानून 2000 के सब-सेक्शन (1) सेक्शन 69 और आईटी नियम 2009 के तहत इन सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों को पावर मिली हुई है. लेकिन ये बात ध्यान रखनी जरूरी है कि क्लबहाउस ने अभी आईटी नियमों को मंजूर नहीं किया है.
कंपनी ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि वो 'अभी देख रही है कि ये नियम उस पर कैसे लागू होंगे और वो इस दिशा में काम कर रही है.'
लेकिन ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में कहीं भी साफ तौर से नहीं लिखा है कि लाइव चैट रूम्स को ये एजेंसियां मॉनिटर कर सकती हैं.
क्लबहाउस रूम पर क्विंट और कुछ चुनिंदा मीडिया आउटलेट के साथ बातचीत में पॉल डेविसन ने कहा कि कंपनी रूम की ऑडियो का एक अस्थायी एन्क्रिप्टेड बफर रिकॉर्डिंग रखती है, जिसका इकलौता मकसद जांच के लिए इस्तेमाल होना है. हालांकि, ये रिकॉर्डिंग कुछ ही समय में डिलीट कर दी जाती है अगर कोई उस रूम को रिपोर्ट नहीं करता है.
डेविसन ने कहा कि कंपनी ने विश्वास और सुरक्षा के लिए तीन-टियर एप्रोच लागू की है, जो लोग, पॉलिसी और प्रोडक्ट का ध्यान रखती है.
डेविसन ने कहा, "हमने सुनिश्चित किया है कि ये एक रियल आइडेंटिटी सर्विस है. ऑथोराइजेशन के लिए फोन नंबर की जरूरत होती है, जिसे फेक करना मुश्किल है. ये एक वॉइस नेटवर्क है, जिसे फेक करना और मुश्किल है."
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