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चीन की कंपनी हुवावेई को भारत सरकार की तरफ से 5G के ट्रायल में हिस्सा लेने की इजाजत मिल गई है. अमेरिका और चीन में जारी ट्रेड वॉर के बीच इस फैसले को राजनयिक और कूटनीतिक नजर से भी देखा जा रहा है. ये पहली बार है जब भारत ने यूएस-चीन टैरिफ वॉर में फंसे होने के बाद कोई आधिकारिक स्टैंड लिया है.
टेलीकॉम मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने 30 दिसंबर को मीडिया से बातचीत में कहा कि 5G स्पेक्ट्रम के ट्रायल सभी ऑपरेटर और वेंडर के साथ किए जाएंगे. प्रसाद ने कहा,
जब प्रसाद से हुवावेई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी वेंडर ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित हैं.
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, हुवावेई ने भारत के इस कदम का स्वागत किया है. कंपनी के इंडिया हेड जे चेन ने कहा,
हुवावेई को 5G स्पेक्ट्रम ट्रायल का न्योता मिलने को मोबाइल फोन कंपनियां चाइनीज वेंडर्स के साथ काम करने के ग्रीन सिग्नल की तरह देख रही हैं. लेकिन रवि शंकर प्रसाद ने साफ किया है कि हुवावेई को 5G स्पेक्ट्रम सिर्फ ट्रायल्स के लिए मिला है.
अमेरिका भारत समेत अपने साथी देशों पर हुवावेई को 5G स्पेक्ट्रम डिप्लॉयमेंट से दूर रखने के लिए दबाव बना रहा है. अमेरिका इसके पीछे वो सुरक्षा संबंधी दलीलें दे रहा है और साथ ही चीन की सरकार से कंपनी की नजदीकी को भी कारण बता रहा है. अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि जो देश हुवावे के इक्विपमेंट लगाएंगे उनके साथ अमेरिकी सहयोग मुश्किल हो जाएगा.
वहीं, हुवावेई को स्पेक्ट्रम से दूर करने को लेकर चीन भारत को आर्थिक मोर्चे पर परिणाम भुगतने की धमकी दे चुका है.
केंद्र की बीजेपी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीबी स्वदेशी जागरण मंच ने हुवावेई को 5G ट्रायल का न्योता मिलने का विरोध किया है. मंच के राष्ट्रीय को-कन्वेनर अश्वनी महाजन ने इसके संबंध में पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है. महाजन ने लिखा, "ये लेटर चाइनीज टेलीकॉम कंपनी हुवावेई को 5G ट्रायल का न्योता मिलने पर हमें हुई निराशा जताने के लिए लिखा गया है."
महाजन ने 31 दिसंबर को लिखे इस पत्र में लिखा है कि हुवावेई को इजाजत देना भारतीय वायरलेस ऑपरेटरों के लिए ठीक नहीं है. महाजन ने लिखा, "भारतीय टेलीकॉम नेटवर्क में चाइनीज कंपनियों की मौजूदगी देश की सुरक्षा के साथ समझौता करना होगा." मंच ने कहा है कि चीन किसी बाहरी कंपनी को अपने मार्केट में एंट्री नहीं देता है.
मंच ने पीएम मोदी से हुवावेई समेत कई चाइनीज कंपनियों को भारतीय बाजार में कारोबार करने से रोकने की गुजारिश की है.
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