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एक दस्तूर है, नई चीजों के आने से पुरानी चीजों को खत्म होना पड़ता है. ये दस्तूर तकनीकों और मशीनों के लिए भी बिल्कुल सटीक बैठती है. पिछले कुछ सालों में, हमने कैसेट प्लेयर, वीसीआर और सीआरटी टेलीविजन जैसी तकनीकों को गुड बाय कह दिया है. इसी तरह जो तकनीक आज हम इस्तेमाल कर रहे हैं, आने वाले सालों में यह हमारे बीच से आसानी से गायब हो सकता है. हमने ऐसी ही कुछ तकनीकों/डिवाइस की लिस्ट बनाई है, जिसे हम आने वाले 5 सालों में गुड बाय कह सकते हैं.
वायर ऑडियो एक्सेसरीज खत्म होने को हैं. पहले से ही वायरलेस तकनीक मार्केट में आ चुकी है और काफी पॉपुलर है. जरा सोचिए, कंपनियां 3.5mm हेडफोन जैक को धीरे-धीरे खत्म कर रही है, तो फिर आप ऐसे हेडफोन क्यों खरीदेंगे, जिसमें वायर हो.
वैसे वायर हेडफोन हाई-क्वालिटी ऑडियो देता है और ब्लूटुथ अब भी इसके बराबरी नहीं कर पाया है. लेकिन अगले दो सालों में चीजें बदल सकती हैं.
आज आप कहते हैं कि, 'एलेक्सा, लाइट ऑन करो' और आपके कमरे की बत्ती जल जाती है. इसका मतलब है कि अब चीजों को ऑपरेट करने के लिए आपको बटन और स्विच की जरूरत नहीं रह गई है.
आज बाजार में स्मार्ट स्विचेज मौजूद हैं जिसे आप अपने इलेक्ट्रिकल सामानों से कनेक्ट कर सकते हैं और उसे गूगल होम या एमेजॉन के एलेक्सा से कंट्रोल कर सकते हैं.
इसी तरीके से, जल्द ही रिमोट कंट्रोल की जरूरत भी जल्द ही खत्म हो जाएगी. कई सारे घरेलू सामान अधिक स्मार्ट हो रहे हैं और साथ ही स्मार्ट डिवाइस सपोर्ट भी उपलब्ध हैं, ऐसे में किसी को रिमोट कंट्रोल की जरूरत क्यों पड़ेगी.
अगले दो सालों में हमारे पास गेमिंग कंसोल्स भी मार्केट से बाहर हो सकते हैं. सिर्फ इसलिए क्योंकि अब इससे अच्छे ऑप्शन मौजूद हैं. क्लाउड गेमिंग के आने के बाद, आपको घर में बड़े बॉक्स को रखने की कोई जरूरत नहीं होगी.
साथ ही, गूगल की स्टेडिया और माइक्रोसॉफ्ट के प्रोजेक्ट एक्स क्लाउड जैसी क्लाउड गेमिंग सर्विस के साथ आप किसी भी डिवाइस पर हाई-डेफिनेशन गेम्स खेल सकते हैं. सिर्फ इसके लिए आपको अच्छे इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होगी.
31 साल बीत चुके हैं जब पहला डिजिटल कैमरा आया था और फिर धीरे-धीरे ये डिजिकैम के रूप में तब्दील हुए. एक दशक पहले डिजिकैम का जलवा था, लेकिन स्मार्टफोन में हाई रिजॉल्युशन कैमरे आने के बाद इसकी लोकप्रियता घटती चली गई.
इन्फ्रारेड तकनीकों और बायोमेट्रिक्स ने न सिर्फ आपके स्मार्ट डिवाइस को अधिक सुरक्षित बनाया है बल्कि इसने हमारे घर और कार के दरवाजों और यहां तक कि तालों को खोलने भी तरीका बदल दिया है.
मेरा मानना है कि सामान्य बल्ब और ट्यूब लाइट अब आउटडेटेड हो गई है और ये भी अगले 5 सालों में पूरी तरह से बेकार पड़ जाएंगे. ऐसा नहीं है कि LEDs सिर्फ क्रिसमस की सजावट और त्योहारों की लाइटिंग के लिए अच्छी है. जब से LEDs आया है, तब से यह हर जगह लाइटिंग का प्राइमरी सोर्स बन गया है क्योंकि यह टिकाऊ और किफायती भी है.
भारत में 2G यूजर्स की संख्या तेजी से घट रही है और जल्द ही खत्म भी हो सकती है. भारत में 2जी यूजर्स की संख्या 2017 में 70 फीसदी थी, जो 2018 में घटकर 58 फीसदी पर पहुंच गई और अनुमान के मुताबिक 2021 तक यह पूरी तरह खत्म हो सकती है. टेलीकॉम कंपनिया भी 2जी सपोर्ट धीरे-धीरे खत्म कर रही हैं और अब कोई स्मार्टफोन भी 2जी डिवाइस ऑफर नहीं कर रहे हैं. यानी अब इस तकनीक को गुड बाय कहने का समय आ गया है.
क्लाउड स्टोरेज पर निर्भर होने के बाद पेन ड्राइव और एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव भी अब धीरे-धीरे महत्वहीन होते जा रहे हैं. क्या आप नहीं चाहेंगे कि किसी भी जगह किसी भी डिवाइस पर अपने डेटा को को एक्सेस कर पाएं? हाई-स्पीड इंटरनेट के बढ़ने के साथ डेटा का तुरंत एक्सेस आसान हो गया है, जिसके कारण अब इस तरह के फिजिकल डिवाइस भी आउटडेटेड हो जाएंगे.
आखिरी बार आपने डीवीडी या सीडी कब खरीदा था? मैं अब भी PS4 गेम्स खरीदता हूं लेकिन अब ये भी ऑनलाइन और सस्ते बेचे जा रहे हैं. आप अपने गेमिंग कंसोल में इसे सीधे डाउनलोड कर सकते हैं.
डिजिटल कंटेट की हर एक चीज जिसे DVDs पर रखी जाती थी, उसे क्लाउड पर आसानी से स्टोर किया जा सकता है. जिसके कारण कॉम्पैक्ट डिस्क की लाइफ खत्म हो चुकी है.
पहला केवल टीवी सिस्टम अमेरिका में 1948 में आया था. डिजिटल टीवी और सैटेलाइड डिश के जमाने में, केबल टीवी का बने रहना मुश्किल हो गया है. सैटेलाइट बेस्ड टेलीविजन अब देश के सुदूर इलाकों में भी पहुंच चुका है, इसलिए केबल टीवी का जाना पक्का हो गया है.
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