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भारतीय मोबाइल यूजर कई साल से दुनियाभर में सबसे सस्ते मोबाइल डेटा रेट का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन ये तस्वीर जल्द ही बदल सकती है. इस समय देश में मोबाइल यूजर 4G डेटा को 3.5 रुपये प्रति GB के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. अब टेलीकॉम ऑपरेटर इस मिनिमम रेट या फ्लोर रेट को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
अगर टेलीकॉम कंपनियों की बात मांग ली गई, तो मोबाइल इंटरनेट के दाम 5 से 10 गुना बढ़ जाएंगे. कर्ज में डूबी वोडाफोन-आईडिया ने डेटा के न्यूनतम मूल्य को 35 रुपये प्रति GB करने का प्रस्ताव दिया है. वहीं, एयरटेल इस मूल्य को 30 रुपये प्रति GB और रिलायंस जियो ने इसे 20 रुपये प्रति GB करने की मांग की है.
NITI आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मोबाइल कॉल और डेटा के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने का समर्थन किया है. कांत ने कहा है कि कर्ज में डूबे टेलीकॉम सेक्टर के लिए और कोई विकल्प नहीं है. कांत के ये बयान तब आया, जब NITI आयोग ने इस मामले पर TRAI को आधिकारिक जवाब में हिचकिचाहट दिखाई थी.
इस समय टेलीकॉम कंपनियां डेटा रेट तय करने के लिए आजाद हैं, लेकिन कम्पटीशन की वजह से इन कंपनियों ने रेगुलेटरी अथॉरिटी को हस्तक्षेप करने को कहा है.
फिलहाल सबसे सस्ता डेटा यानी कि 3.5 रुपये प्रति GB, 599 रुपये के प्लान में दिया जा रहा है. ये 84 दिन की वैलिडिटी का प्लान यूजर को हर दिन 2GB डटा 4G स्पीड पर मुहैया कराता है. अगर टेलीकॉम कंपनियों की मांग मान कर डेटा 20-35 रुपये प्रति GB किया जाता है, तो यही प्लान 3,360-5,880 तक पहुंच जाएगा.
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) इस मामले में सभी पक्षों से बातचीत कर रही है. हालांकि, कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने न्यूनतम मूल्य तय करने को एक पीछे जाने वाला कदम बताया है. CCI का कहना है कि ऐसा करने से बाजार में कम्पटीशन पर बुरा असर पड़ेगा.
इसके अलावा अमिताभ कांत ने जहां न्यूनतम मूल्य का समर्थन किया है, वहीं उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा करना दिक्कत का हल नहीं है.
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