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फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने सोशल मीडिया इंटरमीडिअरीज के लिए सरकार के नए नियमों के पहलू को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. यह पहलू इन्फॉर्मेशन के 'पहले ऑरिजिनेटर की पहचान' से जुड़ा है.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 25 मई को दाखिल की गई याचिका में वॉट्सऐप ने 2017 के जस्टिस केएस पुट्टस्वामी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला यह दलील देने के लिए किया है कि ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान असंवैधानिक और लोगों के निजता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में रेखांकित किया गया है. कंपनी ने ट्रेसेबिलिटी को असंवैधानिक घोषित करने और इसे लागू होने से रोकने की अपील की है.
सरकार ने 25 फरवरी को सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नए नियमों का ऐलान किया था. इसके तहत कंपनियों को किसी भी सामग्री पर प्राधिकरण की ओर से चिंता जताए जाने पर उसे 36 घंटे में हटाना होगा. साथ ही एक मजबूत शिकायत निपटान प्रणाली स्थापित करनी होगी. शिकायत निपटान अधिकारी देश में ही बैठेगा.
प्रमुख सोशल मीडिया मंचों को नए नियमों को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था. इस श्रेणी में वे प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जिनके रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या 50 लाख से ज्यादा है.
प्रवक्ता ने कहा कि फेसबुक इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि लोग उसके प्लेटफॉर्म के जरिए मुक्त और सुरक्षित तरीके से अपने विचार व्यक्त कर सकें.
प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से अवैध सामग्री से निपटने और ऑपरेशन वाली जगहों पर स्थानीय नियमों का पालन करने के लिए कदम उठाए हैं, इसके तहत उत्पाद में अहम बदलाव के साथ संसाधनों और कर्मियों में लगातार निवेश किए गए हैं. उसने बताया कि गूगल अपनी नीतियों को विकसित करना जारी रखेगा.
(PTI के इनपुट्स समेत)
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