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भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO चांद पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लैंडिंग की सफलता के बेहद करीब पहुंच चुका है. भारत एक बार फिर से इतिहास रचने जा रहा है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम शाम 6.04 बजे प्रज्ञान (रोवर) के साथ लैंडिंग करेगा. विक्रम भी इस बार लैंडिंग की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया गया है. भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया इस मिशन की तरफ आंखें गड़ाए देख रही है. इस बार पूरी उम्मीद है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सफल लैंड करेगा. चंद्रयान-3 का लैंडर शाम करीब 6:25 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा, इसका लाइव प्रसारण 5.20 से शुरू हो जाएगा.
चंद्रयान-3 के चांद पर लैंडिग करने से पहले आखिरी के 15 मिनट बेहद ही अहम होने वाले हैं. भारत अगर ऐसा करने में कामयाबी हासिल कर लेता है, तो यह ऐसी कामयाबी हासिल करने वाले कुछ देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा.
ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने TOI से बात करते हुए बताया कि...
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद का विज्ञान और चुनौतियां लैंडिंग जितनी महत्वपूर्ण होगी, ISRO ने उतना ही विज्ञान पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जो लैंडर और रोवर पर लगाए गए उपकरण काम करेंगे.
ISRO के एक सीनियर वैज्ञानिक ने TOI से बात करते हुए कहा कि...
चांद की धूल सूक्ष्म एवं कठोर होती है और यह सतह पर चिपक जाती है, जिससे डिप्लॉयमेंट मैकेनिज्म, सोलर पैनल के परफॉर्मेंस जैसी चीजों में समस्या होती है. विक्रम के लिए चांद की धूल का मैनेजमेंट करना बेहद अहम होगा. एक बार जब यह हो जाता है, तो चांद का अत्यधिक तापमान और निर्वात आ जाता है.
एक चंद्र दिन या रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. इसके नतीजे में सतह के तापमान में ज्यादा से ज्यादा बदलाव देखा जाता है, जबकि सतह का दबाव एक कठोर वैक्यूम है, जो इसे लैंडर और रोवर के लिए प्रतिकूल वातावरण बनाता है.
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