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आपको हमेशा किसी से भी अपना ओटीपी (OTP), बैंक डिटेल शेयर नहीं करने को कहा जाता है ताकि आप ऑनलाइन ठगी (Cyber Crime) से बच सकें. लेकिन सिम स्वैप स्कैम (SIM Swap Scam) इससे एक कदम आगे का फर्जीवाड़ा है. ठग आपसे बिना ओटीपी मांगे ही आपका बैंक खाता काली कर सकता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठग आपकी सिम स्वैप कर लेता है. आइए इसे डीटेल में समझते हैं.
हफ्तेभर पहले दिल्ली के एक व्यापारी को कई मिस कॉल आए और फिर उनके खाते से 50 लाख रुपये उड़ गए जबकि उन्होंने किसी को भी ओटीपी तक नहीं दिया था.
स्वैप मतलब अदला बदला बदली. यानी सिम की अदला बदली. जब ठग आपके ही नंबर का सिम कार्ड खरीद ले तो ये सिम स्वैप कहलाता है. ठग कई बार आपके आईडी कार्ड, मोबाइल नंबर समेत कई निजी जानकारी टेलिकॉम ऑपरेटर को देकर धोखे से आप के ही के नंबर पर नया सिम कार्ड लेता है.
ठग जैसे ही नया सिम कार्ड अपने मोबाइल में लगाता है वैसे ही पुराना सिम अपने आप ब्लॉक हो जाता है फिर ओटीपी जैसी बाकी सारी चीजे ठग के मोबाइल फोन में सीधे आती है.
नया सिम कार्ड देते समय जिसके नाम पर सिम है उसे भी ऑपरेटर के सामने आईडी के साथ मौजूद होना होता है, ऑपरेटर उसकी फोटो खींचता है और फिर बायोमेट्रीक की मदद से नया सिम दिया जाता है.
आपके नंबर पर अगर नया सिम कार्ड चालू हो जाता है तो आपके फोन में नेटवर्क कम हो जाएंगे या पूरी तरह उड़ जाएंगे, ऐसा तब होगा जब आप नेटवर्क वाले इलाके में हो. ये सबसे बड़ा अलर्ट है.
कई बार एसएमएस आना भी बंद हो जाता है.
आपके फोन में आप अगर किसी ऑनलाइन अकाउंट नहीं खोल पाए तो ये भी एक संकेत हो सकता है. जैसे आप गूगल पे नहीं खोल पाए.
कई बार ऐसे नोटिफिकेशन या फोन में ऐसी एक्टिविटी हो जाए जिसका आपसे कोई लेना देना न हो. जैसे आपको किसी चीज के लिए नोटिफिकेशन आए लेकिन आपने वो चीज के लिए सब्सक्राइब ना किया हो तो भी जरूर ध्यान दे.
ऑनलाइन निजी जानकारी न डालें: अपनी पर्सनल डीटेल किसी से शेयर ना करें, ऑनलाइन भी कहीं अपनी पर्सनल डीटेल शेयर ना करें. उदाहरण के लिए महामारी में वैक्सिनेशन के दौरान कई लोगों ने अपने वैक्सिनेशन का सर्टिफिकेट ऑनलाइन शेयर किया था जिसमें कई सारी नीजि जानकारियां थीं.
फर्जी ईमेल, मैसेज से बचें: मोबाइल में ढेरो फर्जी मैसेज, ईमेल आते रहते हैं जिनके साथ लिंक भी आते हैं उस पर क्लिक ना करें उनमें पहले जानकारी डालने को कहा जाता है और फिर फर्जीवाड़ा हो जाता है. ऐसे किसी अंजान लिंक पर क्लिक ना करें.
स्ट्रॉन्ग पासवर्ड और सिक्योरिटी सवाल रखें: पासवर्ड स्ट्रॉन्ग रखना जरूरी है, इतना स्ट्रॉन्ग कि आपके करीबी भी उसका पता न लगा पाए. साथ ही कोई सिक्योरिटी सवाल डाल कर रखें जिसका जवाब कम से कम लोग जानते हो.
अंकुरा कंसल्टिंग ग्रूप (इंडिया) के सीनियर मैनेजिंग डाइरेक्टर अमित जाजू ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि, सिम स्वैप फ्रॉड की प्रक्रिया में सबसे बड़ी गलती तो टेलिकॉम ऑपरेटर की ओर से होती है जो सिम जारी करता है. हर ऑपरेटर के पास बायोमेट्रिक (फिंगर प्रिंट) की सुविधा नहीं होती वे अब भी डाक्युमेंट के जरिए ही किसी को भी सिम जारी कर देते हैं."
अमित जाजू ने क्विंट हिंदी को बताया कि, "जो लोग विदेशों में भी सफर करते हैं उनके लिए ये बड़ी समस्या है. क्योंकि ऐसा कोई स्कैम होने के बाद वे केवल अपनी सिम ब्लॉक ही कर सकते हैं और कोई उपाय उनके पास नहीं होता."
अमित जाजू का मानना है कि कंपनी के पास कई टेक्निकल उपाय हैं लेकिन उसे लागू करने में कंपनी का खर्च ज्यादा आता है और इसलिए वे इसे लागू नहीं करते.
अमित जाजू से पूछा गया कि फ्रॉड को रोकने के लिए कौन सबसे ज्यादा जिम्मेदार है?
अमित ने कहा कि, सिम स्वैप फ्रॉड में सबसे ज्यादा समस्या पैसों को लेकर होती है, इसके जरिए लोगों के पैसे ठगे जाते हैं और ठगी के लिए उन्हें केवल ओटीपी चाहिए होता है. इसलिए फ्रॉड को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बैंक को लेनी होगी.
दूसरी सबसे बड़ी गड़बड़ी है आधार लिंक को लेकर. कई सिम कार्ड आधार से लिंक नहीं है. क्योंकि बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर सिम जारी किए जाए तो इन फर्जीवाड़ों से बचा जा सकता है. सिम कार्ड को आधार से लिंक करना बेहद जरूरी है.
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