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इजरायली कंपनी NSO का पैगेसस नाम का फोन-हैकिंग सॉफ्टवेयर बहुत ही खतरनाक है. इंटरनेट वॉचडॉग सिटीजन लैब की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन में सेंध लगाने वाले इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल 45 देशों में हो रहा है. दुनियाभर की सरकारें और खुफिया एजेंसियां अपने देश में सुरक्षा बनाए रखने के लिए 'पैगेसस' का इस्तेमाल कर रही हैं.
लेकिन अब कई देशों में इस सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल भी किया जा रहा है. आरोप है कि एनएसओ ग्रुप ने दुनिया भर में WhatsApp का इस्तेमाल करने वाले करीब 1400 लोगों के मोबाइल फोन में ‘पैगेसस’ नाम का स्पाईवेयर पहुंचाया, उनकी जासूसी की और अहम जानकारी चुराने की कोशिश की. इस स्पाईवेयर के जरिए हैकर फोन के कैमरे, माइक्रोफोन, फाइल फोटो और यहां तक कि एन्क्रिप्टेड मैसेज और ईमेल तक पहुंच सकता है.
2016 की एक प्राइज लिस्ट के अनुसार, NSO ग्रुप 10 मोबाइल फोन हैक करने के लिए अपने ग्राहकों से पांच लाख डॉलर की फीस वसूलता है. मोबाइल हैक करने के लिए हैकर को उस फोन में सिर्फ WhatsApp कॉल करना होता है. कॉल रिसीव करने वाले को कॉल का जवाब देने की भी जरूरत नहीं होती है. कॉल आते ही उस फोन में वायरस आ जाता है. इसके अलावा ईमेल या टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी पैगेसस वायरस को किसी फोन में भेजा सकता है.
खास बात ये हैं एनएसओ ग्रुप किसी भी सरकार, एजेंसी या व्यक्ति को ‘पैगेसस’ स्पाईवेयर नहीं बेच सकती है. कंपनी अपने प्रोडक्ट को किसी अधिकृत सरकारी एजेंसी को ही बेच सकती है.
NSO ग्रुप के को-फाउंडर शल्वे हुलियो ने एक बयान में बताया, "कंपनी का एक मात्र उद्देश्य 'गंभीर अपराध और आतंकवाद' को रोकना है. अपराध और आतंक के खिलाफ काम करने वाली सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इसके लिए लाइसेंस दिया गया है. बिजनेस के लिए स्पाईवेयर को बेचने पर पाबंदी है."
एनएसओ ग्रुप ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अगर कोई सरकार या एजेंसी स्पाईवेयर का गलत इस्तेमाल करती है तो कंपनी उस पर उचित कार्रवाई करती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनएसओ ग्रुप ने स्पाईवेयर का दुरुपयोग करने वाले कई लोगों पर कार्रवाई की भी है.
(इनपुट: fastcompany.com)
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