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यूजर द्वारा तैयार किये गये कंटेन्ट की इंटरनेट पर भरमार हो गयी है. चीन में एक वायरल ट्रेंड के रूप में शुरू हुए ByteDance (एक कंपनी) के शॉर्ट वीडियो प्लेटफ़ॉर्म Musicaly (अब टिक टॉक) ने भारत जैसे प्रतिस्पर्धी बाजार में भी अच्छी पकड़ बना ली है.
ऐप एनी (App Annie) ने अपनी स्टेट ऑफ मोबाइल रिपोर्ट 2019 में इस ऐप्लीकेशन की तरफदारी की, जिसमें इसने टिक टॉक को 2018 के टॉप पांच एंड्रॉइड ऐप में से एक के रूप में रखा. ऐप एनी के मुताबिक इस ऐप के 500 मिलियन ग्लोबल यूजर्स में से 39 प्रतिशत यूजर्स भारत के हैं, जो कि इसका सबसे बड़ा बाजार है.
इसका ज्यादातर यूजर बेस 16 से 24 वर्ष के बीच की उम्र का है, जो मुख्य रूप से एक यंग मिलेनियल ऑडियन्स है.
एक डेटा एनालिटिक्स फर्म, SimilarWeb (सिमिलर वेब) से हमने देखा कि भारत में फरवरी 2018 से जनवरी 2019 तक पिछले 12 महीनों में टिक टॉक के दैनिक औसत यूजर्स में 1912 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जैसा कि सबकुछ सामने है, टिक टॉक औसतन डेली 9 मिलियन यूजर्स को अपनी सेवा देता है और हर यूजर औसतन 31 मिनट तक इसका इस्तेमाल करता है, जो कि काफी चौंकाने वाला है.
यूजर्स अपने मेसेज शेयर कर सकते हैं जिससे इसके ऑडियन्स बढ़ते हैं. हालांकि, प्लेटफॉर्म हेट स्पीच से भी भरा पड़ा है. अश्लील एवं हेट कंटेन्ट के लिए यूजर्स को रिपोर्ट करना ऐप के लिए एक चुनौती बनी हुई है.
इस हफ्ते एक मीडिया इवेंट के मौके पर कंपनी के अधिकारियों ने दावा किया कि टिक टॉक मानव हस्तक्षेप और मशीन लर्निंग टूल के मिश्रण का उपयोग करता है ताकि इस मंच के लिए गलत कंटेट को हटाया जा सके.
भारत में सर्कुलेट हो रहे इसके कंटेन्ट की निगरानी रखने के लिए मॉडरेशन टीम प्रमुख भारतीय भाषाओं को कवर करती है, जिसमें हिंदी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, गुजराती और कई भाषाएं शामिल हैं. अपने दूसरे सबसे बड़े बाजार में आधार को और मजबूत करने के लिए, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए टिक टॉक के पास देश में अपनी विस्तारक टीम के साथ अभी दिल्ली और मुंबई में ऑफिस हैं.
टिक टॉक का इंटरेक्टिव फॉर्मेट कुछ ऐसा है जो वीडियो की पहुंच को बढ़ाने में सक्षम बनाता है, जिसमें लोग एक यूजर द्वारा पोस्ट किये गये वीडियो पर कमेंट या उसको लाइक कर सकते हैं. कमेंट करने की इस खुली आजादी से विवाद बढ़े हैं और यहां तक कि प्लेटफॉर्म पर लोगों को मानसिक रूप से परेशान किया गया है, जो आखिरकार कंपनी की जानकारी में भी आया है.
इस समय सबसे बड़ी जरूरत कड़ा एक्शन लेने की है और टिक टॉक देश में अपने लाखों यूजर्स होने के बावजूद एप्लीकेशन पर फैलाई जा रही नफरत और जहरीले कंटेट से छुटकारा पाना चाहता है.
इसके लिए प्लेटफॉर्म के यूजर्स को नियमों को फॉलो न करने वाले अपने फैन्स को डिलीट/ब्लॉक करने को कहा गया है. पैरेंटल कंट्रोल एक अन्य जरूरी फीचर है, लेकिन यह किस हद तक प्लेटफॉर्म पर उन लोगों को प्रभावित करेगा, जो 7,000 रुपये के सस्ते हैंडसेट के साथ ज्यादातर पहली बार इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं.
ऐप में और भी कुछ है जिसे Restricted (प्रतिबंधित) मोड कहा जाता है, जो यूजर्स को अनुचित कंटेन्ट को फिल्टर करने में मदद करता है. साफ तौर पर, टिक टॉक ने शेयर किये जाने वाले कंटेन्ट पर ध्यान दिया है.
टिक टॉक पूरी तरह से अपने यूजरों द्वारा अपलोड किए गए कंटेंट पर निर्भर करता है और डिजिटल दुनिया में इस उद्योग के ज्यादातर विशेषज्ञ इसका ज्यादा लंबे समय तक अस्तित्व नहीं देख रहे हैं. इसकी वजह यह है कि इस सेगमेंट के ज्यादातर यूजर हिंदी बोलने वाले हैं और गैर-मेट्रो शहरों से हैं. यह लोग इन कारोबारों को कमाई करने में कोई सहयोग नहीं करते हैं.
डिजिटल विज्ञापन के जरिए कमाई का बाजार तेजी से बढ़ रहा है (फेसबुक और गूगल से पूछिए) लेकिन ByteDance के लिए यह भी बहुत मुश्किल होगा कि डेटा की गुणवत्ता में सुधार न होने की दशा में यह टिक टॉक के जरिए विज्ञापन से कुछ पैसा कमा सके.
इन नंबरों और इन प्लेटफॉर्मों के असल यूजरों की वजह से फेसबुक इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक बेदी ने यह माना कि पैसों के बिना इन ऐप्लिकेशनों को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल होगा.
इस तरह से, भारत में कमाई करने के बारे में सोचने से पहले टिक टॉक के लिए यह बहुत जरूरी है कि यह अपने डेटा की क्वालिटी की जांच करे, और यह ऐसा ही कर रहा है.
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