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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 17 मई को देश की पहली 5G परीक्षण (5G Services in India) का शुभारंभ किया, इसके साथ ही उन्होंने इस दशक के अंत तक भारत के लिए 6G सेवाओं को शुरू करने का लक्ष्य भी रखा है. वन जी (1G) के साथ फाइव जी (5G) तक, टेलीकॉम इंडस्ट्री की प्रत्येक पीढ़ी ने बेहतर तरीके से खुद को बदलने की कोशिश की है.
इन बदलती जनरेशन के साथ क्या क्या बदला आइए इसपर एक नजर डालते हैं.
1970 के दशक के अंत में जापान में लॉन्च किया गया 1G मोबाइल दूरसंचार तकनीक की पहली पीढ़ी थी जो केवल वॉयस कॉल की सर्विस देती थी. लेकिन यह कम साउंड क्वालिटी, कम कवरेज और बिना किसी रोमिंग सपोर्ट के साथ आया था.
दूरसंचार तकनीक के लिए बड़ी छलांग 1991 में 2जी की शुरुआत के साथ आई. 2G में 1G के एनालॉग सिग्नल पूरी तरह से डिजिटल हो गए. इसने मोबाइल यूजर एक्सपीरियंस को पूरी तरह से बदल कर दिया। और 2G के आने से टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक नए युग की शुरुआत हो गई.
हालांकि फोकस अभी भी वॉयस कॉलिंग पर था लेकिन डेटा सपोर्ट पेश किया गया था. 2जी भारत में अभी भी लोकप्रिय बना हुआ है जबकि दुनिया के कई हिस्सों में इसे धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है. देश में एक प्रमुख सेवा प्रदाता जियो ने पिछले साल खुद को '2 जी मुक्त भारत' का टारगेट सेट किया था.
साल 2001 में दुनिया में मोबाइल इंडस्ट्री ने 3जी सेवाओं को लांच कर हर दशक में जनरेशन अपग्रेड की अपनी प्रथा को जारी रखा. इसने मोबाइल इंटरनेट स्पीड के एक्सपीरियंस को और बेहतर किया। तेज स्पीड के इंटरनेट ने मोबाइल यूजर के एक्सपीरियंस को और बेहतर बना दिया। यह वह जनरेशन है जो मोबाइल फोन पर ईमेल, नेविगेशनल मैप, वीडियो कॉलिंग, वेब ब्राउजिंग और म्यूजिक लेकर आई.
11 दिसंबर 2008 को भारत ने दिल्ली में और बाद में मुंबई में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड एमटीएनएल द्वारा 3 जी सक्षम मोबाइल और डेटा सेवाओं के शुभारंभ के साथ 3 जी क्षेत्र में प्रवेश किया। एमटीएनएल भारत में पहला 3जी मोबाइल सेवा प्रदाता बना. एमटीएनएल के बाद, एक अन्य राज्य ऑपरेटर भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने 22 फरवरी 2009 को चेन्नई और कोलकाता में 3जी सेवाओं की शुरुआत की और बाद में राष्ट्रव्यापी रूप में 3जी लॉन्च किया गया.
हाई स्पीड, हाई क्वालिटी, उच्च क्षमता वाली आवाज और डेटा सेवाएं इन वादों और दावों के साथ 4G का मोबाइल इंडस्ट्री में प्रवेश हुआ. आज हम में से अधिकांश इस नेटवर्क का इस्तेमाल करते है. जिसको 2010 के आसपास शुरू किया गया था. 4G, 3G की तुलना में पांच से सात गुना तेज स्पीड के साथ आया था.
4G ने हमारे फोन को हैंड-हेल्ड कंप्यूटिंग डिवाइस की तरह बना दिया. जिओ ने 4G को पूरे भारत में फैलने में अहम योगदान निभाया. जियो ने महीनों तक फ्री 4G सेवाएं देकर बड़ी तादाद में भारतीय यूजर्स को इससे इस्तेमाल करने के लिए बेहद आसान बना दिया. जिओ की इस पेशकश को जिओ क्रांति के रूप में भी जाना जाता है. 4G सेवाओं ने वीडियो कॉल के एक्सपीरियंस को और बेहतर बना दिया और वीडियो बफरिंग जैसी समस्या को काफी हद तक खत्म किया.
मोबाइल इंडस्ट्री के नए मोर्चे के रूप में आया 5G, 4G नेटवर्क से बेहतर स्पीड और क्वालिटी का दावा करता है. MIT टेक्नोलॉजी रिव्यू के मुताबिक, इससे उपकरणों में कम बिजली की जरुरत होगी जो कई बार आपके डिवाइस की बैटरी लाइफ को बढ़ा देगा.
उम्मीद की जा रही है कि 5G सिर्फ तेज डाउनलोड स्पीड से ज्यादा होगा. सेलुलर बैंडविड्थ में बढ़ोत्तरी, हाई स्पीड इंटरनेट और कम विलंबता के साथ यह यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाएगा जो आपके डिवाइस के लिए भी बेहतर होगा.
(इनपुट क्रेडिट- इंडियन एक्सप्रेस एवम् अन्य)
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