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क्या आपको पता है कि फेसबुक के पास आपकी कौन-कौन सी प्राइवेट जानकारी है? आपके दोस्तों, रिश्तेदारों यहां तक की परिवार के लोगों के पास भी आपकी उतनी जानकारी नहीं होती, जितना की शायद फेसबुक के पास है. 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा चोरी होने की रिपोर्ट सामने आने और उसका इस्तेमाल चुनाव में करने की खबरों के बाद ये जानना जरूरी है की आपका पर्सनल डाटा फेसबुक पर कितना सुरक्षित हैं. ऐसे में हम आपको बताएंगे की फेसबुक के जरिए कौन-कौन से एडवरटाइजर्स के पास आपका पर्सनल डाटा पहुंच चुका है.
सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ऐसे तमाम विज्ञापन देने वाली कंपनियां हैं, जिनके एड आपको दिखते हैं. मसलन, फेसबुक पर आप किसी बाइक, कार या मोबाइल को सर्च करते हैं, कुछ ही देर बाद उससे जुड़ा हुआ कोई एड आपको दिखने लगता है. एक और उदाहरण, अपने फोन के कॉन्टेक्ट में आप कोई नंबर सेव करते हैं, कुछ देर बाद उसी शख्स का फ्रेंड सजेशन आपको दिखने लगता है? हो सकता है कि आपका परिवार भी नहीं जान पाता कि आप किससे मिल रहे हैं, लेकिन कमबख्त फेसबुक को तो सबकुछ पता है.
सहमति या बिना सहमति के किस-किस एडवरटाइजर यानी एड देने वाले के पास आपका डेटा पहुंच चुका है, इसे कुछ स्टेप को फॉलो करके जाना जा सकता है.
इन एडवरटाइजर्स की जानकारी भी इसी स्टेप को फॉलो करके निकाली गई है.
इसी HTML फाइल ‘Ads Topics’ भी आपको मिलेगा. कीवर्ड्स वाले इन डिटेल्स का इस्तेमाल फेसबुक, आपके लिए उचित विज्ञापन ढूंढने में करता है, या कर सकता है. ये सारी जानकारी आपके लाइक, इंटरेस्ट या टाइमलाइन के जरिए ही जुटाई जा सकती है.
इसमें अगला हेडर ‘Ads History’ का दिखेगा. इसमें वो सारे एड की जानकारी होगी, जिसने आपके कभी न कभी क्लिक किया होगा.
HTML फोल्डर में एक ऑप्शन आपको contact_info का भी दिखेगा. इसमें आपको अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, जानकारों और उन अजनबियों के भी नाम, कॉन्टेक्ट नंबर या ईमेल दिख सकते हैं, जिन्हें आपने कभी फोन किया है, या इमेल किया है या आपके मोबाइल में उनका नंबर है.
क्या इतनी इंफॉर्मेशन किसी सोशल मीडिया साइट को आप देना चाहते थे या हैं? क्या आप चाहते हैं कि इन सारी जानकारियों को किसी एडवरटाइजर्स को दे दिया जाए? क्या आप चाहते हैं कि देश की राजनीतिक पार्टियां ये डेटा फेसबुक से हासिल कर लें? आपका जवाब नहीं में होगा.
लेकिन कैंब्रिज एनालिटिका के डेटा चोरी कांड के बाद, ऐसी घटनाएं और नहीं हो, इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसका साफ मतलब ये है कि आपका प्राइवेट डेटा, इतना भी प्राइवेट नहीं रह गया है.
(सोर्स: द न्यूज मिनट)
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