ADVERTISEMENTREMOVE AD

वोटर डेटा देने के चक्कर में ऐसे फंस गया फेसबुक, आप कितने सेफ?

कैंब्रिज एनालिटिका की डेटा चोरी से बढ़कर है मामला, कैसे फेसबुक, प्राइवेसी और पैसे के जाल में फंसे हैं आप जानिए

Updated
कुंजी
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
स्नैपशॉट

आपका नाम, पता, सेक्स, पॉलिटिकल इंटरेस्ट, हर एक जानकारी फेसबुक पर मौजूद है. यानी आपकी सारी निजी जानकारी बिना किसी ‘आधार’ के ‘मार्क जकरबर्ग सरकार’ के पास है. ऐसे में प्राइवेसी की आजादी चाहने वाले इस दौर में आपका फेसबुक डेटा कहां तक सुरक्षित है? सिर्फ इसी सवाल पर पूरी दुनिया में बवाल मचा हुआ है.

ब्रिटिश डेटा एनालिटिक्स फर्म ‘कैंब्रिज एनालिटिका’ ताजा विवाद की जड़ है. फर्म पर 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा को चुराने और उसका इस्तेमाल ‘चुनाव प्रचार’ में करने का आरोप है. 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ये कंपनी डोनाल्ड ट्रंप को सर्विस दे चुकी है, ये खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स और लंदन ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में किया गया है. यहां से आपके जेहन में कई सवाल आ रहे होंगे.

1. कैंब्रिज एनालिटिका ने क्या कांड किया है?

2. फेसबुक इसके लिए कैसे जिम्मेदार है?

3. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन क्या कह रहे हैं?

4. भारत को यानी हमें इसमें दिलचस्पी क्यों लेनी चाहिए?

5. क्या फेसबुक किसी भी दूसरे देश या प्रशासन से ताकतवर हो चुका है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैंब्रिज एनालिटिका ने क्या कांड किया है?

अमेरिकी चुनाव को ध्यान में रखकर साल 2013 में ये कंपनी बनाई गई. कहा गया कि कंपनी का मकसद कंज्यूमर रिसर्च, एडवरटाइजिंग और डेटा से जुड़ी सर्विस पॉलिटिकल क्लाइंट और कॉरपोरेट क्लाइंट को देना है. अब कंपनी पर आरोप है कि उसने फेसबुक और उसके यूजर्स को धोखा देते हुए 5 करोड़ यूजर्स का डेटा चुरा लिया. ये चोरी भी बड़े शातिराना अंदाज में हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक:

एक ब्रिटिश प्रोफेसर एलेक्जेंडर कोगन ने फेसबुक बेस्ड एप ‘thisisyourdigitallife’ बनाया. पर्सनालिटी एनालिसिस बताने वाले इस ऐप को बेहद कम कीमतों पर 2.70 लाख यूजर्स ने डाउनलोड कर लिया. साइन इन करने के लिए फेसबुक आईडी-पासवर्ड करना होता था, जैसे ही यूजर इसका इस्तेमाल करते थे, उनका डेटा साथ ही उनके फ्रेंड्स का डेटा इस ऐप के जरिए एक्सेस किया जा सकता था. ऐसे में जिसने डाउनलोड किया, उनका और उनके दोस्तों को मिलाकर कुल 5 करोड़ डेटा, इस ऐप के जरिए एक्सेस किया गया.

फिर इस डेटा को प्रोफेसर कोगन ने कैंब्रिज एनालिटिका को बेच दिया गया, फर्म का कहना है कि उसे नहीं पता था कि कोगेन ने फेसबुक के नियमों का उल्लंघन कर ये डेटा हासिल किया था. 2015 में जब इसका पता चला तो डेटा डिलीट कर दिया गया. हालांकि, फर्म के इस दावे को मीडिया रिपोर्ट्स खारिज कर रही हैं.

0

फेसबुक इसके लिए कैसे जिम्मेदार है?

कैंब्रिज एनालिटिका की डेटा चोरी से बढ़कर है मामला, कैसे फेसबुक, प्राइवेसी और पैसे के जाल में फंसे हैं आप जानिए
फेसबुक फाउंडर मार्क जकरबर्ग 
(फोटोः आईस्टॉक)

फेसबुक का कहना है कि उसे जानकारी नहीं थी कि ऐसी डेटा की चोरी हो रही है. साल 2015 में कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक से डेटा डिलीट करने का दावा किया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक का अब कहना है कि फर्म पर लग रहे आरोपों की जांच की जा रही है, तब तक कैंब्रिज एनालिटिका और कोगेन को कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म पर बैन कर दिया है.

फेसबुक पर डेटा लीक के आरोप पहले भी लग चुके हैं. अब इस बड़ी खामी के बाद कंपनी दबाव में हैं. अमेरिका और ईयू की संसद फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग से ये जानना चाहती है कि कैसे उन्होंने ट्रंप को चुनाव जीतने में मदद की है, अब बड़े पैमाने पर इसकी जांच की भी तैयारी शुरू होने जा रही है. वहीं ब्रिटेन की एक संसदीय समिति ने मार्क जकरबर्ग से पेश होने और चुनाव प्रचार के लिए डेटा लीक होने का ब्योरा देने को कहा है.

आप खुद सोचिए, एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जहां पर आप बातचीत करने या खुशी-गम साझा करने आते हैं, वहां आपको एक प्रोडक्ट की तरह ट्रीट किया जाता है. आप कहां जाते हैं, क्या खाते हैं, क्या पढ़ते हैं, किसको वोट दे सकते हैं. ये सब जानने के लिए किया जा रहा है. यानी आप रात-दिन फेसबुक की निगरानी में हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्नोडन ने फिर लताड़ा, इंवेस्टर्स परेशान?

कैंब्रिज एनालिटिका की डेटा चोरी से बढ़कर है मामला, कैसे फेसबुक, प्राइवेसी और पैसे के जाल में फंसे हैं आप जानिए
एडवर्ड स्नोडेन अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व कर्मचारी हैं
(फोटो: ANI)

काफी सालों से फेसबुक की कड़ी आलोचना करते आए एडवर्ड स्नोडन ने इस प्लेटफॉर्म को 'सर्विलांस कंपनी' बताया है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी में काम कर चुके और व्‍हिसलब्‍लोअर स्नोडेन ने कहा कि करोड़ों लोगों की प्राइवेट डेटा को बेचकर फेसबुक पैसा बनाता है. उसने सोशल मीडिया कंपनी होने का चोला ओढ़ रखा है, लेकिन वो सर्विलांस कंपनी है.

वहीं फेसबुक के इंवेस्टर्स में भारी हड़कंप हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खबर आने के बाद ही 19 मार्च को कंपनी के शेयर 7% तक गिर गए, जिससे मार्क जकरबर्ग और कंपनी को अरबों का नुकसाना हुआ है. 'सोशल मीडिया' के नाम पर सोसाइटी की निगरानी वाले इस प्लेटफॉर्म से इंवेस्टर्स दूरी बना सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आपके लिए है सबसे बड़ी चुनौती?

कैंब्रिज एनालिटिका की डेटा चोरी से बढ़कर है मामला, कैसे फेसबुक, प्राइवेसी और पैसे के जाल में फंसे हैं आप जानिए
2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में फेसबुक के 24 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं.
फोटो: Aaquib Raza Khan/The Quint

2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में फेसबुक के 24 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर करीब 11 फीसदी अपने ही देश में हैं. फेसबुक की 'भाषा' में बोले तो सबसे बड़ा 'डेटा बाजार' भारत है, जहां कुछ महीनों में आम चुनाव से लेकर कुछ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया कैंपेन की अपार सफलता को देखते हुए कोई भी पार्टी अब सोशल मीडिया प्रजेंस के मामले में कमजोर नहीं पड़ना चाहती. नतीजा ये है कि 'कैंब्रिज एनालिटिका' जैसे डेटा माइनिंग वाली कंपनियों के लिए बड़ा मौका है. वहीं आपके और हमारे लिए बड़ी चुनौती कि किस तरह अपनी निजी जानकारी बचाकर रखें.

इसके अलावा गूगल, फेसबुक, एमेजॉन जैसी कंपनियां एडवरटाइजर तलाश करने के लिए इन्हीं डेटा का इस्तेमाल करती हैं. इतना ही नहीं हाल ही में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब चीनी हैकर्स की नजर भारतीय वॉट्सऐप यूजर्स पर है. सेना ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ये जानकारी दी है. साथ ही सीमा पर तैनात जवानों को इस मुसीबत से बचकर रहने के लिए कहा है. बता दें कि वॉट्सऐप को भी साल 2014 में फेसबुक ने खरीद लिया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या फेसबुक दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा ताकतवर है?

हाल ही में आए आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में तकरीबन 3 अरब फेसबुक यूजर हैं. अगर फेसबुक को एक देश मान लें तो ये दुनिया का सबसे बड़ा और ताकतवर देश है. जहां आपकी सारी जानकारी बिना किसी 'आधार' के जकरबर्ग सरकार के पास है. एक देश के तौर पर यहां तानाशाह बैठा हुआ है, जिसके प्रशासकों की पल-पल की निगरानी में आप हैं.

आपने ध्यान दिया होगा कि अभी दोपहर में आप किसी से मिलते हैं, शाम में उसका 'फ्रेंड्स सजेशन' आपको फेसबुक पर मिल जाता है. अब इस ताकतवर सरकार के हर नियम का पालन भी आपको करना ही पड़ता है, उनके नियमों के हिसाब से आप खुद को बदलते हैं और इंडिया गेट पर प्रदर्शन भी नहीं कर सकते.

खबरें भी आपको यहां मिलती रहती हैं, जो अपने तरीके से ऊपर-नीचे, यानी क्या आपको दिखाना है क्या नहीं, तय कर दी जाती है. आप खुद ही सोचिए कि आपकी निजी जानकारी कहां तक सुरक्षित है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

[क्‍विंट ने अपने कैफिटेरिया से प्‍लास्‍ट‍िक प्‍लेट और चम्‍मच को पहले ही 'गुडबाय' कह दिया है. अपनी धरती की खातिर, 24 मार्च को 'अर्थ आवर' पर आप कौन-सा कदम उठाने जा रहे हैं? #GiveUp हैशटैग के साथ @TheQuint को टैग करते हुए अपनी बात हमें बताएं.]

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×