Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Technology Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019TikTok Vs YouTube: मत देखिए सिर्फ छोटे ‘रेसलर’,ये है बिग पिक्चर 

TikTok Vs YouTube: मत देखिए सिर्फ छोटे ‘रेसलर’,ये है बिग पिक्चर 

इसके पीछे का खेल ‘वीडियो की दुनिया’ में वर्चस्व हासिल करना भी हो सकता है.

अभय कुमार सिंह
टेक्नोलॉजी
Updated:
TikTok Vs Youtube
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TikTok Vs Youtube
(फोटो: आकांक्षा सिंह/क्विंट हिंदी)

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TikTok और Youtube के बीच की जंग इन दिनों सोशल मीडिया पर नजर आ रही है. चाहे-अनचाहे हम भी इस जंग का हिस्सा हैं क्योंकि इस 'जंग' से जुड़े कंटेंट को हम ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब या टिकटॉक पर कंज्यूम कर रहे हैं. मीडिया और सोशल मीडिया की भी इसमें दिलचस्पी है क्योंकि कॉन्टेंट ही ऐसा है कि यूजर खिंचे चले आते हैं. लेकिन क्या ये Youtube Vs TikTok महज किसी यूट्यूबर कैरीमिनाटी, टिक टॉक इंफ्लूएंसर आमिर सिद्दिकी के बीच की लड़ाई है? शायद नहीं. इसके पीछे का खेल 'वीडियो की दुनिया' में वर्चस्व हासिल करना भी हो सकता है.

लेकिन इस वॉर के बिग पिक्चर पर जाने से पहले आपको बताते हैं कि हाल फिलहाल ऐसा क्या हुआ है जिससे घमासान और बढ़ गया है.

दोनों ओर से उतरे 'रेसलर'

हाल फिलहाल में जो Youtube Vs TikTok की बहस शुरू हुई थी वो क्वॉलिटी कॉन्टेंट को लेकर ही शुरू हुई थी. सबसे पहले एक यूट्यूबर एल्विश यादव ने 'रोस्ट' के नाम पर एक वीडियो बनाकर टिकटॉक के कई कंटेंट क्रिएटर्स को 'फालतू', उल्टे-सीधे कंटेंट बनाने वाला कहा. 12 मिनट के इस वीडियो में गालियां भी थीं. जवाब में टिकटॉक की तरफ से आमिर सिद्दिकी नाम के एक टिकटॉक इंफ्लुएंसर ने वीडियो बनाया और ये कह दिया कि टिकटॉक का कंटेंट यूट्यूबर इस्तेमाल करते हैं.

फिर आया यूट्यूबर कैरीमिनाटी का यूट्यूब पर वीडियो जिसमें उसने आमिर सिद्दिकी और टिकटॉक के बारे में कई तरह की टिप्पणी की.

इस वीडियो में भी गालियों का इस्तेमाल हुआ. बॉडी शेमिंग, ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से लेकर आपत्तिजनक शब्दों का वीडियो में इस्तेमाल हुआ. वीडियो आते ही ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. इंडिया में 1 नंबर पर भी ट्रेंड कर रहा था, 75 मिलियन से ज्यादा व्यूज होने के बाद यूट्यूब ने इस वीडियो को हटाने का  फैसला लिया.

तब तक वीडियो हर एक प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड होकर पहुंच चुका था और अब भी उस वीडियो के छोटे-छोटे पार्ट शेयर हो रहे हैं.

वीडियो हटाए जाने के बाद कैरीमिनाटी के सपोर्ट में कई तरह के हैशटैग कैंपेन भी चलें. अभी ये सब चल ही रहा था कि एक और टिकटॉक इंफ्लुएंसर जो आमिर सिद्दिकी के भाई बताए जाते हैं फैजल सिद्दिकी उनका एक वीडियो विवादों में आ गया. इस वीडियो में 'एसिड अटैक' का महिमामंडन होता दिख रहा है. फिर क्या था एक बार और मांग चल पड़ी- #BanTikTok. वीडियो को लेकर NCW ने भी फैजल सिद्दिकी पर कार्रवाई की बात कही है.

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परदे के पीछे की बड़ी लड़ाई


भारत समेत दुनियाभर में जिस तेजी से टिकटॉक ने लोकप्रियता हासिल की है, उससे Youtube जैसे वीडियो प्लेटफॉर्म को टक्कर मिल रही है. खासकर टियर-2, टियर-3 शहरों में टिकटॉक ऐप बेहिसाब लोकप्रिय है. गांव-कस्बों से यूजर जेनेरेटेड कंटेंट डाले जा रहे हैं, ये यूजर स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे, दुकानों पर काम करने वाले लोगों से लेकर खेतों में मजदूरी करने वाले किसान तक हैं, जिनमें से हजारों को लोकप्रियता भी हासिल हो रही है. वीडियो बनाने के लिए ऐप में टेंपलेट हैं और महज 2-3 स्टेप्स में वीडियो बनाकर अपलोड किया जा सकता है.

TikTok की धमक का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि फेसबुक के बाद अब गूगल भी TikTok जैसा प्लेटफॉर्म Shorts इस साल के अंत तक ला सकती है, जिसमें वो अपने म्यूजिक राइट्स का इस्तेमाल यूजर जेनेरेटेड कंटेंट के लिए कर सकती है.

इस बीच डिज्नी स्ट्रीमिंग चीफ के तौर पर सर्विस देने के बाद केविन मेयर को अब टिक टॉक का CEO बनाया गया है.

(ग्राफिक्स: श्रुति माथुर)

डाउनलोड का दंगल: भारत अखाड़ा


करीब 50 करोड़ यूजर वाला अपना देश दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा स्मार्टफोन यूजर्स वाला देश है. अब यूजर तो वही हैं लेकिन वीडियो और प्लेटफॉर्म कई सारे हैं, यूजर कहां जाए? ऐसे में Youtube, TikTok जैसे प्लेटफॉर्म कंटेंट, यूजर इंटरफेस, टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग के जरिए यूजर को रिझाते हैं.और एक दूसरे को पीछे छोड़ने की ताक में रहते हैं.

ComScore के मुताबिक, मार्च में यूट्यूब के पास 360 मिलियन ऐप यूजर थे जबकि टिकटॉक के पास 136 मिलियन ऐप यूजर थे. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि सभी एंड्रॉइड फोन में यूट्यूब प्री इंस्टाल होता है जबकि Tiktok या तो यूजर खुद इंस्टाल करता है या कुछ मोबाइल फोन में कंपनी प्रमोशन के तहत मार्केट में आने से पहले प्री इंस्टाल कराती है. अगर हम सिर्फ मार्च महीने की बात करें तो दुनियाभर में गूगल प्ले स्टोर से टिकटॉक 48.9 मिलियन डाउनलोड हुआ है. जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा 19 मिलियन भारत से ही है.

वहीं कुल आंकड़ों की बात करें तो प्लेटफॉर्म के 2 बिलियन डाउनलोड हैं जिसका 30.3% हिस्सा भारत से है.

टिकटॉक की कामयाबी का राज

पिछले कुछ सालों में अपने मजबूत Artificial Intelligence और आसानी से कंटेंट क्रिएट करने की सहूलियत देने वाले टिकटॉक ने तेजी से यूजर्स में अपनी जगह बनाई है. TikTok इंडिया के हेड निखिल गांधी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि कॉन्टेंट कंज्युम करने वालों की संख्या तो बढ़ी रही है साथ ही साथ आसान प्लेटफॉर्म होने की वजह से लोग तेजी से कंटेंट भी क्रिएट करने लगे हैं.
द क्विंट के प्रोडक्ट और मार्केटिंग हेड अगस्ती खांटे कहते हैं,

ये साफ है कि बाइटडांस और उसके ऐप टिकटॉक ने यूजर के लिए अलग क्युरेटड फीड बनाने में अच्छा काम किया है. उनके इस काम का असर ऐप में ज्यादा रिटेंशन और बिताए गए समय के डेटा से लगता है. बाइटडांस ने ये अचानक नहीं किया. 2016 में उसने ऑटोमेटेड आर्टिकल के काम की बारीकियों को समझ लिया था, जब उसने 2 सेकंड में ओलंपिक्स आर्टिकल्स देकर रॉयटर्स और AFP जैसी बड़ी कंपनियों को मात दी थी. बाइटडांस के सभी ऐप फीड्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हैं और douyin की सफलता से उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में और निवेश करने का टेस्ट केस मिल गया था.

'कंटेट क्वॉलिटी' एक की कमजोरी, दूसरे का हथियार


अब ऐसे प्लेटफॉर्म के बावजूद 'वीडियो वर्चस्व' वाली रेस में टिकटॉक मात कहां खाता है?
यहां दो चीजें समझने लायक है-

1. कई वीडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म पर नजर रखने वाले Youtuber पंकज कुमार का मानना है कि Youtube Vs TikTok की लड़ाई में देखें तो दोनों ही प्लेटफॉर्म पर ऐसी वीडियोज की भरमार आपको दिख जाएगी, जो सांप्रदायिक हैं, जिनमें जातियों पर टिप्पणी हैं, जो महिला विरोधी हैं, हिंसा पर आधारित हैं. लेकिन जब आप आसपास देखेंगे तो पाएंगे कि TikTok के कंटेंट को लेकर एक पैठ बना दी गई है कि यहां 'क्रिंज' कंटेंट दिखता और बिकता है. ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे ही वीडियोज के दमपर टिकटॉक ने देश में अपनी जगह बनाई है. हालांकि, 'क्रिंज कंटेंट' देने में देश का कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पीछे नहीं है, यूट्यूब, फेसबुक पर भी ऐसे वीडियोज की भरमार हैं जिन्हें 'क्रिंज' कहा जा सकता है. कई बार तो बेहद अश्लील और भद्दे कंटेंट भी देखने को मिलते हैं.

लेकिन इसका ये कतई मतलब  नहीं कि इस तर्क से टिकटॉक को ऐसे कंटेंट फैलाने की छूट मिलती है. क्रिएटिविटी और टेंपलेट के नाम पर एसिड अटैक जैसे कंटेंट को बढ़ावा देना कतई सही नहीं है और टिकटॉक को कंटेंट मॉडरेशन पर और ध्यान देना होगा.

2. दूसरी बड़ी बात की चीनी कंपनी होने के नाते अक्सर TikTok को 'बहिष्कार वाले मोड' का भी सामना करना पड़ता है. यहां यूट्यूब और भारतीय कंपनियों को एक तरह का फायदा मिल सकता है, फिलहाल टिकटॉक की रेटिंग बेहद डाउन है देश में वोकल से लोकल का माहौल है तो ऐसे वक्त में कोई भारतीय कंपनी अगर इसी फॉर्मेट में क्वॉलिटी कंटेंट के साथ बाजार में आती है तो वो अपनी पैठ बना सकती है. वरना यूट्यूब तो है ही जो इस बड़े मौके को अपने शॉर्ट वीडियो ऐप से जरूर भुनाने की कोशिश करेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 20 May 2020,12:43 PM IST

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