Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गणपति और मॉनसून: कैसा रहा मुंबई में मेरा पहला गणेश उत्सव

गणपति और मॉनसून: कैसा रहा मुंबई में मेरा पहला गणेश उत्सव

इन 11 दिनों में मुंबई और भी ज्यादा उधम और हलचल वाली हो जाती है

दीक्षा शर्मा
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गणेश चतुर्थी में कैसी होती है मुंबई?
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गणेश चतुर्थी में कैसी होती है मुंबई?
(फोटो: द क्विंट / श्रुति माथुर) 

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वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन

ये साल का वो समय होता है, जब आप "गणपति बप्पा" बोलते हैं और कोई ना कोई जवाब में "मोरिया" जरूर बोलता है. जी हां, इन 11 दिनों में मुंबई और भी ज्यादा उधम और हलचल वाली हो जाती है. पूरी तरह ढोल, ताशे और बैंड बाजे से लैस.

बचपन में, मैं न्यूज चैनल में देखा करती थी कि कैसे सड़कों पर बहुत भारी भीड़ उतर आती है गणपति विसर्जन के दिन.

2018 में गणपति विसर्जन का दृश्य (फोटो: ट्विटर / ANI) 

मैं मुंबई में कई जाने-माने पंडालों में गई. दक्षिण मुंबई का 'लालबाग चा राजा' सबसे नामी पंडाल है. कहा जाता है कि हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग इस पंडाल में दर्शन करने आते हैं. मुझे किसी ने बताया कि कई बार तो लोग 1 दिन से ज्यादा समय तक लाइन में खड़े होते हैं ताकि वो दर्शन कर सकें. लोगों का मानना है कि दर्शन के लिए यहां आए हर इंसान की मनोकामना पूरी होती है.

प्रो टिप: अगर आप ‘लालबाग चा राजा’ के दर्शन करना चाहते हैं, तो गणेश चतुर्थी के शुरुआती दिनों में बिलकुल सुबह-सुबह जाइए, नहीं तो घंटों लंबी लाइन में खड़े होने के लिए तैयार हो जाइए.
लालबाग चा राजा 2019 (फोटो: ट्विटर / ANI) 
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मेरा अगला स्टॉप था खेतवाड़ी. इस इलाके में 12 गालियां हैं और हर गली में एक गणपति स्थापित किए जाते हैं. यहां के मुख्य पंडाल को कहते हैं 'खेतवाड़ी चा राजा' पंडाल. इस पंडाल में आपको 1- इंच जितने छोटे गणपति से लेकर बहुत ही बड़ी मूर्ति देखने को मिलेगी. यहां गणपति की तरह-तरह की मूर्तियां हैं जैसे कि कुछ क्रेयॉन से बनी हुई, तो कोई धागे से, तो कोई सुई से.

लेकिन बिना गणपति विसर्जन देखे क्या खाक गणेश चतुर्थी मनाई?

ये पूरा महोत्सव विसर्जन के बाद ही खत्म होता है. लेकिन इस महोत्सव को मनाने के चक्कर में हम ये भूल जाते हैं कि हम समुद्र और उसमें रहने वाले जीव-जंतुओं को नुकसान पंहुचा रहे हैं. पिछले साल, गणेश चतुर्थी के सातवें दिन, जुहू बीच और दादर बीच के तट पर बहुत सारी मरी हुई मछलियां पाई गई थीं.

इतना ही नहीं, सरकार ने सारे बीच साफ करने के लिए 15 करोड़ रुपये लगाए थे. मुंबई पुलिस के पास करीब 200 ध्वनि प्रदूषण की शिकायतें दर्ज हुईं थीं और पिछले साल सारे बीच से कई किलो टूटी हुई मूर्तियों को इकट्ठा किया गया था.

मार्केट में कई ईको- फ्रेंडली मूर्तियां भी मिलतीं हैं जिनसे वातावरण को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता. इसका मतलब ये है कि हम समुद्र में बिना गंदगी फैलाये अपना त्यौहार मना सकते हैं.

तो चलिए, इस ही बात पर, मैं करती हूं खत्म, गणपति बप्पा मोरया!

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Published: 09 Sep 2019,09:35 PM IST

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