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कैमरा: अथर राथर
वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
15 साल का सुभान रोज सुबह 5 बजे उठता है, स्कूल जाने के लिए नहीं बल्कि सब्जी और फल खरीदने के लिए पास की एक मंडी में जाता है जिसे बाद में वो बेचता है.
COVID-19 और लॉकडाउन ने सुभान और उनके परिवार को कई तरह से प्रभावित किया है. उसके पिता के पास काम नहीं था इसलिए वो किराए का भुगतान नहीं कर सकते थे. इसके अलावा, उसके पिता को कर्ज लेना पड़ा क्योंकि उनके पास भोजन तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे.
कर्ज का पैसा और किराया बढ़ता रहा, जिससे सुभान के पिता के लिए पैसे चुकाना मुश्किल हो गया. उसके पिता ने सब्जी बेचने के लिए एक ठेला भी खरीदा, लेकिन वे ज्यादा पैसा कमा नहीं पाए.
एक संवेदनशील और तेज तर्रार लड़का, सुभान अपनी समस्याओं को किसी के साथ शेयर करना पसंद नहीं करता है. वो अपने परिवार के सदस्यों को भी अपनी समस्याएं दुनिया को नहीं बताने के लिए कहता है.
पास के एक एनजीओ ने एक स्मार्टफोन के साथ बच्चों को सपोर्ट किया, जिससे सुभान की दो बहनें फिजा और आफरीन पढ़ाई करती हैं. फिजा वकील बनने की इच्छा रखती है, वहीं आफरीन एक पुलिस अधिकारी बनना चाहती है.
जिन दोस्तों के पास स्मार्टफ़ोन हैं, सुभान अपने आप को उनसे पीछे महसूस करता है. वह उनकी तरह पढ़ना चाहता है, स्मार्टफोन पर ऑनलाइन क्लास लेना चातहा है लेकिन दुख की बात है कि सुभान खुद को डिजिटल डिवाइड के गलत साइड में पाता है.
इस दिवाली, आपके पास सुभान और उसकी बहनों के लिए कुछ करने का मौका है. आपका उपहार, आपका दान, उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकता है और उनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है.
क्विंट हिंदी के ‘दिल वाली दिवाली ’का हिस्सा बनें और इन बच्चों को बेहतर जीवन का उपहार दें. हमारा विश्वास कीजिए, आपको अच्छा लगेगा.
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