Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली दंगा- 26 करोड़ का मुआवजा, फिर इन्हें कुछ क्यों नहीं मिला?

दिल्ली दंगा- 26 करोड़ का मुआवजा, फिर इन्हें कुछ क्यों नहीं मिला?

क्विंट ने की दिल्ली दंगा पीड़ितों और उनके परिवार से बातचीत 

पूनम अग्रवाल
वीडियो
Published:
दिल्ली दंगा पीड़ित
i
दिल्ली दंगा पीड़ित
(Image: Shiv Maurya/The Quint)

advertisement

फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी. दंगों में हुई हिंसा में कई परिवारों को बहुत नुकसान हुआ. दंगों की आग में किसी ने अपनों को खोया, कोई अपाहिज हो गया, तो किसी की रोजी-रोटी छिन गई. इन दंगों ने कई लोगों की जिंदगी को बर्बाद कर दिया.

दंगा पीड़ितों के जख्मों को मुआवजे से नहीं भरा जा सकता है. द क्विंट ने ऐसे लोगों से मुलाकात की, जो दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. इनमें से कुछ लोगों को पर्याप्त मुआवजा मिला और कुछ लोगों को कुछ नहीं मिला.

द क्विंट दंगा पीड़ित कुछ ऐसे लोगों से मिला, जो कि गंभीर मेडिकल परिस्थितियों से गुजर रहे हैं और अपने परिवार के बीच रह रहे हैं. हमारा मकसद यह जानने का रहा कि, दंगों ने कैसे उनकी जिंदगी बदल दी.

“मेरी आंखें अब कभी लौटकर नहीं आएगी”

मोहम्मद वकील,  दिल्ली दंगा पीड़ित(Image: Shiv Maurya/The Quint)

फरवरी 2020 में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों में 52 वर्षीय मोहम्मद वकील ने अपनी आंखें खो दी. मोहम्मद वकील कहते हैं कि, “मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि सरकार से कितना मुआवजा मिलेगा, क्योंकि अब मेरी आंखें लौटकर नहीं आ सकती है.”

दिल्ली में दंगों के दौरान दंगाइयों ने मोहम्मद वकील के चेहरे पर एसिड फेंक दिया था, जिसकी वजह से उनकी दोनों आंखें चली गईं.

“दंगाइयों ने जब मस्जिद को घेरा, तो हम डर गए थे. एसिड हमले के बाद मैं कुछ भी नहीं देख सकता था. डर के मारे में पानी के नल को भी छू नहीं पाया, क्योंकि हमें डर था कि कहीं दंगाइयों को यह पता नहीं चल जाए कि हम मस्जिद के अंदर हैं.”
मोहम्मद वकील, दिल्ली दंगा पीड़ित

एसिड हमले के बाद हिंसा के माहौल के बीच मोहम्मद वकील अपने बेटे के साथ 12 घंटे बाद सरकारी अस्पातल पहुंचे.

डॉक्टर्स का कहना है कि मेरी आंखें वापस आ जाएंगी, लेकिन वह नॉर्मल नहीं रहेंगी. हालांकि मैं लोगों को पहचान सकूंगा. दंगों से पहले मेरी जिंदगी बहुत शांतिपूर्ण थी. हम बात कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ मैं आपको सुन सकता हूं, देख नहीं सकता हूं.

मोहम्मद वकील को दिल्ली सरकार से 2 लाख रुपए मुआवजा मिला है. उन्होंने 5 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की थी. यह मामला अगस्त 2020 से लंबित पड़ा है.

दिल्ली सरकार ने दिल्ली दंगा पीड़ितों के लिए 3 मुख्य कैटेगरी में मुआवजे का ऐलान किया है.

  • गंभीर रूप से घायलों के लिए 2 लाख रुपए
  • स्थाई रूप से विकलांगो के लिए 5 लाख रुपए
  • दंगों में हुई मौत के लिए 10 लाख रुपए

“पैरों से लाचार, एक साल से बिस्तर पर पड़ा हूं”

मोहम्मद अकमल, दिल्ली दंगा पीड़ित(Image: Shiv Maurya/The Quint)

24 फरवरी 2020 को 17 वर्षीय मोहम्मद अकमल (परिवर्तित नाम) को गोली मार दी गई थी, जब वे घर लौट रहे थे. पिछले एक साल से वह बिस्तर पर पड़ा है और उसके पैरों में कोई जान नहीं है.

“24 फरवरी को जब मैं घर लौट रहा था, तो दोपहर 3.30 बजे मेरे घर के पास मुझे गोली लग गई. मुझे ऐसा लगा कि मेरे पैर में कोई इलेक्ट्रिक शॉक लगा और मैं रोड पर ही बेहोश हो गया. इसके बाद जब आंख खुली तो, मैं ऑपरेशन थिएटर में था.”
मोहम्मद अकमल, दिल्ली दंगा पीड़ित

अकमल के परिवार को 2 लाख रुपए का मुआवजा मिला है. जबकि उन्हें 3 लाख रूपए मुआवजे की उम्मीद थी.

बेटी बाप के फोटो को देखकर रोती है

मेरे पति आज जिंदा होते, अगर वे उस रात को घर से नहीं जाते. मेरी बेटी अपने पिता की फोटो को देखकर आज भी रोती है.
गुड्डी, मृतक लोकमान की पत्नी

44 साल के लोकमान, नॉर्थ-इस्ट दिल्ली के रहने वाले थे. जिन्हें दंगाइयों ने घर लौटते वक्त घेरकर बुरी तरह मारा. लोकमान की पत्नी, गुड्डी ने बताया कि, उनके पति के सिर पर काफी गंभीर चोटें आई थीं, अस्पताल से डिस्चार्ज होने कुछ महीनों बाद जून 2020 में लोकमान की मौत हो गई.

मृतक लोकमान की पत्नी गुड्डी को मुआवजे के तौर पर सिर्फ 20,000 हजार रुपए मिले. अपने पति के इलाज के दौरान उन्होंने गंभीर रूप से घायलों की कैटेगरी के तहत कई बार मुआवजे के लिए आवेदन किया. लेकिन उन्हें और पैसा नहीं मिला.

“मुआवजे के पैसे से बिजनेस शुरू करने में मदद मिलेगी”

मोहम्मद जाकिर उस वक्त दंगाइयों के हत्थे चढ़ गए, जव वे फैक्ट्री से घर लौट रहे थे. मारपीट में उनके दोनों हाथों में फ्रेक्चर हो गया, पैर और जबड़ा भी टूट गया.

“26 फरवरी को सुबह में फैक्ट्री से निकला. इस दौरान मुझे कुछ दंगाइयों ने घेर लिया. उन्होंने मेरा नाम पूछा और पहचान पत्र मांगने लगे. मेरे पास आईडी नहीं थी, तो उन्होंने मेरा फोन चेक किया.”
मोहम्मद जाकिर, दिल्ली दंगा पीड़ित

जाकिर को दिल्ली पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया था. शारीरिक रूप से अक्षम होने पर उन्हें टेलरिंग की जॉब नहीं मिली. जाकिर को एक एनजीओ ने सहायता दी, लेकिन वे दिल्ली सरकार से मुआवजे के तौर पर 2 लाख रुपए चाहते हैं ताकि अपना छोटा सा बिजनेस शुरू कर सकें.

जिंदगी बिल्कुल बर्बाद हो गई, न नौकरी, न सेहत बची

पत्रकार आकाश नापा को दंगों की रिपोर्टिंग के दौरान गोली लग गई. गोली लगने से उनकी सेहत काफी खराब हो गई. कुछ दिनों तक उन्होंने घर से काम किया, लेकिन फरवरी में दुर्भाग्यवश उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.

“गोली लगने से मुझे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मुझे लगातार मेडिकल सेवाओं की जरुरत लगी. मैंने अपनी नौकरी भी खो दी. डॉक्टरों ने आकाश के शरीर में से गोली निकालने से इनकार कर दिया. क्योंकि इससे उनके अंगों को खतरा हो सकता था.”
आकाश नापा, दिल्ली दंगा पीड़ित

आकाश नापा को 2 लाख रुपए का मुआवजा मिला. उन्होंने 5 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी.

गोली मेरे शरीर के अंदर है, मैं काम या पढ़ाई नहीं कर सकता

22 वर्षीय मोहम्मद गुफरान को दंगों के दौरान सीने में उस वक्त गोली लग गई थी, जब वे घर की बालकनी में खड़े थे. गोली उनके सीने में फेफड़ों के पास लगी थी, जिसे डॉक्टरों ने नहीं निकाली.

“गोली अभी भी मेरे शरीर के अंदर है, डॉक्टरों का कहना है कि बुलेट की एक स्मॉल मूवमेंट मेरी जान ले सकती है. इसलिए उन्होंने गोली निकालने से इनकार कर दिया क्योंकि इससे मेरे फेफड़े नष्ट हो सकते हैं.”
मोहम्मद गुफरान, दिल्ली दंगा पीड़ित

दिल्ली दंगा में गोली के शिकार हुए मोहम्मद गुफरान ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें अब तक दिल्ली सरकार से मुआवजा नहीं मिला.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT