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सुप्रीम कोर्ट में 16 और 17 मई की वो दरमियानी रात न होती तो शायद कांग्रेस के लिए कर्नाटक का सवेरा न होता. और अगर इस रात में कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें न चलतीं तो पार्टी में नई जान की सूरत न बन पाती. सिंघवी, उस दिन लड़ाई के मैदान से भले बहुत दूर थे लेकिन जरूरत पड़ी तो तुरंत हाजिर हुए और उसके बाद जो कुछ हुआ उस पर बीते कुछ दिनों में बहुत कुछ लिखा जा चुका है लेकिन बहुत कुछ ऐसा भी है जो आम लोगों तक नहीं पहुंचा. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने खास बातचीत की अभिषेक मनु सिंघवी के साथ. ये बातचीत सिर्फ देश की सबसे ऊंची अदालत में चली आधी रात की कार्रवाई के गिर्द नहीं घूमी बल्कि 2019 की रणनीति से लेकर गठबंधनों के भविष्य तक पर हुई.
कर्नाटक में लगातार बदलते घटनाक्रम के बीच जब कांग्रेस को ये एहसास हो गया कि हालात उसके पक्ष में नहीं रहने वाले तो तुरंत अभिषेक मनु सिंघवी को याद किया गया. लेकिन वो दिल्ली में थे ही नहीं. सिंघवी ने क्विंट को बताया,
कोर्ट के दखल के बाद कर्नाटक में भले कांग्रेस के लिए सरकार बनाने की राह आसान हो गई हो लेकिन पार्टी चाहती है कि राज्यपालों की भूमिका को लेकर दिशा निर्देश साफ रहें. अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुनवाई 10 हफ्ते बाद होगी. सिंघवी ने क्विंट को बताया कि वो राज्यपालों के अधिकारों को लेकर साफगोई चाहते हैं और इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “2019 में कांग्रेस बड़ी भूमिका में उतरेगी. वो सभी दलों को साथ लेकर विपक्षी एकता एकजुट करने में अहम भूमिका निभाएगी. कांग्रेस को अब पीछे हटने की जरूरत नहीं. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रणनीति के साथ उतरेंगे.”
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