advertisement
जीनियस...ये सुनने पर सबसे पहले आपके दिमाग में क्या आता है?
डोनाल्ड ट्रंप, डेक्सटर, मोगैंबो या
अल्बर्ट आइंस्टीन
हां...ये कुछ ठीक लगता है.
अल्बर्ट आइंस्टीन... दुनिया का सबसे मशहूर जीनियस. साल में 1879 जर्मनी में जन्म हुआ. अल्बर्ट आइंस्टीन की जिंदगी में सीखने का सिलसिला 5 साल की उम्र में शुरू हुआ. फिजिक्स की सबसे फेमस इक्वेशन यानी E=mc² को इजात करने का श्रेय इन्हीं को जाता है. लेकिन अभी मैं इस बारे में बात नहीं करने वाला. कुछ ऐसी बात करते हैं जो देश से जुड़ी हो. असल में, क्विंट में हम चीजों को देसी रखना पसंद करते हैं. लेकिन फिर आप पूछेंगे कि अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में देसी कनेक्शन क्या है?
1931 में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधीजी को एक चिट्ठी लिखी. चिट्ठी में उन्होंने राष्ट्रपिता गांधी की तारीफ की. दोनों ने कभी मुलाकात न करने के बावजूद अहिंसा पर अपने विचार बांटे. आइंस्टीन ने लिखा कि कैसे वो उम्मीद करते हैं कि गांधी की अहिंसा के तरीके उस वक्त की दुनिया की दिक्कतें दूर करने में मदद करेंगे.
गांधीजी ने उनकी इस चिट्ठी का जवाब भेजा. गांधीजी ने लिखा कि उन्हें ये जानकर खुशी हुई कि अहिंसा पर उनके काम को पहचाना जा रहा है और वो कभी न कभी आइंस्टीन से अपने आश्रम में मिलना चाहेंगे. अल्बर्ट आइंस्टीन ने ये भी कहा, ‘‘आने वाली पीढ़ियों को मुश्किल से ही यकीन होगा कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान इस धरती पर कभी चला था.’’
वैसे, अहिंसा की ये सारी बातें एटम बॉम्ब के दौर से पहले की हैं.., वही एटम बॉम्ब जिसके बनने में आइंस्टीन का भी रोल था.
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से बुलावा आया. वहां उनकी मुलाकात अल्बर्ट आइंस्टीन से हुई. वहां नेहरू परिवार के कुछ और सदस्य भी थे. नहीं पता कि वहां किस बारे में बात हुई होगी? शायद -- थ्योरी ऑफ रिलेटिव!....विटी के बारे में.!!
भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस को गुमनामी से बाहर लाने में भी अल्बर्ट आइंस्टीन का अहम रोल रहा है. 1961 में बोस ने अाइंस्टीन को अपने काम से जुड़ा एक पेपर भेजा जो उन्हें काफी पसंद आया. आइंस्टीन ने न सिर्फ उसे पब्लिश किया बल्कि बोस को साथ काम करने के लिए बर्लिन आने को भी कहा. बाद में, आइंस्टीन और बोस की इस जोड़ी ने एक बड़ी खोज की जिसे बोस-आइंस्टीन condensate phenomenon कहा जाता है.
लेकिन जानते हैं... सबसे लंबे वक्त तक, आइंस्टीन ने इन भारतीयों के साथ काम नहीं किया. तो फिर किसके साथ? कोई अंदाजा? आइंस्टीन उन्हें रब्बी बुलाते थे. रब्बी यानी रविंद्र नाथ टैगोर. 14 जुलाई 1930 का दिन था जब टैगोर ने आइंस्टीन से उनके बर्लिन वाले घर में ही मुलाकात की. दोनों के बीच इतिहास की सबसे बेहतरीन चर्चाओं में से एक हुई. एक ऐसा इंटेलिजेंट डिस्कशन जिसको लेकर पूरी दुनिया की मीडिया में सनसनी फैल गई. दोनों के बीच ये कोई आखिरी मुलाकात नहीं थी. इसके बाद भी दोनों चिट्ठियों के जरिए बात करते रहे.
यह भी पढ़ें: 28 फरवरी को इसलिए मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)