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उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले में पिछले महीने हुई हत्याओं ने सनसनी फैला दी. जिन छह लोगों की हत्याएं अलग-अलग मौकों पर हुईं उनमें से दो साधु थे जबकि एक दंपति यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह के दूर के रिश्तेदार थे.
अलीगढ़ का अतरौली क्षेत्र और आस-पास के इलाके में बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह का प्रभाव माना जाता है. उनके बेटे राजवीर सिंह एटा लोकसभा से सांसद हैं और पोते संदीप सिंह कल्याण सिंह के पूर्व चुनाव क्षेत्र अतरौली से विधायक और योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं.
मारे गए 2 में से एक साधु रुप सिंह के परिवार वालों का कहना है कि पुलिस ने राजवीर सिंह के दबाव में आकर गिरफ्तारी की थी. उन्होंने असली मुजरिम को नहीं पकड़ा था.
हरदुआगंज के रहने वाले साधु रुप सिंह और दंपति की हत्या एक ही रात हुई थी.
मुठभेड़ से पहले, पुलिस ने 18 सितंबर को पांच अन्य लोगों - सबीर, नदीम, मुस्तकीम के भाई सलमान और अतरौली के दो निवासियों, डॉ यासीन और इरफान को गिरफ्तार किया था- जो अब पुलिस हिरासत में हैं. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पुलिस ने दावा किया कि तीन अन्य- नौशाद, मुस्तकीम और अफसार फरार थे. नौशाद और मुस्तकीम को यूपी पुलिस ने 20 सितंबर के एनकाउंटर में मार गिराया.
नौशाद और मुस्तकीम के परिवार वालों का कहना है कि दोनों लड़कें बेकसूर थे. उनका मानना है कि पुलिस ने हत्या का आरोप लगाकर उनका फर्जी एनकाउंटर किया है.
20 सितंबर 2018 की सुबह कुछ पत्रकारों को कवरेज के लिए बुलाया गया था. बताए गए जगह पर पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि एनकाउंटर चल रहा है और पुलिस अपनी पोजिशन लिए सतर्कता के साथ खड़ी है. कुछ ही मिनट में वहां से दो पुलिस वैन निकली. गाड़ियों को पुलिस अफसरों ने घेर रखा था जिस वजह से ये देखना नामुमकिन था कि उन गाड़ियों में क्या ले जाया जा रहा है.
यूपी पुलिस ने घोषणा की कि उन्होंने मुस्तकीम और नौशाद को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. लेकिन मीडिया को उनकी लाश की एक झलक देखने का मौका नहीं दिया. एनकाउंटर साइट पर ‘कवरेज’ के लिए बुलाए गए दो पत्रकारों ने क्विंट को बताया कि वो मुस्तकीम और नौशाद को जिंदा या मुर्दा, किसी भी हालत में नहीं देख पाए.
क्विंट के ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान हमने घटना से जुड़े कई लोगों की बातें सुनीं लेकिन कुछ सवाल अब भी रह गए हैं, जिनके जवाब नहीं मिलें.
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