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‘फेक’ एनकाउंटर के कारण बॉडी बिल्डर को मार गया लकवा

26 साल के जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव योगी के ‘एनकाउंटर राज’ के शिकार

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'मुझे ये भी उम्मीद नहीं कि मैं ठीक हो पाऊंगा या नहीं, अपने परिवार के साथ दोबारा पहले की तरह रह पाऊंगा या नहीं. उसका (आरोपी सब इंस्पेक्टर) क्या है, वो तो जमानत पर बाहर आ ही जाएगा. जिंदगी तो मेरी खराब हुई है न...'

3 फरवरी 2018 को नोएडा के पर्थला खंजरपुर में 26 साल के जितेंद्र यादव की जिंदगी मानो थम सी गयी. सब इंस्पेक्टर और 3 हवलदारों से तकरार में गोली चली और वो गोली जितेंद्र की गर्दन में लगी. नतीजा, उनकी रीढ़ की हड्डी में जख्‍म हो गया.

फरवरी की घटना के बाद जितेंद्र के शारीर का निचला हिस्सा अब बेजान हो गया है, जिसके कारण वो बिस्तर से उठ नहीं सकते हैं. वो जिम जाना और जिम में लोगों को ट्रेन करना बहुत मिस करते हैं.

पहले पूरे दिन जिम में रहता था. अब 24 घंटे बिस्तर और व्हीलचेयर पर रहता हूं. जिम से जो 70-80 हजार रुपये कमाता था, उसका नुकसान हो रहा है.
जितेंद्र यादव, पीड़ित जिम ट्रेनर
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उस हादसे को याद करते हुए जितेंद्र बताते हैं कि कैसे वो इस 'फेक' एनकाउंटर का शिकार हुए:

सेक्टर 122 में अपने दोस्तों को ड्रॉप कर रहा था, तभी पीछे से एक कार में 4 पुलिसवाले आते हैं. उन्होंने कहा, “तुम्हें पता नहीं है, योगी जी का आदेश है कि रात 9 बजे के बाद दो से ज्यादा लड़के इस तरह खड़े नहीं हो सकते.” जबर्दस्ती मारपीट करने लगे, विरोध करने पर विजय दर्शन शर्मा ने पिस्टल निकाली और मेरी गर्दन पर शूट कर दिया.
जितेंद्र यादव, पीड़ित जिम ट्रेनर

जितेंद्र के मुताबिक, मामूली कहा-सुनी झगड़े में बदल गयी और पुलिसवाले ने बंदूक निकलकर जितेंद्र को शूट कर दिया.

खुद विजय दर्शन शर्मा ने कहा था कि बहुत दिनों से मेरा प्रमोशन नहीं हुआ है. लगता है तुममें से एकाध को चटका कर प्रमोशन मिलेगा.
जितेंद्र यादव, पीड़ित जिम ट्रेनर
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मुश्किल से जुटा पाते हैं इलाज का खर्च

जितेंद्र के इलाज के लिए हर महीने 1-1.5 लाख खर्च होते हैं. डॉक्टर कह रहे हैं कि अगर अच्छा इलाज मिले, तो शायद साल-दो साल में कामयाबी मिल सकती है.

रिश्तेदारों से कर्ज लेकर जितेंद्र का इलाज करा रहे हैं. सरकार से मदद मांगते हैं, तो कोई मिलने को भी तैयार नहीं है. पिता को इतना सदमा पहुंचा कि आए दिन बीमार पड़ जाते हैं. 
सुमन यादव, जितेंद्र की मां

जितेंद्र के परिवार को भेदभाव का अहसास

विवेक तिवारी शूटआउट के बाद सरकार की प्रतिक्रिया देखकर जितेंद्र के परिवार को भेदभाव का अहसास हो रहा है.

उनके(विवेक तिवारी) परिवार को 24 घंटे में सारी सुविधाएं दे दी गईं. पिताजी किसान हैं, जैसे-तैसे मैनेज कर पा रहे हैं. पिताजी जाते हैं, तो धक्का-मुक्की करके भगा देते हैं. उन्हें मिलने (संबंधित अधिकारियों से) भी नहीं दिया जाता. जब योगीजी और मोदीजी उद्घाटन के लिए आए थे, तो पिताजी वहां गए थे, लेकिन ये पता चलते ही कि जितेंद्र के मामले में मिलने आए हैं, उन्हें वहां से भगा दिया गया.
जितेंद्र यादव, पीड़ित जिम ट्रेनर

जितेंद्र के पिता नेपाल सिंह का कहना है, '‘शासन-प्रशासन ने हमारे लिए आज तक कुछ नहीं किया. साफ दिख रहा है कि सरकार भेदभाव कर रही है, क्योंकि वो तिवारी (विवेक) हैं, हम यादव हैं.’'

फर्जी एनकाउंटरों को लेकर योगी सरकार की बेरुखी देखकर जितेंद्र यादव के परिवार ने आर्थिक मदद के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है.

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