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पिछले महीने जब वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी, तब विशेषज्ञों और आम लोगों को समान रूप से एक जोरदार झटका लगा. यह साफ हो गया कि अर्थव्यवस्था में जिस सुस्ती की चर्चा चल रही थी, उसने सभी क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमा ली. हरियाणा के अलियर में स्थानीय बाजार में आर्थिक मंदी का सही तौर पर पता चलता है, जिसने देश को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया है.
बाजार में सब्जी विक्रेता किशन सिंह ने द क्विंट को बताया. “हम 10-12 साल से यहां रह रहे हैं लेकिन ऐसी मंदी पहले कभी नहीं आई. मेरी बिक्री में 60 प्रतिशत की गिरावट आई है. अगर मैं पहले एक रुपया कमाता था, तो अब मैं केवल 40 पैसे कमाता हूं.”
एक कपड़ा विक्रेता नीरज कुमार ने कहा, "अगर कारोबार की मौजूदा स्थिति जारी रहती है, तो हममें से ज्यादातर लोगों को दुकानें बंद करनी पड़ेंगी." उसने कहा कि अगर उसके दूकान की बिक्री नहीं बढ़ी, तो आने वाले त्योहारी सीजन में उसे बिहार में अपने गांव वापस जाना पड़ेगा.
इस संकट के पीछे के कारण के बारे में पूछे जाने पर, स्थानीय व्यापारियों ने एकमत से मारुति और क्षेत्र की अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों में मंदी को जिम्मेदार ठहराया.
मंदी का व्यापक असर अलियार में भी देखा जा सकता है क्योंकि खर्च में कटौती करने के लिए कई दुकानदारों ने अपने यहां काम पर रखे गए कर्मचारियों को हटा दिया है.
एक सेलून के मालिक रविंदर ने कहा. "पहले मेरे पास दो कर्मचारी हुआ करते थे लेकिन अब मैं खुद के लिए सक्षम नहीं हूं. मैं उन्हें कैसे रख सकता हूं? मुझे उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए कहना पड़ा.“
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