advertisement
उत्तराखंड में चार धाम प्रोजेक्ट (ऑल वेदर रोड) और केदारनाथ मंदिर के आस पास हो रहे पुनर्निर्माण को लेकर सरकार और पर्यावरणविद आमने-सामने हैं. 27 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12,000 करोड़ की चार धाम महामार्ग विकास परियोजना का शिलान्यास किया था. इसका मकसद उत्तराखंड में चारों धामों के लिए सड़कों को दुरुस्त करना है.
इस परियोजना में 900 किलोमीटर लंबी सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है. लेकिन पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में पेड़ों और पहाड़ों को काटने के तरीकों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
गढ़वाल यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के हेड प्रोफेसर आरसी शर्मा के मुताबिक,
ऑल वेदर रोड बनाने को लेकर अब तक 25,000 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं. कई जगह सड़कों के चौड़ीकरण के लिए पहाड़ों को काटने के तरीके पर भी सवाल उठ रहे हैं.
आरसी शर्मा के मुताबिक,
पहाड़ों को 80 या 90 डिग्री के एंगल पर नहीं काटा जाता. इसे स्लोप में काटा जाता है, जिससे लैंडस्लाइड होने की संभावना काफी कम होती है. ऋषिकेश से सोनप्रयाग के बीच कई जगहों पर हमें पहाड़ 90 डिग्री के एंगल पर कटे हुए दिखे. मॉनसून के दौरान यहां काफी बारिश होती है जिससे यहां लैंडस्लाइड होने का खतरा बढ़ जाता है.
पहाड़ों से निकले मलबे की डंपिंग नीति पर भी सवाल उठ रहे हैं. मोड़ों पर डंपिंग की जा रही है, कई जगहों पर ऐसे मोड हैं जहां बरसाती झरना या गदेरा नीचे आता है. इनके लिए रास्ता नहीं दिया गया है. बारिश के दौरान इससे नदी और डंपिंग दोनों को नुकसान होगा.
केदारघाटी भी पर्यावरण के लिहाज से काफी संवेदनशील है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, 2013 त्रासदी के बाद हमने सबक नहीं लिया है. आपदा के बाद कई समितियां बनाई गईं, लेकिन उनकी सिफारिशों पर अब तक अमल नहीं किया गया.
Map the Neighborhoood in Uttarakhand कमेटी के सदस्य और वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के मुताबिक,
ऑल वेदर रोड और केदारनाथ में पुर्ननिर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स हैं. लेकिन विकास के नाम पर जल्दबाजी और कहीं एक और महाआपदा की नींव तो नहीं पड़ रही?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)