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भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में गुरुवार, 10 फरवरी से वोटिंग शुरू होने जा रही है. सभी राजनीतिक दल इस चुनावी समर में कूदने को बिल्कुल तैयार हैं. जनता के सामने इस बात को लेकर कश्मकश जैसी स्थिति है कि वो किस दल के नेता को अपना रहनुमा चुने क्योंकि चुनाव में एक सीट के लिए कई राजनीतिक दल ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारते हैं. ऐसे में जनता को वोट करने से पहले क्या सोचना चाहिए?
एक आम मतदाता को वोट करने से पहले किन चीजों का खयाल रखना चाहिए, समझिए इस कविता से...
सपनों की भीगी आंखों से, हर थके हुए उन हाथों से,
जिनके हिस्से में दुनिया सारी भरी हुई है राखों से.
उन सबसे मेरा कहना है, सारी बातों को नोट करो,
अब वक्त तुम्हारा आया है तुम सोच-सोच कर वोट करो.
सोचना ये कि है कौन सबसे जुदा,
सोचना कौन खुद नहीं बनता खुदा.
सोचना कौन है नौजवानों के साथ,
सोचना कौन है उन किसानों के साथ.
सोचना किसमें अल्फाज-ए-नफरत नहीं,
सोचना किसको तुमसे मोहब्बत नहीं.
सोचना किसका है ख्वाब केवल सत्ता,
सोचना किन दलों में है नफरती जत्था.
किसने-किसने वतन की आंखें नम किया,
सोचना कौन था हिन्दू-मुस्लिम किया.
जा रहे हो आप चुनने अपना विधायक,
सोचना कौन है वोट पाने के लायक.
वोट ऐसा करना कि तरक्की शोर हो,
वोट उसको करना जो नहीं चोर हो.
सोचना आपका नेता जाहिल न हो,
चुनना ऐसा लीडर कि जो कातिल न हो.
वक्त ऐसा मिले कि वो रूठा न हो,
सोचना रहनुमा अपना झूठा न हो.
जिस दिन निकलोगे आप वोट की उस डगर,
नजर आता नहीं कोई ऐसा अगर.
तो फिर इसका भी है इक इलाज अपने पास,
प्रेस करना NOTA और कर देना पास.
क्योंकि गर नहीं समझते वो हमारा एहसास,
तो फिर हम ही बनें क्यों उनकी कोई आस.
ख्वाब है कि नहीं होगी लंबी रात,
याद रखना मेरी छोटी, इक और बात.
कोई ताकत चली आए झुकना नहीं,
वोट के बदले पैसों पे बिकना नहीं.
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