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महिलाएं 60 दिन से सुबह घर-खेत में काम कर रहीं, शाम को अपनी जमीन बचाने का आंदोलन

मेधा पाटेकर ने आरोप लगाया कि बिना लोगों की परमिशन के यहां के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है.

पीयूष राय & अवनीश उपाध्याय
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महिलाएं 60 दिन से सुबह घर-खेत में काम कर रही हैं, शाम को जमीन बचाने का आंदोलन

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

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Azamgarh Airport Expansion Protest: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आजमगढ़ एयरपोर्ट (Azamgarh Airport) के विस्तारीकरण का विरोध तेज हो गया है. पिछले करीब दो महीने पहले इस आन्दोलन की शुरुआत हुई थी. अब आन्दोलन को धार देने के लिए किसान व सामाजिक नेता भी पहुंच रहे हैं. जिसके बाद पूरे इलाके में किसान, मजदूर भी अपने कामों के साथ ही आंदोलन में शामिल हो रहे हैं.

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आंदोलन में शामिल अधिकतर किसान हैं. जो हर दिन खेतों में काम के लिए जाते हैं. महिलाएं घर सहित खेतों को भी देखती हैं. लेकिन अपने रोजाना के काम के साथ ही आंदोलन को लगातार तेज और आगे बढ़ा रही हैं.

आंदोलन को मजबूती देने पहुंची मेधा पाटेकर 

आजमगढ़ एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के खिलाफ आजमगढ़ जनपद के जमुआ हरिराम गांव में पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने प्रदेश और केन्द्र सरकार को घेरते हुए कहा कि,

"सरकार यहां के लोगों के हरे-भरे किसानों के खेत, आवास को उजाड़ने की साजिश कर रही है. उन्होने कहा कि आज सबसे महत्वपूर्ण पहलू है रोजगार, उसका आधार है खेती लेकिन सरकार खेती योग्य भूमि को हवाई अड्डे के लिए पूंजीपतियों को देने में जुटी है."
मेधा पाटेकर, सामाजिक कार्यकर्ता

मेधा पाटेकर ने जिला प्रशासन के जारी आंकड़े को हास्यापद बतातें हुए कहा कि अगर 17 गांवों में सिर्फ 783 मकान एयरपोर्ट में जा रहे हैं तो हमें ये मंजूर नहीं है. उन्होंने कहा कि आज की सरकार भूमि अधिग्रहण कानून व संविधान को भी नहीं मानती है.

यही दुःख और दर्द की बात है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो खेती, हरे-भरे पेड़, भूजल, नदिया व आक्सीजन भी नहीं बचेगा और कोरोना की तहर और भी खतरनाक वायरस आ जायेगें, पर ये जो विकास के नाम पर गैर बराबरी बढ़ाने वाला विस्थापन और विनाश करने वाला जो वायरस है ये सबसे खतरनाक है. इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए हम सब लोग यहां पर आए है."

मेधा पाटेकर ने कहा कि बिना लोगों की परमिशन के यहां के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. यहां पर एक बार भी प्रशासन नहीं आया. ड्रोन से सर्वे कर लिया गया, ऐसा नहीं होता है.

मेधा पाटेकर ने कहा कि हम आन्दोलन को अहिंसक व सत्याग्रह के मार्ग पर चलाना चाहते हैं. हम महात्मा गांधी और डॉक्टर आंबेडकर को मानते हैं. उन्होंने कहा कि आज देश में संपूर्ण क्रांति की जरूरत है.

13 महिनों में 715 किसानों की शहादत देने के बाद कृषि कानून वापस हुआ. अब ये 29 श्रमिक कानूनों को भी वापस ले रहे हैं और चार नये कानून थोप रहे हैं. पीएम मोदी का बिना नाम लिए मेधा पाटेकर ने कहा कि हर मुद्दे पर ऐसा ही होता है वे अड़ंगा लगाते हैं लेकिन जब चुनाव नजदीक आता है तो झुकते है.

पूनम पंडित भी आंदोलन से जुड़ीं 

वहीं किसान आंदोलन के दौरान चर्चित हुई पूनम पंडित ने कहा कि, "किसान आंदोलन के दौरान भी सरकार जुमलेबाजी कर रही थी और यहां भी जुमलेबाजी की जा रही है. उन्होंने कहा कि आज आजमगढ़ में कितने लोगों को एयरपोर्ट की जरूरत है.

जिस तरह से सरकार किसान आंदोलन में 715 किसानों की शहादत के बाद बैकफुट पर आकर कृषि कानून को वापस ली यहां भी सरकार को पीछे हटना पड़ेगा. पूनम पंडित ने कहा कि आजमगढ़ में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए शासन-प्रशासन आंदोलनरत महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है जो सरासर गलत है."

स्थानीय निवासी बोले 'हम बहुत परेशानी में हैं'

आन्दोलन में भाग लेने आई जमुआ की कंचन बताती हैं कि आंदोलन में शामिल होने के लिए सुबह से ही तैयारी करती है. बच्चों को स्कूल भेजन के लिए नाश्ता बनाकर व घर के काम निपटाकर वे आन्दोलन में शामिल होती हैं. कहती हैं कि एक दो बिस्वा ही सही अपनी भूमि व झोपड़ी को बचाने के लिए आंदोलन में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहीं हैं.

धर्मेन्द्र कुमार जो टीन डालकर रहते हैं वे कहते है कि वो मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते है. उनका कहना है कि वे इसी झोपड़ी के मकान में रहते है. जैसे तैसे सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाते है और धरने में शामिल होते हैं. अब ऐसा लगता है कि जैसे जिन्दगी धरने में ही बीत जाएगी. हम बहुत परेशानी में हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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