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वीडियो एडिटर- विवेक गुप्ता
‘उपहास योग’ सुना है? ‘निर्दयी योग’? ‘मूर्ख योग ‘तो सुना होगा? ‘Mockery Yoga’? नहीं सुना है तो ये पढ़िए. "मरा जा रहा है.. मर गए बाबा जी.. बेड कम पड़ गए, हॉस्पीटल कम पड़ गए, दवा कम पड़ गई श्मशान कम पड़ गए फूंकने के लिए.. चारों तरफ नकारात्मक वातावर्ण बना रखा है." ये कहना है योग गुरू बाबा रामदेव का.
'कोरोना की दवा कोरोनिल' के नाम पर देश को 'मूर्ख योग' कराने के बाद बाबा रामदेव फिलहाल 'उपहास योग' सिखा रहे हैं. रामदेव कह रहे हैं, “भगवान ने मुफ्त में ऑक्सीजन दे रखा है. ऑक्सीजन की कमी पड़ रही है... भगवान ने सारा ब्रह्मांड भर रखा है ऑक्सीजन से. ले तो ले बावले." और कमाल है कि बावले जो हैं वो ऑक्सीजन ले नहीं रहे हैं.
एक और हैं. कंगना रनौत. योग करती हुई तस्वीर शेयर करती हैं और जो वायरस ढाई लाख से ज्यादा भारतीयों को लील चुका है, उसे छोटामोटा फ्लू बताती हैं. कुछ और लोग हैं जो मौत के सामने खड़े लोगों को पॉजिटिव रहने का पाठ पढ़ा रहे हैं. मौतों पर ये mockery over death योग करेंगे तो हम पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?
शव योग समझते हैं? चलिए कोई नहीं, मतलब हम समझाते हैं. दरअसल बाबा रामदेव कहते हैं, “बाहर सिलेंडर ढूंढ रहे हैं. अपने भीतर दो सिलेंडर लगा रखे हैं. भर. सिलेंडर कम पड़ गए.”
इससे पहले मरने वाले योग विज्ञान के सबसे सरल योग को अपनाते हैं. सुखासन जैसा ही है.. अस्पताल के बेड पर प्राणायाम सॉरी बेड को प्रणाम करते हैं.
क्या अस्पताल में जो लोग ऑक्सीजन मास्क लगाए लेटे हैं वो सुखासन कर रहे हैं, सुख से पड़े हुए हैं. और हां, ये लोग मूर्ख नहीं हैं ये लोग कि दो सिलेंडर मतलब नाक है फिर भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. बाबा ये कहना चाहते हैं क्या कि अजब ही मरने का चलन चला हुआ है. बस कि मर जाना है और 'सिस्टम' को बदनाम करना है.
भले ही रामदेव सच से दूर 'निद्रा योग' कर रहे हों, या अनदेखा-सन कर रहे हों लेकिन नदी, श्मशान, कब्रिस्तान, रेत हर जगह लाशें जमा हैं, और सच ये है कि जब किसी की सांसे रुक रही हों तो उस वक्त 'उपहास योग' नहीं करते हैं..
ऐसे बाबा जो कह और कर रहे हैं वो इस देश के लिए नया नहीं है. इसलिए बाबा ये सब कह पा रहे हैं...
दरअसल, एक और योग है उसका नाम है 'झूठ योग'. पिछले साल योगगुरू बाबा रामदेव ने पतंजलि की कोरोनिल लॉन्च की. दावा किया कि ये कोरोना के इलाज में कारगर है. ये दवा बिना आयुष मंत्रालय की इजाजत के ही लॉन्च कर दी गई थी. आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से ट्रायल्स का हिसाब मांगा और अनुमति न लेने पर फटकार भी लगाई. बाबा के दावे फेल साबित हुए, लेकिन जब कोरोनिल को दवा के रूप में बेचे जाने की मंजूरी नहीं मिली तो इसे इम्यूनिटी बुस्टर के रूप में बेचा जाने लगा.
साल 2021 में बाबा रामदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की मौजूदगी में कोरोनिल की रीलॉन्चिंग की. ये दावा किया गया कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सर्टिफाइड कर दिया है. पहले बाबा रामदेव और पतंजलि के ट्विटर हैंडल से ये झूठ फैलाया गया, फिर बाद में पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने ही सफाई दे दी कि सर्टिफिकेट WHO नहीं भारत सरकार ने दिया है.
अब कुछ सवाल है जो सिर्फ बाबा राम देव से ही नहीं बल्कि मीडिया और अंध-भक्तों से भी है.
भले ही इन चीजों को रोकने के लिए जिम्मेदार लोग मुंहफेर योग में लगे रहें. लेकिन हम 'सवाल-आसन' या कहें 'प्रश्न योग' करते रहेंगे..जनाब ऐसे कैसे?
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