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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
'दिल्ली एनसीआर में आने वाला है बड़ा भूकंप- वैज्ञानिकों का दावा'- ये कोई व्यंग्य नहीं है, ये हकीकत की हेडलाइन है और ये हेडलाइन बड़े सवाल की ओर इशारा कर रही है, जो दिल्ली एनसीआर के लोग पूछ रहे हैं, जिसपर मीडिया में शोर है- क्या वाकई बड़ा भूकंप दिल्ली एनसीआर में आने वाला है? सीधा जवाब है - नहीं. क्यों ये समझ लीजिए...
न वैज्ञानिक, न नेता, न आपके पसंदीदा एंकर, न आपके पड़ोसी, न आपके पापा और न ही आपकी पालतू बिल्ली भूकंप की भविष्यवाणी कर सकती है. विज्ञान की नजर देखें तो कोई इसकी गारंटी नहीं दे सकता कि कल भूकंप आएगा या नहीं? अफसोस आज हम ऐसी सुर्खियों से घिरे हैं जो हमें भ्रम में डालती हैं या आधी सच्चाई बताती हैं, और हम उनके फेर में पड़ जाते हैं. तो चलिए कुछ हेडलाइन को डिकोड करते हैं
‘दिल्ली के पास आज 2.1 की कम तीव्रता का भूकंप आया. एनसीआर में पिछले दो महीने के अंदर आया आया ये 13वां भूकंप है’
सच्चाई ये है कि धरती पर हर साल रिक्टर स्केल पर
अब एक और हेडलाइन को तौलते हैं, इसका मकसद एक ही है आपका ध्यान खींचना- ‘पाताललोक से आ रहा है जलजला’ और उसके नीचे के मेन पॉइंट देखिए, सब एक से एक डरावने
क्योंकि ये सेस्मिक जोन 4 में है. भूकंप के लिहाज से दिल्ली खतरनाक इलाका है लेकिन इसी तरह पूर्वी यूपी, पंजाब-हरियाणा के कुछ हिस्से, पूरा उत्तराखंड और हिमाचल है, ज्यादातर कश्मीर और बिहार-बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश का भी यही हाल है. लेकिन इसका मतलब सिर्फ इतना है कि खतरा है, इसका मतलब है कि यहां 6.5 तक का भूकंप आ सकता है. इसका मतलब ये नहीं है कि कल होगा, या कितना बड़ा होगा
ये हेडलाइन इसलिए ऐसी है क्योंकि हम मीडिया वाले सीधे सादे वैज्ञानिकों से उल्टा सवाल पूछते हैं
मीडिया पूछता है- क्या दिल्ली में भूकंप आ सकता है, एक बड़ा भूकंप? भूगर्भ वैज्ञानिक जवाब देता है- हां
लेकिन इससे पहले कि वो आगे समझाए हम शोर मचाने लगते हैं. इससे पहले एक्सपर्ट अपनी बात पूरी कर पाए, मीडिया उसे चुप करा देता है. शुक्रिया. मुझे मेरी हेडलाइन मिलगई- ‘टॉप वैज्ञानिक ने जताई चिंता दिल्ली में कल आ सकता है बड़ा भूकंप’. लेकिन जरा रुकिए, आप अगर उनसे ये पूछते तो अगर दिल्ली में परसों या अगले महीने या अगले साल भूकंप आ सकता है? तो वो कहते ये सब हो सकता है.
अगर आप उनसे आगे पूछते, क्या ये बड़ा भूकंप अगले महीने या अगले साल आ सकता है...वो कहते - दोनों संभव है. लेकिन चूंकि इन सवालों से हमें कोई हाहाकारी हेडलाइन नहीं मिलती इसलिए या तो हम ये सवाल पूछते ही नहीं है और पूछते भी हैं तो इनके जवाबों पर तवज्जो नहीं देते हैं. और इस क्रम में हम जरूरी बातें दबा जाते हैं.
ट्विटर और वॉट्सऐप पर खूब चर्चा हो रही है - लोग दिल्ली के सिस्मिक फॉल्ट लाइन के बारे में बता रहे हैं, बता रहे हैं कि दिल्ली में पिछले एक महीने में 13 कि 11 कि 16 भूकंप आए....आगाह कर रहे हैं कि बड़े भूकंप के लिए तैयार हो जाओ...ये भी सुझा रहे हैं कि भूकंप आ जाए उससे पहेल क्या-क्या पैक करके रख लो, हमारे ऊपर ही ये आपदा क्यों, अभी क्यों, और न जाने, क्या-क्या.
मुमकिन है कि ये जो इंडिया है ना इस वक्त एकदम असहाय महसूस कर रहा हो, क्योंकि 8000 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले कोविड 19 को लेकर हम पहले से ही परेशान हैं. हम आर्थिक मंदी का बोझ उठा रहे हैं. बंगाल में फिर और फिर मुंबई में चक्रवात आ रहा है. इतनी ज्यादा बुरी खबरें आ रही हैं कि दिल्ली में बड़े भूकंप की बात से ही हम सिहर जाते हैं. लेकिन इस डर से निकलिए और साइंस की शरण में आइए. तब आपको पता चलाकि कि धरती के नीचे हर रोज सैकड़ों ऐसी छोटी हलचल होती रहती है. अपनी धरती ऐसी ही है .
ये जो इंडिया है ना, ये भले ही किसी भूकंप की भविष्यवाणी नहीं कर सकता, भले ही नहीं पता लगा सकता कि भूकंप कब और कहा आएगा, कितना बड़ा होगा, लेकिन जो हम कर सकते हैं वो ये है कि हम अपनी सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम कर सकते हैं. उदाहरण के लिए दिल्ल-एनसीआर में, सिस्मिक जोन 4 में है, जो हिमालय से महज 250-300 किलोमीटर दूर है , जहां 7 और 8 स्केल के भूकंप हर कुछ साल में आते रहते हैं.
हम ये कर सकते हैं कि हम अपने बिल्डरों और सरकारों पर दबाव डालें कि वो हमारे घर, दफ्तर, मॉल, अस्पताल और स्कूल भूकंप रोधी बनाएं. हम ये जानकारी रखें कि भूकंप आए तो हमें क्या करना है. हम यही कर सकते हैं, सुरक्षित रहें और सही जानकरी रखें.
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