Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस कानून बना नहीं,पुलिस ‘घूंसे’ चलाने लगी?

बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस कानून बना नहीं,पुलिस ‘घूंसे’ चलाने लगी?

22 मार्च को बिहार और बिहारियों ने बिहार दिवस मनाया और 23 मार्च को “विधायक पिटाई दिवस’.

शादाब मोइज़ी
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बिहार विधानसभा में MLA की पिटाई
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बिहार विधानसभा में MLA की पिटाई
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर- संदीप सुमन

कैमरा- शिव कुमार मौर्या

लात मारती पुलिस, सर और गर्दन पर मुक्के से ताबड़तोड़ हमला, अपराधियों की तरह विधायकों की पिटाई. कुछ गिरते-पड़ते सदन से बाहर आ रहे तो कुछ को सुरक्षाकर्मी घसीट रहे.

ये सब किसी जंगल में नहीं बल्कि जंगलराज, जंगलराज का नारा देने वाले नीतीश कुमार के बिहार में हो रहा था. वो भी बिहार की विधानसभा में. अपने पिछड़ेपन और जंगलराज के टैग को हटाने में जुटे बिहार और बिहारी ऐसे 'जंगली बर्ताव' पर पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

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22 मार्च को बिहार और बिहारियों ने बिहार दिवस मनाया और 23 मार्च को "विधायक पिटाई दिवस'.. दरअसल, नीतीश कुमार और बीजेपी की सरकार बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधयेक मतलब (Bihar Special Armed Police Bill, 2021) लेकर आई थी. बिल के विरोध में सुबह हंगामे से सदन के सत्र की शुरुआत हुई और शाम होते-होते मामला पिटाई-कुटाई तक पहुंच गया.

विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक जब स्पीकर के टेबल पर था, तो आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के विधायक बिल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगे, कुछ विाधायक कॉपी फाड़ने की कोशिश करने लगे. कई विधायक स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गए.

विपक्षी विधायकों ने बिल के विरोध में स्पीकर के ऑफिस को घेर लिया. विधानसभा अध्यक्ष के चेंबर के बाहर धरने पर बैठ गए. फिर विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शल के अलावा भारी पुलिस बल को बुला लिया. पटना के डीएम से लेकर एसपी तक पहुंच गए.

फिर क्या था एक के बाद एक विधायकों को खींच-खींचकर विधानसभा से बाहर फेंका गया, जो नहीं मान रहे थे, उनको घसीटते हुए बाहर निकाला गया.

रोहतास के करगहर से कांग्रेस विधायक संतोष मिश्रा को पुलिस ने विधानसभा पोर्टिको में जूते से मारा. काफी दूर तक उनको घसीटा भी गया. यही नहीं विधानसभा के अंदर भी उन्हें पीटा गया.

लेफ्ट के विधायक सुदामा प्रसाद, CPM विधायक डॉक्टर सतेंद्र यादव, संतोष मिश्रा को घसीटा गया. पूर्व मंत्री और विधायक अनिता देवी को घसीटकर बाहर लाया गया. यही नहीं आरजेडी विधायक सतीश दास को स्ट्रेचर पर लाद कर अस्पताल में भर्ती कराया गया.

सवाल ये है कि ये सब क्यों हुआ..

दरअसल, बिहार की एनडीए सरकार ने विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधयेक पास करा लिया है. विपक्ष को इसमें कुछ प्वाइंट से दिक्कत है.

  • बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 में किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट या मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत नहीं होगी.
  • बिल के प्वाइंट नंबर 8 में ये भी लिखा है कि विशेष सशस्त्र पुलिस बिना वारंट के किसी की तलाशी कर सकेगी, उसे लगे कि किसी ने अपराध किया है तो सिर्फ आधार पर गिरफ्तार सकती है.
बिहार सरकार का कहना है कि राज्य की सीमाएं 3 राज्यों के साथ लगती है. नेपाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी है. आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना है, स्किल्ड ट्रेंड और पूरी तरह सुसज्जित आर्म्ड पुलिस फोर्स की जरूरत है.

सीएम नीतीश कुमार कह रहे हैं कि इसका विरोध करने वाले इस विधेयक को गौर से पहले पढ़ लें. बिना पढ़े अफवाह फैलायी जा रही है. नीतीश कह रहे हैं कि अगर विपक्ष चर्चा में भाग लेता, तो सारे सवालों का जवाब दिया जाता. विपक्षी नेता तेजस्वी कह रहे हैं कि जब वो अपनी बात रख रहे था तो जबरदस्ती बिल पेश किया गया,बोलने नहीं दिया गया.हालांकि नीतीश कुमार ने ये जरूर माना है कि अधिकारियों ने गलती की.

लेकिन सिर्फ शब्दों में गलती मानने से क्या, एक्शन में भी दिखना चाहिए. दरअसल बिहार की बदनामी का जो क्लाईमेक्स आज देश ने देखा उसकी पटकथा काफी पहले से लिखी जा रही थी. बिल्टअप लगातार हो रहा था. हाल फिलहाल सदन के अंदर बार-बार मर्यादा का उल्लंघन हुआ, शिष्टाचार तार-तार हुई, बार-बार हुई.

सदन की मर्यादा पर बार-बार हमला

  • चाहे खुद सीएम नीतीश कुमार ही क्यों न हों. सीएम नीतीश कुमार को सदन में इतना गुस्सा आ गया कि स्पीकर की जगह खुद ही आरजेडी के सदस्य सुबोध कुमार को बैठने के लिए डांटने लगे और नियम बताने लगे.
  • शिष्टाचार की बात करें तो आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र ने स्पीकर को ऊंगली दिखाकर ये तक कह दिया कि हर समय कहिएगा कि बैठ जाइए, बैठ जाइए तो हम यहां क्यों आएंगे.
  • इस 'शिष्टाचार' की रेस में बीजेपी भला कहां पीछे रहने वाली. बीजेपी कोटे से राज्य के पंचायती राज मंत्री बने सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को ज्यादा व्याकुल न होने की नसीहत तक दे दी. सम्राट चौधरी ने कहा कि ऐसे सदन नहीं चलेगा, व्याकुल नहीं होना है.

आज नीतीश गलती की बात कर रहे हैं लेकिन नजीर वो खुद पेश कर चुके हैं. गुस्सा, डांट डपट, ये सब क्या संसदीय परिपाटी है. जो विपक्ष फाउल प्ले की शिकायत कर रहा है वो खुद की गिरेबां में झाकें और सोचे कि एक लोकतांत्रिक सेटअप में स्पीकर को उनके कमरे का घेराव करने की क्या जरूरत थी. क्या हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में नापसंद बिल को गिराने के तरीके नहीं हैं. बहस-चर्चा सभ भूल गए?

विधानसभा में जब जनता का चुना हुआ विधायक ऐसी हरकत करे और उसके साथ ऐसी हरकत होने लगे तो नेता जनता को क्या संदेश दे रहे हैं? डिबेट की जगह डंडा का हथकंडा अपनाएंगे तो बिहार की जनता पूछेगी जरूर...जनाब ऐसे कैसे?

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