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वीडियो एडिटर- अभिषेक शर्मी और मोहम्मद इरशाद आलद
वीडियो प्रोड्यूसर- फबेहा सैयद और फुरकान फरीदी
बिहार के मुजफ्फरपुर में बुखार ने और सरकारी हेल्थ सिस्टम ने 100 से ज्यादा बच्चों की जान ले ली, लेकिन क्या बिहार के दूसरे अस्पतालों ने इस मौत की कहानी से सबक ली है? इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए क्विंट पहुंचा बिहार के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल. खंडहर में बदलती बिल्डिंग, गंदगी, कूड़े का ढेर, डॉक्टर, नर्स की भारी कमी और जरूरी मशीनों का न होना बिहार के हेल्थकेयर सिस्टम की डरावनी तस्वीर दिखाती है.
क्विंट की टीम जब दरभंगा पहुंची, तो हालात चौंकाने वाले थे. मानो अस्पताल की इमारत कभी भी गिर सकती है. अस्पताल की बिल्डिंग के छत के लोहे बाहर आ चुके हैं, दीवार से पानी टपकता हुआ, गंदगी और कूड़े का ढेर, दिन में ही वॉर्ड के अंदर अंधेरा रहता है.
यही नहीं जब हमारी टीम अस्पताल के अंदर पहुंची, तो और भी भयावह स्थिति थी. अस्पताल के एक वॉर्ड में मरीज जमीन पर लेटी हुई थी और उल्टी कर रही थी. उसे देखने के लिए ना ही नर्स थी, ना ही डॉक्टर. पूछने पर पता चला कि उसे किसी ने दवा तक नहीं दी है. ये हाल सिर्फ एक मरीज का नहीं था, बल्कि ऐसे कई मरीज थे जो जमीन पर पड़े थे. जब इन हालातों के बारे में हमने दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से पूछा तो मामला और भी परेशान करने वाला था. उन्होंने कहा,
जब हमने उनसे पूछा कि क्या आपका अस्पताल चमकी बुखार जैसी बीमारी के इलाज के लिए तैयार है, तो उन्होंने कहा, “हमने ICU में 6 नए बेड लगवाए हैं. फिलहाल ICU में कुल 22 बेड हैं. लेकिन अगर कोई और बड़ी बीमारी आ जाती है तो हम उसके लिए तैयार नहीं हैं.”
जब सर्जरी वॉर्ड के हालात को लेकर क्विंट ने मेडिकल सुपरिटेंडेंट से पूछा तो उन्होंने सरकार और सिस्टम पर दोष मढ़ दिया. उन्होंने कहा,
अपना नाम न छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने बताया कि यहां इंफेकशन से लड़ने के लिए कुछ भी इंतजाम नहीं है. उन्होंने कहा,
सिर्फ बिल्डिंग ही नहीं दवा और खून जांच जैसी चीजों का भी बुरा हाल है. जब क्विंट की टीम मेडिसिन वॉर्ड में पहुंची, तो सरकारी सिस्टम के फेल होने की एक और कहानी सामने आई. अस्पताल के अंदर निजी पैथालॉजी लैब का स्टाफ आकर मरीज का ब्लड सैंपल ले रहा था. पूछने पर पता चला कि डॉक्टर ने जो खून जांच लिखे हैं वो अस्पताल में होते ही नहीं हैं.
दरभंगा से 50 किलोमीटर दूर से अपनी बच्ची को इलाज के लिए लेकर आए सरोज झा बताते हैं कि यहां दवा मिलती है, तो ड्रिप के लिए पानी नहीं, पानी मिल जाता है तो बोला जाता है सीरिंज बाहर से लाइए.
अब सवाल ये उठता है कि बिहार के इस चरमाराते हेल्थकेयर सिस्टम के बीच मरीजों पर हर दिन टूटता है कहर, दोषी कौन?
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