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BPSC निकाला फिर भी बेरोजगार, असिस्टेंट इंजीनियरों का दर्द

2017 में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने 1284 असिस्टेंट इंजीनियर के पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी.

शादाब मोइज़ी
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<div class="paragraphs"><p>2017 में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने 1284 असिस्टेंट इंजीनियर के पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी.</p></div>
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2017 में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने 1284 असिस्टेंट इंजीनियर के पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी.

(फ़ोटो: altered by Quint Hindi)

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"हम इंजीनियर बने, बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) के असिस्टेंस इंजीनियर पोस्ट के लिए टफ एग्जाम भी दिया और निकाला. लेकिन फिर भी चार साल से बेरोजगार हैं."

आप सोच रहे होंगे कि इंजीनियर और ऊपर से सरकारी नौकरी का एग्जाम निकालने के बाद भी बेरोजगार कैसे? दरअसल, ये जो बयान है वो BPSC असिस्टेंट इंजीनियर पद के उम्मीदवार आलोक कुमार का है. आलोक की तरह ही सैकड़ों छात्रों ने साल 2017 में BPSC द्वारा निकाली गई सिविल इंजीनियर पद वैकेंसी की परीक्षा दी थी. प्री, मेंस और इंटरव्यू क्वालिफाई करने के बाद भी इन लोगों को बीपीएससी की तरफ से अबतक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है.

आलोक कहते हैं,

"साल 2016 में ही वैकेंसी आई थी, फिर दोबारा प्रचार करके 2017 में वैकेंसी निकाली गई. प्रोटेस्ट के बाद 2018 में पीटी का एग्जाम हुआ, रिजल्ट आने में वक्त लगा. फिर विरोध प्रदर्शन हुआ तब साल 2019 में मेन्स का एग्जाम हुआ, लेकिन फिर रिजल्ट नहीं आया. विरोध प्रदर्शन हुए तब मेंस का रिजल्ट आया. कोरोना की वजह से इंटरव्यू में वक्त लगा. आखिरकार जुलाई 2021 में फाइनल रिजल्ट आया. हम लोगों ने क्वालिफाई किया लेकिन अब चार महीने बीत चुके हैं लेकिन न डिपार्टमेंट मिला है न ज्वाइनिंग लेटर."

बता दें कि साल 2017 में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने 1284 असिस्टेंट इंजीनियर सिविल प्रतियोगी परीक्षा (विज्ञापन संख्या 02/2017) के पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी. इस बीच कई बार छात्रों ने प्रदर्शन भी किए और पुलिस की लाठियों का शिकार बने.

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पैसे की कमी, परिवार की परेशानी, पढ़ाई के बाद भी बेरोजगारी

BPSC असिस्टेंट इंजीनियर पद के उम्मीदवार कौशल कुमार अपना दर्द बताते हैं हुए कहते हैं कि जब वो छोटे थे तब ही उनके पिता इस दुनिया से चले गए, उनके भाई ने उन्हें पढ़ाया. इंजीनियरिंग कराया. अब जब नौकरी की उम्मीद थी, परिवार की परेशानी कम होती तो हम तो यहां उल्टा कॉम्पीटिशन निकालने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हुई.

मानसिक तनाव से गुजर रहे छात्र

असिस्टेंट इंजीनियर पद की उम्मीदवार वेदिका सिंह बताती हैं कि रिजल्ट की देरी से उन्हें और उनके जैसे कई छात्रों को मानसिक तनाव से गुरजरना पड़ रहा है. वेदिका कहती हैं, "आप मेहनत से पढ़ाई करते हैं, पांच साल तक आप एक एग्जाम के पीछे भागते रहते हैं, होस्टल से लेकर तैयारी में पैसे खर्च होते हैं, उसके बाद भी आप को नौकरी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. आप के पास कोई जवाब नहीं है कि आप की ज्वाइनिंग कब होगी. आप घर में एक कोने में पड़े होते हैं. एक टॉर्चर जैसा है सब कुछ."

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