Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इस ‘होली राजधानी’ में आप बुरा तो मान ही नहीं सकते!

इस ‘होली राजधानी’ में आप बुरा तो मान ही नहीं सकते!

ब्रज की ये होली है सबसे जुदा, राधा कृष्ण की नगरी में महीना भर पहले ही शुरु होता है उत्सव

अभिषेक रंजन
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ब्रज की ये होली है सबसे जुदा
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ब्रज की ये होली है सबसे जुदा
(फोटो: The Quint)

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एंकर: आदित्य कौशल

कैमरामैन: अभय शर्मा, अभिषेक रंजन, त्रिदीप मंडल

वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा

प्रोड्यूसर्स: अभिषेक रंजन, त्रिदीप मंडल

‘राधे राधे’!

आप अगर भारत के ब्रज इलाके में हैं तो एक दूसरे को मिलने पर ऐसे ही बोलेंगे. भगवान कृष्ण यहां खेला करते थे. इस इलाके में वृंदावन, मथुरा, बरसाना और नंदगांव आते हैं. लेकिन यहां कोई कृष्ण-कृष्ण नहीं बोलता, सब राधे-राधे ही बोलते हैं.

ब्रज में राधा-कृष्ण के नाम के बिना तो होली भी तो नहीं होती. यहां सबसे ज्यादा मशहूर है लट्ठमार होली, जहां महिलाएं, पुरुषों को लाठी से मारती हैं और पुरुष एक ढाल से अपने आप को बचाते हैं.

कहा जाता है कि लगभग 5000 साल पहले भगवान कृष्ण ने राधा को छेड़ा था, तो उन्होंने एक लाठी से उन्हें मार दिया था, हालांकि उसके बाद उन्हें खुद बुरा लगा था.

होली से हफ्ता भर पहले ही बरसाना और नंदगांव में होली का उत्सव शुरू हो जाता है. पहले दिन बरसाना की महिलाएं, नंदगांव के पुरुषों को मारती हैं. दूसरे दिन नंदगांव की महिलाएं बरसाना के पुरुषों को मारती हैं.

(फोटो: The Quint)
भगवान कृष्ण के समय में ही लाठीमार होली महिलाओं को सशक्त करने का प्रतीक थी. कहा जाता है कि ढाल बलराम थे, जो लाठीमार होली में भगवान कृष्ण को बचाते थे.
डॉ. देवेंद्र गोस्वामी
(फोटो: The Quint)

कभी न खत्म होने वाला उत्सव

नंदगांव का नंदबाबा मंदिर, होली के दौरान उत्सव मनाने की अहम जगह बन जाता है. यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं, सभी के चेहरे अलग-अलग रंगो से रंगे होते हैं. सभी मिलकर यहां नाचते गाते हैं. होली का उत्सव बसंत पंचमी के ठीक बाद शुरू हो जाता है, जो असल होली से ठीक एक महीना पहले होती है. इसका उत्सव होली से एक हफ्ते पहले अपने चरम पर होता है.

(फोटो: The Quint)

बिना भांग के क्या होली!

‘भांग’ के बिना भी कोई होली है! भांग को आप किसी भी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. चाहे पियें, या पकवानों में मिलाकर खाएं. इसका नशा किसी एल्कोहोल से कहीं ज्यादा होता है.

ब्रज में ही होती है असली होली, ये होली की राजधानी भी है, जिसमें मजा भी है और परंपरा भी, जो चलती आ रही है और चलती जाएगी.

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Published: 01 Mar 2018,09:37 PM IST

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