advertisement
वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
चुनाव के समय अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार चर्चा का विषय रहा. लोगों की नजरें थी कि नई सरकार इसको लेकर पहला कदम क्या उठाने जा रही है. इस दिशा में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती कर पहला सिग्नल दे दिया है. सिग्नल यही है कि सरकार को महंगाई से ज्यादा कम ग्रोथ की चिंता है. आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है. अब यह 5.75 फीसदी हो गया है.
आरबीआई ने साफ कर दिया है कि आगे चलकर भी ये रेट बढ़ेगा नहीं बल्कि जरूरत पड़ने पर घटाया जा सकता है.
इसका सीधा फायदा ये है कि EMI कम होगी. लेकिन पिछली बार जब रेट कटौती हुई थी तो बैंकों ने ब्याज दरों को तुरंत ट्रांसमिट नहीं किया था. इसलिए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ-साफ बैंकों को इसे तेजी से और ज्यादा ट्रांसमिट करने को कहा है. हम मानकर चल सकते हैं कि सरकारी बैंकों में तो ये कटौती जल्दी होगी लेकिन प्राइवेट बैंकों में थोड़ा समय लग सकता है.
एक चीज साथ में ध्यान देनी होगी कि EMI कम होने के साथ ही साथ डिपाॅजिट रेट में भी कमी आ सकती है. डिपाॅजिट रेट से ब्याज की कमाई होती है.
संभव है कि नए लोन लेने वालों को छूट मिल जाएगी लेकिन शायद पुराने लोगों पर ये लागू न हो.
बाजार में लिक्विडिटी क्राइसिस को लेकर इकनाॅमी स्टेकहोल्डर की नजरें आरबीआई पर टिकी थी. ग्रोथ को बढ़ाने के लिए क्रेडिट बढ़ना चाहिए लेकिन इसे लेकर आरबीआई क्या सिग्नल देती है, सब ये जानना चाह रहे थे. इसपर आरबीआई का कहना है कि वो बाजार में लिक्विडिटी की कमी नहीं होने देगी. पिछले दिनों ओपन मार्केट ऑपरेशन करके संकेत भी दे दिए गए हैं.
इसके अलावा एक और बात से बाजार परेशान था. मौजूदा समय में एनबीएफसी क्राइसिस का असर म्यूचुअल फंड पर पड़ रहा है. इसपर भी शक्तिकांत दास ने संकेत दे दिए हैं कि म्यूचुअल फंड को भले हम रेगुलेट नहीं करते लेकिन जो बैंक एनबीएफसी को पैसा देते हैं उन्हें हम रेगुलेट करते हैं. उन बैंकों पर हमारी कड़ी नजर होगी.
एक और अहम बात निकल कर आई है. पिछले साल सर्कुलर आया था जिसके मुताबिक नए एनपीए, खासकर पावर सेक्टर के एनपीए, उसपर बैंकों को सख्ती करने के लिए कहा गया था. लेकिन उस सर्कुलर को टाल दिया गया था. अब आरबीआई वो सर्कुलर कुछ संशोधन के साथ जल्द लेकर आएगी. आने वाले दिनों में एनपीए की समस्या से निजात पाने की दिशा में हम कुछ और बड़ी घोषणाएं देख सकते हैं.
एटीएम चार्ज, ट्रांजैक्शन चार्ज को भी कम करने के संकेत दिए गए हैं.
फिलहाल दुनियाभर की अस्थिर इकनाॅमी के बीच भारत की सारी चिंता ग्रोथ और जाॅब की है. मोदी सरकार ने आते ही दो कैबिनेट कमेटी बनाई है उसका फोकस भी इसी पर है. ताजा फैसले से आरबीआई ने स्थिति साफ कर दी है. हालांकि स्टेकहोल्डर इसे निगेटिव तो नहीं मान रहे, लेकिन उनका उत्साह नहीं बढ़ा है. बाजार में इस वक्त स्टेबिलिटी, लिक्विडिटी की कमी है. अब बाजार और देश को 5 जुलाई को बजट से काफी उम्मीदें हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)