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वीडियो एडिटर: पुर्नेन्दु प्रीतम
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
देखते ही देखते एक और बड़ी कम्पनी जेट एअरवेज हवा हो गयी.पिछले कुछ सालों में कॉर्पोरेट बरबादियों के एक लम्बे सीरियल का ये ताजा एपिसोड है. हम आपको ऐसे लोगों और कम्पनियों की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो कभी लीडर थे लेकिन आज तबाह हो गए हैं. ये वो कॉर्पोरेट ग्रुप या घराने हैं, जिनकी कभी भारतीय अर्थव्यवस्था में तूती बोलती थी. नाम इतने बड़े हैं कि इनके पतन को आप TGIF यानी THE GREAT INDIAN FALL कह सकते हैं.
इनकी तबाही के पीछे तीन तरह के ट्रेंड देखे जा सकते हैं-
कुछ गलत कारोबारी फैसलों और प्योर मिसमैनेजमेंट की गलतियों के कारण तबाह हुए, तो कुछ खराब कॉरपोरेट गवर्नेंस यानी जिनके बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई या रेगुलेटर ने अपना काम ठीक से नहीं किया, कहिए कि गफलत हुई है. तीसरा ट्रेंड है गड़बड़ी का, यानी फ्रॉड हुआ, नियम कानून तोड़े गए.
ये तमाम खबरें अलग-अलग सुर्खियां बनीं और गायब हो गईं. लेकिन पूरी तस्वीर एक साथ देखें तो पिक्चर, डर्टी दिखती है. स्थिति बेहद चौंकाने वाली और चिंताजनक है क्योंकि भारतीय इकनॉमी की रफ्तार की बात बेमानी है, जिसके आइकॉन एक-एक कर फेल हो रहे हैं.
जेट एवरवेज हाल तक देश की टॉप एविएशन कंपनी थी. 119 विमान आसमान में शान से उड़ रहे थे, अब 5 बचे हैं और पैसा नहीं मिला तो जेट पूरी तरह जमीन पर आ जाएगी. कंपनी पर 7.5 हजार करोड़ का कर्ज है. कर्ज देने वाले अब और पैसा देने में हिचक रहे हैं. कर्मचारियों की सैलरी और ईंधन का पैसा भी नहीं बचा है. इसे खड़ा करने वाले नरेश गोयल को चेयरमैन पद और बोर्ड से हटना पड़ा है. नीलामी तय है.
अनिल अंबानी, भारतीय कारोबारी जगत के सबसे चमकते सितारों में से एक थे. भाई मुकेश अंबानी से बंटवारे के वक्त 45 अरब की दौलत मिली थी. लेकिन इन्होंने RCOM से लेकर जिस चीज में हाथ लगाया वही डूब गई. अब करीब 1 लाख करोड़ का कर्ज है. नौबत यहां तक आई कि अगर बड़े भाई ने एरिक्सन को चुकाने के लिए 550 करोड़ न देते तो जेल चले जाते. राफेल डील में नाम आने के बाद आप इन्हें गड़बड़ी वाले ट्रेंड से जोड़ सकते हैं.
एस्सार स्टील 2018 में दिवालिया हो गई. कुल कर्ज है 49 हजार करोड़. आर्सेलर मित्तल ने 42 करोड़ में इसे खरीद लिया है. इसके प्रमोटर रुइया परिवार ने आखिरी वक्त में नीलामी रोकने की कोशिश की, अपना पैसा लगाने की पेशकश की लेकिन देर हो चुकी थी
एस्सेल ग्रुप के लिए देनदारों को 12 हजार करोड़ चुकाना मुश्किल हो गया. खुद ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने खुले खत में अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी. अब कर्ज चुकाने के लिए समूह की सिरमौर कंपनी जी इंटरटेनमेंट में हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रहे हैं.
जेपी इंफ्राटेक की बर्बादी ने 22 हजार से ज्यादा घर खरीदारों को बर्बाद कर रखा है. रियल सेक्टर की ये कंपनी पैसा लगाती गई और प्रोजेक्ट डिलिवर नहीं कर पाई. दिवालिया जेपी को NBCC कब्जे में लेने जा रही है. कंपनी करीब 10 हजार करोड़ का कर्ज नहीं चुका पा रही है. 22,500 परिवारों को उनका घर नहीं मिल पा रहा. यमुना एक्सप्रेस वे का काम भी रुक गया है.
इसकी कहानी तो मदर ऑफ ऑल कोलैप्सेज की कहानी है. कंपनी पर 99 हजार करोड़ का कर्ज है. मनी लॉन्ड्रिंग और ट्रांसपेरेंसी में कमी के आरोप हैं. इस कंपनी को सरकारी प्रोजेक्ट्स परोस कर मिले लेकिन फिर भी डूब गई. एक उदाहरण गुजरात की GIFT सिटी है. इस केस में सरकारी इन्वेस्टर और बोर्ड आंख मूंदे बैठे हुए थे. ILFS के दो पुराने अधिकारी जेल में हैं.
नीरव मोदी के बारे में ज्यादा बताने की जरूरत हैं. खूब हेडलाइन्स बनी हैं. डायमंड कारोबार का हीरा थे, आज लंदन की जेल में हैं. बैंकों का 11 हजार करोड़ लेकर भागे, टैक्स की भी चोरी की. गड़बड़ी की इंतेहा देखिए कि पंजाब नेशनल बैंक के अफसरों से साठगांठ कर फर्जी लेटर ऑफ अंडरस्टैडिंग बनवा डाले. इनके मामा मेहुल चौकसी ने भी यही किया. बैंकों को करीब 5 हजार करोड़ का चूना लगाया. इनकी लिस्टेड कंपनी गीतांजलि जेम्स अब लिक्वेडेट होने वाली है
हाउसिंग लोन देने वाली कंपनी DHFL 93 हजार करोड़ के कर्ज में डूब चुकी है. 31 हजार करोड़ की हेराफेरी का भी आरोप है. कंपनी ने बीेजेपी को 20 करोड़ का चंदा भी दिया. और तब दिया जब कंपनी डूब रही थी
वीडियोकॉन ग्रुप 90 हजार करोड़ लेकर बैठी है. चेयरमैन वेणुगोपाल धूत पर फ्रॉड का केस हो चुका है. आरोप है कि ये ICICI बैंक से कर्ज लेने के लिए 10 फीसदी घूस देते थे. इसी चक्कर में ICICI बैंक की पूर्व एमडी और CEO चंदा कोचर भी फंस चुकी हैं.
कभी दवा कंपनी रैनबैक्सी को चलाने वाले सिंह ब्रदर्स यानी मालविंदर और शिविंदर सिंह को जेल जाने का डर है. इन्हें जापान की कंपनी दाइची सैन्क्यो को 3500 करोड़ चुकाना है जो ये नहीं दे रहे. ये रकम इसलिए चुकानी है क्योंकि जब इन्होंने दाइची को रैनबैक्सी बेची तो छिपा लिया कि अमेरिकी FDA मिलावटी दवा बनाने के लिए जांच कर रही है. दोनों पर फोर्टिस ने भी 400 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगा रखा है.
जैसे गलतियां और गड़बड़ियां ही काफी नहीं थीं. कुछ गफलत में भी बर्बाद हुईं. दवा की सिरमौर कंपनी सन फार्मा. अभी दिसंबर-जनवरी में इसके शेयर अचानक धराशाई हो गए. कभी 10 हजार से शुरू हुई कंपनी पर 2,200 करोड़ का लोन देने में लापरवाही के आरोप हैं. पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में पैसा ले जाने का भी आरोप है. सेबी और मुंबई पुलिस जांच कर रही है.
लेकिन सब डायजेस्ट भी हो गया. सरकारी सेक्टर में PSU बैंक्स और MTNL, BSNL और Air India जैसे दूसरे कॉरपोरेशन की दर्दनाक कहानियां अलग हैं. पॉलिसी की गफलतों के कारण टेलिकॉम, पावर और रियल इस्टेट सेक्टर का भी दर्द छुपा नहीं है. स्टार्ट अप सेक्टर के रास्ते में रुकावटों का भी एक बड़ा किस्सा है. लेकिन नगाड़े के शोर में ये सब कहानियां दफ़न सी पड़ी हैं
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