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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
वोटर ने मोदी सरकार पर दोबारा भरोसा जताया है. नई सरकार के आर्थिक एजेंडे पर सबकी नजर रहेगी. अगले 6 महीने में सरकार को बजट पेश करना होगा. लेकिन चुनाव से ठीक पहले कई अहम मुद्दे, सच्चाइयां थीं जो चुनावी बहस में दब गईं. अब नई सरकार को सत्ता संभालते ही इसे अपने एजेंडे में जल्द से जल्द शामिल करना होगा और इनपर काम करना होगा. इनमें कुछ मुद्दे हैं-
बैंकों के एनपीए संकट पर सरकार ने थोड़ा कंट्रोल कर लिया था लेकिन IL&FS की चूक के बाद नकदी के संकट से जूझ रही एनबीएफसी का संकट सामने आ गया. इंफ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट में पैसे डूब जाने की वजह से 91 हजार करोड़ रुपये का कर्ज डिफाॅल्ट होने की कगार पर आ गया. इसकी वजह से एनबीएफसी की पाइपलाइन बंद हो गई. इससे निपटना होगा.
लिक्विडिटी क्राइसिस से निपटने के लिए भी सरकार को विशेष इंतजाम करना होगा. मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूत करना होगा. भारत के पास एक मौका भी है, वो मौका है अमेरिका-चीन का ट्रेड वाॅर. इन 2 देशों के टकराव के बीच अगर भारत में मैन्यूफैक्चरिंग हब बन जाए तो काफी रोजगार भी पैदा किए जा सकते हैं. नई सरकार को इसपर ध्यान देना होगा.
एक बात पर ध्यान देना होगा कि बीजेपी को वोट देने का मतलब ये नहीं है कि सारी समस्याएं गायब हो गई हैं. कृषि संकट इनमें से एक है. ऐसे में सरकार की प्राथमिकता होगी कि वो किसानों की नाराजगी दूर करे. ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे कृषि राज्यों में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. किसानों की बाजार में भागीदारी बढ़ानी होगी और बिचौलियों को खत्म करना होगा. खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाना होगा.
इसके अलावा लैंड और लेबर मोर्चे पर काम करना होगा, कंस्ट्रक्शन सेक्टर को खोलने की जरूरत होगी. विकास के लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की रफ्तार बढ़ानी होगी. इन सारे काम के लिए सरकार को पैसे जुटाने होंगे. ऐसे में रिजर्व बैंक की पूंजी पर सरकार की नजर होगी. विमल जालान कमिटी की रिपोर्ट का सरकार को बेसब्री से इंतजार रहेगा.
नई सरकार की आर्थिक पहल पर सबकी नजर होगी. ये काफी हद तक इसपर भी निर्भर करता है कि मोदी जी देश का वित्त मंत्री किसे बनाते हैं?
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