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कोरोनावायरस के चलते पूरी दुनिया में एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट आ गया है. सऊदी अरब ने क्रूड के दाम अचानक करीब 35% गिरा दिए, जिसके बाद क्रूड करीब 30$ प्रति बैरल के आसपास आ गया. दुनियाभर में ऑयल प्राइस वॉर शुरू होने के बाद सऊदी अरब ने ये फैसला किया है. दुनियाभर के बाजारों में इस फैसले के बाद असर देखने को मिलने लगा है.
जब पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में संकट का दौर चल रहा है तब निवेशक गोल्ड की तरफ रुख कर रहे हैं. डाओ जोन्स समेत दुनिया भर के बाजार में ब्लड बाथ हो गया है. दुनियाभर की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के सामने अब क्रेडिट का संकट है.
एक ऐसे दौर में जब कोरोनावायरस की वजह से व्यापार पर असर पड़ रहा है, यातायात के रास्ते प्रभावित हुए हैं, सप्लाई चेन बुरी तरीके से प्रभावित हुई है. तो क्या अब दुनियाभर के राजनीतिक और आर्थिक समीकरण बदलने का वक्त आ गया है?
कोरोनावायरस के संकट का आगे क्या होगा किसी को कुछ पता नहीं है. अगर कोरोनावायरस काबू में भी आ जाए तो इसका डर कम नहीं हो रहा है. हर देश खुद को बचाने के रास्ते तलाश रहा है. वहीं इस संकट के बीच हर देश इस बीमारी के बीच अपने लिए विकल्प तलाश रहा है. कैसे वो इस संकट में अपने देश के लिए रास्ता निकाल सकता है.
सबसे बड़ा सवाल है कि क्रूड के दाम में जो कटौती आई है क्या उसका फायदा कंज्यूमर को मिलेगा. मोदी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो पता चलता है कि ये सरकार क्रूड में मिलने वाले फायदे को कंज्यूमर तक नहीं पहुंचाती. वो ड्यूटी बढ़ाकर सरकारी घाटे को पाटने का काम करती है. इस बार भी सरकार ऐसा ही करेगी ऐसी संभावना ज्यादा है. सरकार के डिमांड बढ़ाने और कंज्यूमर के हाथ में पैसा देने की जो संभावना बनी है वो कम हो सकती है. सरकार झुकाव अपना घाटा कम करने और अपने लिए रेवेन्यू जुटाने पर ज्यादा रह सकता है.
कोरोनावायरस पर पूरी दुनिया साथ आएगी ऐसी उम्मीद कम ही लगती है. पूरे कोरोनावायरस के केस में हर देश खुद की तरफ देख रहा है. संरक्षणवाद, राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. इसलिए किसी भी तरह के संगठित अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास की उम्मीद कम ही है. ये बात तय है कि कोरोनावायरस से पूरे विश्व के समीकरण नए सिरे परिभाषित हो सकते हैं.
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Published: 09 Mar 2020,11:13 PM IST