Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Breaking views  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 वित्त मंत्रालय-ED के बीच गुत्‍थम-गुत्था, आखिर ये चल क्या रहा है?

वित्त मंत्रालय-ED के बीच गुत्‍थम-गुत्था, आखिर ये चल क्या रहा है?

सरकार के ही दो विभाग एक-दूसरे के दावे के खिलाफ. कौन किसके साथ क्या खेल कर रहा है, ये समझ में नहीं आ रहा!

संजय पुगलिया
ब्रेकिंग व्यूज
Updated:
सरकार के ही दो विभाग एक-दूसरे के दावे के खिलाफ.
i
सरकार के ही दो विभाग एक-दूसरे के दावे के खिलाफ.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

अगर आप समझते थे कि दिल्ली में पॉलिटिकल और खासकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के मामले में कमांड और कंट्रोल ऑपरेशन बिल्कुल टाइट है, ये अच्छे से चल रहा है, तो ये मिथ 27 जून को सुप्रीम कोर्ट में टूटा है.

अब ये बात सामने आई है कि सरकार के भीतर वित्त मंत्रालय और जांच एजेंसियों, खासकर ईडी के बीच में गुत्थम-गुत्थी हो गई है. इस लड़ाई को आप समझने की कोशिश करेंगे, तो पता नहीं चलेगा कि कौन किसके साथ है.

कुछ तथ्यों को देखिए:

11 जून 2018 को राजेश्वर सिंह अपने बॉस ईडी के डायरेक्टर करनैल सिंह को एक चिट्ठी लिखते हैं. इस धमाकेदार चिट्ठी में राजस्व सचिव हंसमुख अढिया पर गंभीर आरोप लगाए गए. सिंह ने आरोप लगाया कि अढिया घोटालेबाजों का साथ दे रहे हैं. सिस्टम को धोखा देने वालों के खिलाफ खड़ा होने की वजह से उन्हें लगातार धमकाया जा रहा है. उन्होंने लिखा कि उनका प्रमोशन भी रोक दिया गया, ताकि अहम मामलों में जांच को पटरी से उतारा जा सके. अब आप इस आरोप की गंभीरता को सोचकर देखिए. सरकार के एक बेहद वरिष्ठ अधिकारी पर सरकार का ही एक जांच अधिकारी हल्ला बोल देता है. लेकिन सरकार में पत्ता नहीं हिलता. कहीं कोई हलचल नहीं, जैसे कुछ हुआ ही न हो.

इसके बाद 27 जून को सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल के दौरान वित्त मंत्रालय के एक सरकारी वकील की ओर से एक सीलबंद लिफाफा मिलने के बाद ईडी के जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी गई.

ईडी के अफसर राजेश्वर 2जी स्पेक्ट्रम और एयरसेल-मैक्सिस समेत कई मामलों की जांच कर रहे थे. राजेश्वर सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन्हें जांच से इम्यूनिटी दे दी थी. 

वित्त मंत्रालय और ईडी आमने-सामने हैं. सरकार के ही दो विभाग एक-दूसरे के दावे के खिलाफ. वित्त मंत्रालय कह रहा है कि राजेश्वर सिंह के खिलाफ रॉ की एक रिपोर्ट है. इसमें राजेश्वर सिंह के दुबई में रहने वाले ISI एजेंट दानिश से संबंध का जिक्र है.

इसी पॉइंट पर कहानी में सुब्रह्मण्यम स्वामी की एंट्री होती है. एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच जल्द पूरा करने की याचिका देने वाले स्वामी, पूरी मजबूती से राजेश्वर सिंह के पीछे खड़े नजर आते हैं.

स्वामी ने प्रेस कॅान्फ्रेंस की और कहा कि राजेश्वर सिंह पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की जांच कर रहे हैं. वो अच्छा काम कर रहे हैं. सरकार के कुछ लोग इस जांच से उन्हें रोकना चाहते हैं, इसलिए उन्हें हटाने की, बदनाम करने की साजिश की जा रही है.

उन्होंने रेवेन्यू सेक्रेटरी हंसमुख अढिया का नाम लेकर ये आरोप लगाया. ISI एजेंट की थ्योरी को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि दानिश कई बार दिल्ली आ चुका है और कई नेताओं के साथ फोटो हैं. यहां तक कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और सोमनाथ चटर्जी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ भी फोटो हैं.

दिलचस्प ये है कि ईडी भी स्वामी की बातों को सही बताते हुए पूरी तरह अपने अफसर राजेश्वर के बचाव में उतर चुका है. ईडी की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 2016 में राजेश्वर सिंह को दुबई के नंबर से फोन आया और बात भी हुई. एक जिम्मेदार अधिकारी की तरह राजेश्वर सिंह ने तत्काल इसकी जानकारी ईडी के डायरेक्टर को दी और बताया कि दुबई से आए फोन पर ईडी के एक केस के सिलसिले में अहम जानकारी दी गई थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इस पूरे केस में हो क्या रहा है?

कोर्ट कह रहा है कि जांच जल्द से जल्द खत्म हो. जांच अधिकारी कह रहा है कि उसे काम नहीं करने दिया जा रहा. सरकार कह रही है, ये जांच अधिकारी ही देश के लिए ठीक नहीं. उस अधिकारी का विभाग कह रहा है कि वो बेहद काबिल और भरोसेमंद अफसर है.

क्या इस केस में चिदंबरम के साथ कुछ ऐसी मछलियों के करीब भी जाल पहुंचता दिख रहा है, जिनके नाम सामने आने पर सरकारी की भद्द पिट सकती है? वित्त मंत्रालय अपने मातहत विभाग एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को क्यों विश्वास में नहीं ले पा रहा. क्या है जो छिपाया जा रहा है?

ये पूरा घटनाक्रम बताता है कि दिल्ली की राजनीति में कुछ न कुछ गड़बड़ है. नहीं, तो कोई वजह नहीं है कि सरकार पहले एक्शन न लेती और सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और संजय किशन कौल की अदालत में एक एफिडेविट के जरिए उसे कहना पड़ता कि हमारा ऑफिसर गड़बड़ है. जिस ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स एजेंसियों के लगातार इस्तेमाल की खबरें आती हैं, उस बीच ये मामला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब ऑफिसर एक-दूसरे से, नेता अपनी ही पार्टी के दूसरे नेता से लड़ रहे हैं और एक अजीब स्थिति बनी हुई है. ये मामला रुकने वाला नहीं है, आने वाले दिनों में और गंभीर घटनाएं हो सकती हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 29 Jun 2018,08:12 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT