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ब्रेकिंग VIEWS | प्रणब दा के भाषण से बड़ी खबर उनका नागपुर जाना

नागपुर में प्रणब मुखर्जी के भाषण के राजनीतिक मायने क्या हैं?

संजय पुगलिया
ब्रेकिंग व्यूज
Updated:
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में दिए जाने वाले भाषण पर सबकी नजरें थीं
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में दिए जाने वाले भाषण पर सबकी नजरें थीं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के RSS के कार्यक्रम में दिए जाने वाले भाषण पर सबकी नजर थी. राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म थी कि प्रणब RSS को नसीहत देंगे या उसकी तारीफ करेंगे. लेकिन उन्होंने अपने संतुलित भाषण में एक देश के तौर पर भारत की धर्मनरपेक्ष संस्कृति और विरासत की याद दिलाई.

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मेरे मुताबिक प्रणब दा के भाषण से बड़ी खबर उनका नागपुर जाना रहा. एक पुराने कांग्रेसी को अपने कार्यक्रम में बुलाकर संघ एक संदेश देना चाहता था, लेकिन प्रणब देशभक्ति, राष्ट्रवाद और सेक्युलिरज्म जैसे अहम मुद्दों पर अपनी पुरानी राय पर कायम रहे.

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नहीं की संघ की तारीफ

प्रणब मुखर्जी ने संघ के मंच से संघ की कोई तारीफ नहीं की. डॉ. मुखर्जी ने एक तरह से अपने पुराने विचारों को ही सामने रखा. उन्होंने वर्ग विशेष के खिलाफ होने वाली बयानबाजियों पर निशाना साधते हुए साफ कहा-

जुबानी हिंसा भी शारीरिक हिंसा के बराबर खतरनाक है. धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव हमारी राष्ट्रीय पहचान के खिलाफ है.
प्रणब मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति

उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दौरे से पहले प्रणब को चेताया था कि संघ आने वाले दिनों में उनके दौरे का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा. भाषण लोग भूल जाएंगे, लेकिन तस्वीरें रह जाएंगी. तो इस बात पर तो हमें आने वाले दिनों में नजर रखनी होगी. क्योंकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में पैठ बनाने के लिए प्रणब दा से अच्छा चेहरा भला कौन हो सकता है और संघ उनका इस्तेमाल करना क्यों नहीं चाहेगा?

एक वर्ग को आशंका थी कि प्रणब संघ से मंच से संघ की तारीफ करके उसकी विश्वसनियता बढ़ाएंगे, लेकिन प्रणब ने उन आशंकाओं को गलत साबित किया.

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Published: 08 Jun 2018,08:02 AM IST

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