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कैमरा: अतहर रातहर
एडिटर: अभिषेक शर्मा
प्रोड्यूसर: कौशिकी कश्यप
मोटेरा स्टेडियम पहुंचने से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए गुगली फेंक दी है या ये कहिए भारत स्वागत में रेड कार्पेट बिछा रहा है और उन्होंने रेड फ्लैग दिखा दिया.
एक तरह से उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भारत को हाइफनेट(-) कर दिया है. ट्रंप की ये यात्रा उनके चुनाव प्रचार के दौरान हो रही है. भारत का मीडिया फोकस कर रहा है कि ये कार्यक्रम कितना आलीशान होगा. ट्रंप ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि पीएम मोदी ने उन्हें कहा है कि उनके स्वागत के लिए 50-70 लाख लोग होंगे.
मूल बात ये है कि इसे एक बड़े इवेंट के तौर पर देखा जाए या कूटनीतिक संबंधों के कारण, व्यापारिक संबंधों के कारण दो बड़े लोकतंत्र के रिश्तों के गहराने के मौके के तौर पर देखा जाए. हालांकि, अब जो दिख रहा है वो ये है कि ये बड़ा इवेंट होगा, छोटी डील होगी या शायद डील न भी हो.
पिछले दो सालों में भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई. अमेरिका के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) रॉबर्ट लाइटाइजर भारत आने वाले थे लेकिन अंतिम मौके पर ये रद्द हो गया.
इस बीच भारत ने टैरिफ बढ़ाया. अमेरिका ने स्टील और अल्यूमिनियम पर ड्यूटी बढ़ाई. भारत को विकासशील देश मानकर अमेरिका कई चीजों में टैरिफ फ्री इंपोर्ट की इजाजत देता था लेकिन अब हमें कह दिया गया है कि हम विकसित देश हैं और फायदे वापस ले लिए गए हैं. दोनों देशों में प्रोटेक्शनिज्म का माहौल है. टैरिफ घटाने की बजाय बढ़ाया जा रहा है. डेयरी प्रोडक्ट्स, डिफेंस हथियार और हेलिकॉप्टर जैसी चीजों को लेकर संभव है कुछ डील हो भी जाए ताकि ट्रंप जाकर चुनावी प्रचार में कह सकें कि भारत से हम बिजनेस लेकर आए हैं.
एचवन बी वीजा पर भी अमेरिका कोई ढील देने को तैयार नहीं है. ऐसे में गिव एंड टेक(लेन-देन) डील का माहौल नहीं दिख रहा. डेटा लोकलाइजेशन, ई-कॉमर्स और रिटेल, प्राइवेसी, क्रेडिट कार्ड कंपनियों का बिजनेस न बढ़ पाना इन मुद्दों पर अमेरिका भारत से लगातार कह रहा है कि आप अपनी पॉलिसी साफ कीजिए.
कुल मिलाकर मेगा ट्रेड डील पर ट्रंप ने साफ मना कर दिया है.
इस यात्रा को लेकर ट्रंप का पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि वो अमेरिकी जनता से क्या कहते हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को हटाने को लेकर पाकिस्तान इनडायरेक्टली मुद्दे में शामिल है, ये भारत के लिए चिंता की बात है. ऐसे में ट्रंप भारत को कहीं न कहीं आश्वासन देने आएंगे.
यात्रा की चर्चाओं के बीच कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है. अमेरिका जैसा देश इसपर कुछ न बोले ये मौजूदा सरकार के लिए काफी होगा.
बहरहाल, ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि भारत अमेरिका के रिश्ते कहां हैं इस वक्त? क्या ये अटक गए हैं? आगे बढ़ने के रास्ते क्या हैं? अमेरिका चुनाव के बाद हमें इसका जवाब मिल जाएगा. हालांकि ट्रंप ने पहले ही उम्मीदें कम कर दी हैं.
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