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YES बैंक के डूबने का डर बहुत पहले से था, ये रही पूरी कहानी 

YES बैंक के 29 लाख खाताधारकों का पैसा फंसा, जिम्मेदार कौन?

संजय पुगलिया
ब्रेकिंग व्यूज
Updated:
YES BANK संकट पर सरकार और आरबीआई की निगाहें बनी हुई हैं.
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YES BANK संकट पर सरकार और आरबीआई की निगाहें बनी हुई हैं.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

आरबीआई की सिफारिश पर भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे प्राइवेट सेक्टर के बैंक YES BANK पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के बाद बैंक का कोई भी खाताधारक अपने अकाउंट से 50 हजार रुपये से अधिक रकम नहीं निकाल सकता.

सरकार के यह आदेश 5 मार्च 2020 को शाम छह बजे लागू हो गया. ये प्रतिबंध फिलहाल 5 मार्च से 3 अप्रैल तक के लिए है. इस दौरान YES BANK के किसी ग्राहक के कितने भी अकाउंट क्यों न हों वे इस दौरान 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते.

YES BANK एनपीए की समस्या से जूझ रहा है. गुरुवार ( 5 मार्च, 2020) को ब्लूमबर्ग ने खबर दी थी सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई और दूसरे वित्तीय संस्थान मिलकर यस बैंक को इस समस्या से निकालेंगे. सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है.

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लेकिन बड़ा सवाल है कि गलती किसकी है?

जाहिर तौर पर इसके लिए बैंक मैनेजमेंट जिम्मेदार हैं जिनपर नजर नहीं रखी गई, कार्रवाई नहीं की गई. बैंक रेगुलेटर्स ने भी सख्ती नहीं दिखाई. और शेयरहोल्डर्स, इनवेस्टर्स जिन्होंने इसमें पैसा लगाया. बदकिस्मती से इस बैंक की 62% शेयर ओनरशिप नॉन इंस्टिस्यूशनल इन्वेस्टर्स के पास है.

एक्शन हुआ, लेकिन देर से हुआ. हालांकि आप कह सकते हैं कि ठीक एक्शन लिया गया. इससे बेहतर किया जा सकता था. सरकार ये भी नहीं दिखा रही कि वो प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को मदद कर रही है. उनके पास कोई रास्ता नहीं था, तो उन्होंने ये कदम उठाया. अगर ये बैंक फेल होता तो भारत की रेटिंग पर असर पड़ता. हम पहले से ही इकनॉमिक स्लोडाउन से जूझ रहे हैं. इसलिए मजबूरी में ये कदम उठाया गया.

ऐसे में हम सिर्फ कामना कर सकते हैं कि एसबीआई के लेने के बाद इस बैंक पर लोगों का भरोसा जागे. बैंक फिर से प्रोफेशनल , ट्रासपैरेंट तरीके से चलने के रास्ते पर आए.

पॉलिटिक्स भी हो रही है. सरकार ने बचाव के लिए कहा कि ये यूपीए का किया हुआ है. इसपर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने एक डेटा दिया है कि 2017 में इसकी बैलेंसशीट पर कर्ज था 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये का. 2017-18 में पता चला कि एनपीए ज्यादा है. इसका डिस्क्लोजर नहीं किया गया था. 2.40 करोड़ का लोनबुक था.

चिदंबरम का कहना है कि यूपीए के वक्त 50,000 करोड़ का लोन बुक था.

पॉलिटिक्स अपनी जगह है लेकिन सच्चाई ये है कि एनपीए इन्हीं 5 सालों में बना है. बैंकिंग सेक्टर का संकट यहां खत्म हो जाए ऐसा लगता नहीं है. ऐसे में सरकार को पीएसयू सेक्टर की बैंकिंग हो या दूसरे धंधे हों उससे बाहर निकलकर काम करना चाहिए. इसमें जितनी देर होगी उतना ही ये देश की तरक्की, राष्ट्रवाद के खिलाफ होगा.

यस बैंक के इस संकट की पूरी कहानी जानिए ब्रेकिंग व्यूज में.

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Published: 06 Mar 2020,11:58 PM IST

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