advertisement
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद इरशाद
बजट पेश होना वाला है. समाज के हर तबकों को कुछ ना कुछ तोहफे की उम्मीद होगी. कुछ तोहफे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाते है जो ग्रोथ इंजन के लिए सही है. लेकिन कुछ ऐसे तोहफे होते हैं जिनका उद्देश्य गरीबों को मदद पहुंचाना है. हाल के दिनों में पीएम किसान को हम दूसरी कैटेगरी के तोहफे में शामिल कर सकते हैं.
सवाल है कि इस तरह के तोहफों से क्या उनका फायदा होता है जिनको मदद पहुंचाने की कोशिश की जाती है?
2015 के इकॉनोमिक सर्वे में तीसरे चैप्टर को पढ़ें तो इस सवाल का जवाब होगा- नहीं.
सर्वे में जो बातें हैं उसका सार है कि इस तरह के सब्सिडी गरीबी से लड़ाई में किसी भी तरह से कारगर नहीं रहे हैं.
सर्वे में जो जरूरी बातें कही गईं हैं वो कुछ इस तरह के हैं-
ये वो तथ्य हैं जो बताते हैं कि सब्सिडी का फायदा उन्हें नहीं मिलता जिनके नाम पर स्कीम्स शुरू किए जाते हैं. सर्वे में कहा गया है कि सब्सिडी का उल्टा नुकसान ही होता है.
किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले इसके लिए सरकार कुछ अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. ध्यान रहे कि एमएसपी कुछ चुनिंदा कैटेगरी के उपज पर दी जाती है.
एमएसपी और पानी पर मिलने वाली सब्सिडी की वजह से उन खाद्यानों का उत्पादन बढ़ जाता है जिसमें ज्यादा पानी खर्च होता है. ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. इसका असर हम सब पर पड़ता है.
रेलवे में माल ढुलाई के लिए ज्यादा चार्ज किया जाता है ताकि पैसेंजर फेयर को सस्ता रखा जाए. सस्ते फेयर का फायदा गरीबों को कम ही मिलता है, लेकिन ढुलाई महंगा होने की वजह से सारे सामान महंगे हो जाते हैं जिसका असर हम सबपर पड़ता है. ढुलाई महंगी होने की वजह से मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर से सामान महंगे हो जाते हैं जिसका एक्सपोर्ट पर भी असर होता है.
क्या यही वजह है कि लाख कोशिशों के बावजूद देश का मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर लगातार कराह रहा है?
पैसेंजर फेयर को सस्ता रखने की वजह से रेलवे की कमाई फ्लैट रही है. यही वजह है कि रेलवे के विस्तार पर सही खर्च नहीं हो पाता है. ट्रेन में भीड़, स्टेशनों का खास्ताहाल, सेफ्टी स्टैंडर्ड में समझौता- ये सब उसी का नतीजा है. इस सबका हम सबको नुकसान तो हो ही रहा है.
इन तथ्यों को देखकर तो एक ही बात समझ आती है- गरीबों को जिस तरह से सब्सिडी दी जा रही है, उसके तौर-तरीके में भारी बदलाव करने की जरूरत है. फिलहाल जो सिस्टम चल रहा है उससे किसी को फायदा नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि इस बजट में इस दिशा में एक मुकम्मल कदम देखने को मिलेगा.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)