Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बजट स्पेशल: सब्सिडी से फायदा किसका? नुकसान हम सबका

बजट स्पेशल: सब्सिडी से फायदा किसका? नुकसान हम सबका

सर्वे कहते हैं, सब्सिडी गरीबी से लड़ाई में किसी भी तरह से कारगर नहीं रहे हैं. 

मयंक मिश्रा
वीडियो
Updated:
5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी
i
5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम, मोहम्मद इरशाद

बजट पेश होना वाला है. समाज के हर तबकों को कुछ ना कुछ तोहफे की उम्मीद होगी. कुछ तोहफे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाते है जो ग्रोथ इंजन के लिए सही है. लेकिन कुछ ऐसे तोहफे होते हैं जिनका उद्देश्य गरीबों को मदद पहुंचाना है. हाल के दिनों में पीएम किसान को हम दूसरी कैटेगरी के तोहफे में शामिल कर सकते हैं.

पीएम किसान योजना के तहत करीब 14.5 करोड़ किसान परिवार को साल में 6,000 रुपए मिलेंगे. पहले इसका फायदा छोटे किसानों को मिलना था. अब इस स्कीम में हर किसान परिवार को शामिल कर लिया गया है. इस स्कीम पर 87,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

सवाल है कि इस तरह के तोहफों से क्या उनका फायदा होता है जिनको मदद पहुंचाने की कोशिश की जाती है?

2015 के इकॉनोमिक सर्वे में तीसरे चैप्टर को पढ़ें तो इस सवाल का जवाब होगा- नहीं.

सर्वे में जो बातें हैं उसका सार है कि इस तरह के सब्सिडी गरीबी से लड़ाई में किसी भी तरह से कारगर नहीं रहे हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सर्वे में जो जरूरी बातें कही गईं हैं वो कुछ इस तरह के हैं-

  • बिजली की सब्सिडी पर जो खर्च होता है उसका सिर्फ 10% फायदा गरीबों को मिलता है. 27% फायदा तो अमीर ले जाते हैं. सच्चाई है कि गरीबों को बिजली मिलती ही नहीं है और अमीर परिवार काफी ज्यादा बिजली कंज्यूम करते हैं.
  • केरोसिन सब्सिडी का भी यही हाल है. आंकड़े बताते हैं कि 51% केरोसिन का उपयोग गैर-गरीब करते हैं. 15% केरोसिन का इस्तेमाल तो अमीर ही करते हैं.
  • ट्रेन में पैसेंजर किराए को सब्सिडाइज किया जाता है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि एकदम गरीब तबके के लोगों की हिस्सेदारी कुल पैसेंजर में महज 28% ही है.
  • खाद सब्सिडी पर हर साल 70,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का होता है. इसका बड़ा फायदा खाद बनाने वाली कंपनियों को होता है. किसानों को चिल्लर से ही संतोष करना पड़ता है.
  • पूरे सब्सिडी का बड़ा हिस्सा फूड सब्सिडी है. इसका सालाना बिल सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. लेकिन रिसर्च बताते हैं कि इसका बड़ा हिस्स लीक हो जाता है.

ये वो तथ्य हैं जो बताते हैं कि सब्सिडी का फायदा उन्हें नहीं मिलता जिनके नाम पर स्कीम्स शुरू किए जाते हैं. सर्वे में कहा गया है कि सब्सिडी का उल्टा नुकसान ही होता है.

किसानों का ध्यान उन उपजों पर ज्यादा होता है जिसपर एमएसपी मिलती है.

किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले इसके लिए सरकार कुछ अनाजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. ध्यान रहे कि एमएसपी कुछ चुनिंदा कैटेगरी के उपज पर दी जाती है.

रिसर्च बताता है कि इसकी वजह से किसानों का ध्यान उन उपजों पर चली जाती है जिसपर एमएसपी मिलती है. इसकी वजह से गैर-एमएसपी वाले खाद्यानों, जिनमें फल और सब्जी शामिल हैं, के उत्पादन में कमी आती है और उसके दाम बढ़ जाते हैं. इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को ही होता है.

एमएसपी और पानी पर मिलने वाली सब्सिडी की वजह से उन खाद्यानों का उत्पादन बढ़ जाता है जिसमें ज्यादा पानी खर्च होता है. ये पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. इसका असर हम सब पर पड़ता है.

ढुलाई महंगी होने की वजह से मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर से सामान महंगे हो जाते हैं जिसका एक्सपोर्ट पर भी असर होता है.

रेलवे में माल ढुलाई के लिए ज्यादा चार्ज किया जाता है ताकि पैसेंजर फेयर को सस्ता रखा जाए. सस्ते फेयर का फायदा गरीबों को कम ही मिलता है, लेकिन ढुलाई महंगा होने की वजह से सारे सामान महंगे हो जाते हैं जिसका असर हम सबपर पड़ता है. ढुलाई महंगी होने की वजह से मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर से सामान महंगे हो जाते हैं जिसका एक्सपोर्ट पर भी असर होता है.

क्या यही वजह है कि लाख कोशिशों के बावजूद देश का मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर लगातार कराह रहा है?

पैसेंजर फेयर को सस्ता रखने की वजह से रेलवे की कमाई फ्लैट रही है. यही वजह है कि रेलवे के विस्तार पर सही खर्च नहीं हो पाता है. ट्रेन में भीड़, स्टेशनों का खास्ताहाल, सेफ्टी स्टैंडर्ड में समझौता- ये सब उसी का नतीजा है. इस सबका हम सबको नुकसान तो हो ही रहा है.

इन तथ्यों को देखकर तो एक ही बात समझ आती है- गरीबों को जिस तरह से सब्सिडी दी जा रही है, उसके तौर-तरीके में भारी बदलाव करने की जरूरत है. फिलहाल जो सिस्टम चल रहा है उससे किसी को फायदा नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि इस बजट में इस दिशा में एक मुकम्मल कदम देखने को मिलेगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 27 Jun 2019,06:37 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT