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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में बजट 2021 पेश किया. बजट को लेकर पॉजिटिव और निगेटिव ही बातें हो रही हैं, लेकिन सबसे जरूरी है बजट के फोकस और उन बारीकियों को समझना, जिससे हम और आप की जिंदगी पर असर पड़ेगा. इसके लिए क्विंट ने एशिया पैसिफिक स्ट्रेटेजी के सह-प्रमुख और क्रेडिट सुइस के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलकंठ मिश्रा से खास बातचीत की.
नीलकंठ मिश्रा कहते हैं कि यह अहसास कि सरकार खुद अर्थव्यवस्था के विकास में खर्च नहीं कर सकती है और इसलिए हमें निजी उपभोग और निवेश की जरूरत है, ये इस बजट से एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश जाता है.
नीलकंठ मिश्रा कहते हैं कि जब हम बजट के प्रस्ताव तो देखते हैं तो पता चलता है कि सरकार अपनी कमियों को भी जानती है, उनको पता है कि चाहें तो बहुत खर्च कर सकते हैं, लेकिन उसका बाकी की इकनॉमी पर क्या असर होगा, ये समझकर सरकार खर्च कर रही है.
क्या सरकार बिना रेटिंग एजेंसी की चिंता के काम करेगी?
पिछले 7-8 महीनों में हर इकनॉमिस्ट और एजेंसी यही कह रही थी कि सरकार को खर्च करना चाहिए, लेकिन सरकार खर्च नहीं कर रही थी, तो लोगों को लग रहा था कि सरकार को रेटिंग एजेंसी का डर है या हमारी करेंसी कमजोर न हो जाए, लेकिन बजट की घोषणाओं से ये साफ हुआ है कि सरकार को अब डर नहीं है, अभी एक ही मुद्दा होना चाहिए कि कोई भूखमरी से न मरे, कोई कंपनी बैंकरप्ट न हो, इसलिए ग्रोथ पर फोकस न करें, लेकिन अब कोरोना के लॉकडाउन के बाद सरकार ने खर्च पर जोर दिया है.
इस बजट में स्ट्रक्चरल रिफॉर्म नहीं दिख रहा है, इस पर क्या कहेंगे?
प्राइवेटाइजेशन का जिक्र बजट में आना ही बड़ी बात है, पहले बजट में इसका जिक्र नहीं होता है. सरकार बैंक को स्ट्रक्चरल रिफॉर्म इतनी जल्दी नहीं हो सकती लेकिन अब ये दिख रहा है कि सरकार इसपर काम कर रही है. अगर कुछ बैंक प्राइवेट हो जाते हैं, तो फिलहाल इकनॉमी पर कुछ खास असर नहीं पड़ेंगे. लेकिन सिगनल लोगों को मिलता है कि जो चीज लोग कई सालों से मांग रहे थे वो सरकार अब कर रही है. मेरे हिसाब से ये बड़ा रिफॉर्म है.
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