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कैमरा- शादाब मोइजी
वीडियो एडिटर- मो. इरशाद आलम और संदीप सुमन
कॉन्सेप्ट/प्रोड्यूसर- प्रबुद्ध जैन
होली के मौके पर हुल्लड़ की भी पुरानी परंपरा है और उस हुल्लड़ में रंगों की बौछार के बीच काम की बात कह देने की भी. वो भी ‘बुरा न मानो होली है’ के माहौल के बीच. बीते कुछ महीनों में देश में घटी कुछ बड़ी घटनाओं पर क्विंट हिंदी ने की है कुछ ठिठोली. जिसमें छिपी है, हंसी की फुहार और व्यंग्य की बौछार.
नीरव-मेहुल दोऊ खड़े काके लागूं पायं
बलिहारी PNB आपने, बैंक दी डुबाय
बैंक दी डुबाय, अब काहे पछताए
चिट्ठी-चिट्ठी खेल लो, नीरव हाथ न आए
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थप्पड़-थप्पड़ बात चली है, पता चला है
दिल्ली में इक राज खुला है, राज खुला है
दो थप्पड़ की गूंज से नेताजी पहुंचे हैं जेल
इंसान का इंसान से अब कैसे होगा मेल
अंखियन कजरा डार के, मंद-मंद मुस्काए
रहिमन धागा प्रिया का, ना खींचो हद हो जाए
चैनल, सोशल मीडिया, अखबार सब बौराए
वायरल-वायरल बोलि के बीमारी फैलाए
सबको गले लगाना तुम्हरे कल्चर की है आदत
फिर ट्रूडो को गले लगाने में क्यों आई आफत
कहे कनैड्डा वाला मीडिया,होके जरा उदास
सबको चने खिलाते हमें ना डाली घास
लिखते-लिखते लव हो जाए
लव हो जाए भारी
कलम दिखा, कंगाल कर गए
कनपुर वाले कोठारी
मोदी-राहुल, राहुल-मोदी, सोचकर वोटर चकराए
इक-दूजे पर वार करें, दें घुड़की और दौड़ाएं
अब तो तय हो गया, 19 का रण होगा प्रचंड
जनता ताला खोलेगी, नेता जितना करें घमंड
वो बैट घुमा के ले गया छोरी बॉलीवुड वाली
चैनल अब्दुल्ला बन गए, ज्यों शादी हो घर वाली
अब पहली होली आई, होगी कवरेज छप्परफाड़
टीवी पर ‘शर्मा’ कर दिखाना, हो न छेड़छाड़
चारा खाए बरस हुए सोचा अब क्या ऐसा होगा
जब जेल पहुंच गए, तब सोचा अब कैसा-कैसा होगा
बेटन को भूत-प्रेत लग गए, पॉलिटिक्स घबराई
नीतीश-मोदी पर बरसा-बरसी, कछु काम न आई
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(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
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