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बिहार की ‘कुर्ताफाड़ होली’ के बारे में सुना है आपने?

होली खेलने के तौर-तरीके अमूमन एक जैसे ही होते हैं, लेकिन बिहार की ‘कुर्ताफाड़ होली’ अपने-आप में बेहद खास है.

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वैसे तो होली आने के पहले से ही हर किसी का मन होलियाने लगता है, लेकिन होली के दिन रंग-गुलाल 'खेलने' का उन्‍माद चरम पर होता है. ज्‍यादातर जगहों पर होली के तौर-तरीकों में थोड़ा अंतर पाया जाता है. बिहार की होली की बात भी कुछ जुदा है. 'कुर्ताफाड़' होली वाला तत्‍व इसे बेहद खास बना देता है.

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बिहार की होली की खास-खास बातों पर डालिए एक नजर:

शहरों की होली की खासियत

  • सुबह-सुबह पक्‍के रंगों से होली खेली जाती है
  • धूल-मिट्टी का इस्‍तेमाल इच्‍छा या उपलब्‍धता के आधार पर
  • आम तौर पर परिचितों को ही रंग लगाए जाते हैं
  • अनजान राहगीरों को बख्‍शने का चलन, पर इसकी गारंटी नहीं
  • 'कुर्ताफाड़' होली सिर्फ शाम ढलने तक ही
  • नए कपड़े फाड़ने पर रोक, कपड़े बदलकर आने का पूरा टाइम दिया जाता है
होली खेलने के तौर-तरीके अमूमन एक जैसे ही होते हैं, लेकिन बिहार की ‘कुर्ताफाड़ होली’ अपने-आप में बेहद खास है.
परिचित महिलाओं को लिमिट में रहकर अबीर लगाए जा सकते हैं
(फोटो: iStock)
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'कुर्ताफाड़' होली के नियम और शर्तें

  • आम तौर पर ऐसी होली युवकों के बीच ही होती है
  • ग्रुप के लोग आपस में ही एक-दूसरे के कुर्ते फाड़ते हैं
  • कुर्ता फाड़ने के लिए किसी की इजाजत नहीं लेनी होती, लेकिन ये होता है मूड देखकर
  • ज्‍यादातर लोग बुरा नहीं मानता, क्‍योंकि यही 'चलन में' होता है
  • कुर्ता या शर्ट फटने की आशंका से लोग सुबह पुराने कपड़ों में ही निकलते हैं
  • कुर्ता फाड़ते वक्‍त सामान्‍य शिष्‍टाचार का भी खयाल रखा जाता
  • फटे कपड़ों में टोली बनाकर गली-सड़कों पर घूमने से होता है फकीरी और मस्‍ती का अहसास
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शाम के वक्‍त क्‍या खास

  • शाम को एक-दूसरे को अबीर लगाने का चलन
  • बड़ों के पैर पर अबीर डालकर आशीर्वाद लिए जाते हैं
  • बच्‍चों और समान उम्र के लोगों को चेहरे पर अबीर लगाए जाते हैं
  • परिचित महिलाओं को लिमिट में रहकर अबीर लगाए जा सकते हैं
होली खेलने के तौर-तरीके अमूमन एक जैसे ही होते हैं, लेकिन बिहार की ‘कुर्ताफाड़ होली’ अपने-आप में बेहद खास है.
अश्‍लील भोजपुरी गीतों पर इस दिन कोई रोक नहीं होती
(फोटो: iStock)

गांवों की होली की खासियत

  • गांवों में ज्‍यादातर सुबह से लेकर दोपहर तक धूल-मिट्टी, गोबर आदि एक-दूसरे लगाए जाते हैं
  • दोपहर में स्‍नान के बाद भी रंग और अबीर साथ-साथ लगाए जाते हैं
  • नए कपड़ों पर भी पक्‍के रंग होली खेलने का चलन
  • फगुआ यानी होली के परंपरागत गानों की धूम
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गाने-बजाने में क्‍या-क्‍या

  • होली खेलने निकली टोलियों में ढोल-झाल पर गीत-संगीत
  • जोगीरा सारारारा से लेकर रंग बरसे भीगे तक... सब कुछ
  • भक्‍त‍िभाव वाले गीतों में:
  • अवध में राम खेले होली
  • होली खेले रघुबीरा
  • अश्‍लील भोजपुरी गीतों पर इस दिन कोई रोक नहीं
  • अश्‍लील गीतों के नमूने:
  • चल गे छोरी गंगा नहाए
  • होली में बुढ़वो देवर लागे
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होली खेलने के तौर-तरीके अमूमन एक जैसे ही होते हैं, लेकिन बिहार की ‘कुर्ताफाड़ होली’ अपने-आप में बेहद खास है.
अमूमन दोपहर में स्‍नान के बाद भी रंग और अबीर साथ-साथ लगाए जाते हैं
(फोटो: iStock)

खाने में क्‍या-क्‍या खास

  • होलिका दहन की रात में बने चावल-कढ़ी आदि होली के सुबह भी खाने का चलन
  • मान्‍यता है कि ये खाने से सालोंभर मन-मिजाज में तरावट बनी रहती है
  • सुबह से लेकर रात तक पूआ-पूड़ी, दहीबड़े, छोले आदि व्‍यंजन
  • दहीबड़े पर इमली की चटनी के साथ काले नमक का विशेष इस्‍तेमाल

पीने में क्‍या-क्‍या

  • कुछ जगहों में भांग से बनी ठंढई की ज्‍यादा डिमांड
  • चाय-कॉफी, कोल्‍डड्रिंक, ठंडा पानी, और क्‍या...
  • वैधानिक चेतावनी: बिहार में शराब पूरी तरह बैन है
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