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ये जो इंडिया है ना...यहां हमें कनाडा (Canada) में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के ‘जश्न’ की निंदा करनी ही चाहिए. उसी तरह जब भारत में महात्मा गांधी की हत्या का जश्न मनाया जाता है, गांधी के हत्यारे गोडसे (Nathuram Godse) की सराहना होती है. हमें उसकी भी निंदा करनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होता नहीं है.
4 जून 2023 को कनाडा के ओंटारियो की सड़कों पर एक झांकी निकाली गई, जिसमें इंदिरा गांधी को गोलियों से छलनी होते दिखाया गया. यह सरासर गलत है, अभद्र है.
भारत में हिंदू महासभा के सीनियर मेंबर महात्मा गांधी के पुतले पर गोली चलाते हैं, गांधी की हत्या को फिर से प्रदर्शित करते हैं. यह भी उतना ही गलत और अस्वीकार है. कुछ लोगों का तर्क है कि, कनाडा में जो हुआ उसमें खालिस्तानी समर्थकों का हाथ है उनको टारगेट करने का मतलब होगा उनके काम को ऑक्सीजन देना. उन्हें अटेंशन देना, जिसके हकदार वे नहीं हैं.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा में चरणपंथियों को जगह न देने की अपील की है लेकिन फिर हम भारत में गांधी की हत्या का जश्न मनाने वालों को जगह क्यों दे रहें? पूजा शकुन के खिलाफ FIR दर्ज तो की गई लेकिन गिरफ्तारी के 10 दिन के अंदर ही उसे जमानत भी मिल गई. हिंदू महासभा का ये अकेला अपराध नहीं है.
2017: हिंदू महासभा ने अपने ग्वालियर ऑफिस को गोडसे मंदिर में बदलने की कोशिश की गई.
2021: हिंदू महासभा ने कहा कि, अंबाला जेल की मिट्टी से गोडसे की मूर्ति बनाएंगे जहां 1949 में गोडसे को फांसी दी गई थी.
2022: कालीचरण महाराज को 'गोडसे-आप्टे भारत रत्न' दिया गया. कालीचरण गिरफ्तार भी हुआ था क्योंकि उसने कहा था कि, “मैं गोडसे को सलाम करता हूं कि उसने गांधी को मारा”
2022: मेरठ का नाम बदलकर ‘नाथूराम गोडसे नगर’ करने का वादा किया गया.
8 जून 2023 को विदेश मंत्री एस जयशंकर का इशारा सही है कि, कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को मुख्यधारा के कुछ नेता समर्थन देते हैं. यही उन्हें खतरनाक बनाता है. खालिस्तान समर्थक तत्वों का फायदा चुनाव में मिल सकता है.
हिंदू महासभा की चुनावी अहमियत उतनी नहीं है, लेकिन कुछ बीजेपी नेता हिंदू महासभा की भावनाओं को दोहराते हैं. जैसे बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, उत्तराखंड के पूर्व CM त्रिवेंद्र रावत.
वीडी सावरकर, बीएस मुंजे, केबी हेडगेवार, एमएस गोलवलकर भी एक जैसी तीखी मुस्लिम विरोधी बयानबाजी करते हैं. कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन एक ऐसा ‘बटन’ हैं जिन्हें चुनाव में “स्विच ऑन’ किया जाता है. गोडसे के कुछ समर्थक उन्हें देशभक्त बताते हैं और कहते हैं कि गांधी को मारकर गोडसे ने ‘देशभक्ति से भरा काम किया’. इसी तरह कुछ इंदिरा गांधी की हत्या को सही ठहराते हैं. सच ये है कि दोनों सोची-समझी हत्या थी और कुछ नहीं.
ये जो इंडिया है ना... यहां हमें कनाडा से सख्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए लेकिन साथ ही देश के अंदर गांधी की हत्या का जश्न मनाने वालों पर भी उतना ही कठोर होना चाहिए.
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