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छत्तीसगढ़ चुनाव में कांग्रेस की जीत के 'मैन ऑफ द मैच' रहे भूपेश बघेल अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वो पेशे से किसान हैं, लेकिन इतने साल राजनीति में बिताने के बाद भी क्या वो खेती-किसानी से जुड़े रह पाते हैं? इस सवाल के जवाब में क्विंट के खास कार्यक्रम राजपथ में भूपेश बघेल कहते हैं कि वो पहले भी किसान थे और अब भी उनका पेशा तो खेती-किसानी ही है.
जवाब में वो प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते भी नजर आए. भूपेश बघेल को संदेह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी चाय बेची भी या नहीं. उनका कहना है कि वो अपनी खेती वाली जमीन दिखा सकते हैं, ट्रैक्टर चलाकर दिखा सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की वो केतली तो किसी ने नहीं देखी, जिसमें वो लोगों को चाय पिलाया करते थे.
अपने किसान होने के दावे को और मजबूती देते हुए बघेल कहते हैं, ''मेरे साथ तो ऐसा है, मैं हर साल पत्रकारों को अपनी बाड़ी ले जाता हूं, उन्हें नए साल में पार्टी देता हूं. इससे पहले हर साल जो रायपुर के पत्रकार हैं, वो मेरे खेत में जाते थे, वहां दिनभर रहकर भोजन भी करते थे और सब्जियां भी लाते थे.''
भूपेश बघेल कहते हैं कि किसानों के मुद्दे सरकार की प्राथमिकता हैं. किसान कर्जमाफी के अलावा सरकार के पास कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनसे छत्तीसगढ़ को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल बनाने की कोशिश है.
क्या कर्जमाफी सिर्फ फौरी समाधान है, ऐसे सवाल उठ रहे हैं. इन सवालों पर भूपेश बघेल कहते हैं कि ये बात सही है कि ये स्थाई हल नहीं है. उन्होंने कहा कि इस देश में जब आप 15 बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकते हैं, तो आप किसानों के कर्ज क्यों माफ नहीं कर सकते हैं.
पूरा इंटरव्यू देखें: ‘राजपथ’ में बोले भूपेश बघेल- सवर्ण आरक्षण भी एक तरह की जुमलेबाजी
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