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कोरोनावायरस: देश का सबसे बड़ा क्वॉरन्टीन सेंटर कैसे कर रहा है काम

दिल्ली में कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों के लिए बने देश के पहले और सबसे बड़े क्वॉरन्टीन सेंटर के इंचार्ज से बातचीत

पूनम अग्रवाल
वीडियो
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देशभर में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
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देशभर में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
(फोटो: क्विंट)

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास, प्रशांत चौहान

दिल्ली के छावला में कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों के लिए बने देश के पहले और सबसे बड़े क्वॉरन्टीन सेंटर के इंचार्ज और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एपी जोशी से क्विंट ने खास बातचीत की.

छावला में 1,000 बेड वाला क्वॉरन्टीन 30 जनवरी से शुरू किया गया था. डॉ. एपी जोशी ने हमारे साथ अपना अनुभव साझा किया और बताया कि महामारी के समय देश का सबसे बड़ा क्वॉरन्टीन सेंटर कैसे कर रहा है काम.

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“फिलहाल, मेरा परिवार मेरे साथ नहीं है. वे मेरे होमटाउन में हैं. लेकिन हां, वे बहुत चिंतित हैं. मैं यहां पहले दिन से काम कर रहा हूं. मैं 30 जनवरी से इस जगह का प्रभारी हूं. मेरे साथ ही ITBP के 2-3 डॉक्टरों को छोड़कर बाकी सभी डॉक्टर तबसे लगातार काम कर रहे हैं. मैंने होली में घर जाने का प्लान किया था. घर वालों की प्लानिंग थी. मेरे पिता की उम्र करीब 82 साल है. वो भी चिंतित रहते थे.अब मेरी प्लानिंग है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह में घर जाऊंगा, अगर छुट्टी मिल गई. घर जाने से पहले खुद को क्वॉरन्टीन करूंगा”
डॉ. एपी जोशी
इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. एपी जोशी (फोटो: डॉ. एपी जोशी)

डॉ. जोशी ने बताया कि ज्यादातर मेडिकल स्टाफ सेंटर पर ही रहते हैं और रोजाना घर नहीं जाते.

क्वॉरन्टीन सेंटर के डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ(फोटो: डॉ. एपी जोशी)

क्वॉरन्टीन के दौरान मेडिकल स्टाफ द्वारा बरते जाने वाले एहतियात के बारे में उन्होंने बताया-

“हमारे पास पीपी होता है.पर्सनल प्रोडेक्टिव इक्विपमेंट, ये पूरे शरीर को कवर करता है. आंख से लेकर अंगूठे तक, ये सबकुछ कवर करता है. हमारे लोग इसके साथ ही काम करते हैं. हमारे स्टाफ में- डॉक्टर, मेडिकल केयर से लेकर सफाईकर्मी तक होते हैं. कभी-कभी वो कैजुअल हो जाते हैं, कभी ओवर कॉन्फिडेंट कि सब ठीक चल रहा है. सुबह-शाम हम अपने स्टाफ को समझाते रहते हैं और मोटिवेटेड भी रखते हैं. “
डॉ. एपी जोशी

संदिग्ध कोरोनावायरस मरीजों की जांच के दौरान प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाता है.

“एक बार जब जांच के लिए कोई जाता है तो उसकी भी एक प्रक्रिया होती है. जिस रास्ते से वो जाता है उसी रास्ते से वापस नहीं लाया जाता है. उसके लिए रूट अलग होता है. जिस रूट से उसे लेकर जाते हैं, वो सेफ और हेल्दी रूट होता है. और जहां से हम निकल रहे हैं वो अनहेल्दी रूट हो जाता है. क्योंकि वहां हम पीपी पहनकर आ रहे होते हैं जो बाहर से भी इंफेक्टेड हो सकता है. वहां 2 पॉइंट होते हैं. एग्जिट पॉइंट पर बायोमेडिकल वेस्टेज के बिन होते हैं. एक सोडियम हाइपोक्लोराइड सॉल्यूशन होता है जिससे उसे सैनिटाइज किया जाता है, साफ-सफाई के बाद हम बाहर निकलते हैं.” 
डॉ. एपी जोशी

मरीजों को डिस्चार्ज करने के बाद 14 दिनों के सेल्फ-क्वॉरन्टीन की सलाह

ITBP कैंप में 14 दिन के क्वॉरन्टीन के बाद जब मरीज कोरोनावायरस टेस्ट में निगेटिव पाया जाता है तो उसे घर पर 14 दिनों के सेल्फ -क्वॉरन्टीन की सलाह दी जाती है.

“सर्विलांस ऑफिसर 24 घंटे मरीजों के साथ नहीं रहते लेकिन डेली बेसिस पर हाल-चाल पूछा जाता है. जब हम मरीजों को क्वॉरन्टीन से छोड़ते हैं तो उनके लिए अलग से एडवाइजरी देते हैं जैसे वो अगले 14 दिन तक किसी से मिलेंगे नहीं, घर के बाकी लोगों से अलग रहेंगे. अगर हल्का सा भी बुखार हो तो दिए गए नंबर पर कॉन्टैक्ट करेंगे.”
डॉ. एपी जोशी

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Published: 19 Mar 2020,05:18 PM IST

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