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कोरोनावायरस एक अजीब बीमारी है. ये शुरू हुई अमीरों से जो विदेश गए, वहां के लोगों से संपर्क में रहे और इसका कहर ज्यादा बरपा गरीबों पर. चलती रही जिंदगी में आज हमारा फोकस है दिहाड़ी कामगारों, मजदूरों पर.
बेंगलुरु की एक ट्रेड यूनियन AICCTU ने 24 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के दिहाड़ी मजदूरों के साथ क्या हो रहा है?
रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 70% लोगों की कमाई पर असर पड़ा है और ये रिपोर्ट 22 तारीख से पहले की है, जब पाबंदियां कम थी.
हाल आज ये है कि लोगों को नौकरियों से बाहर निकाला जा रहा है, पेमेंट नहीं मिल रही है. कमाई कम हो गया है, खर्चा बढ़ गया है. क्योंकि चीजें महंगी हो गई है. 30% के करीब लोगों के पास राशन कार्ड भी नहीं है.
दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में बाहर से आए, माइग्रेटेड मजदूरों की हालत हमने देखी. ये बाहर से आए हैं, अपने गांव बिहार-यूपी जहां भी है, वहां वापस जाना चाहते हैं. लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं. उनका बकाया पेमेंट उन्हें नहीं मिला है. जो लोग निकल चुके हैं, उनमें से बड़ी संख्या में मजदूर रास्ते में अटके हुए हैं. हमारे पास रिपोर्ट आ रही है, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, पटना में भी ऐसी स्थिति है. कोई उन्हें उनके गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था करने वाला नहीं है. कुछ मजदूर तो पैदल चल रहे हैं क्योंकि उनके पास कोई चारा नहीं है.
24 मार्च को संतोष गंगवार ने सभी राज्य सरकारों को कहा है कि निर्माण फंड से वो मजदूरों को पैसा दें. ये बहुत अच्छी बात है.
5 और सुझाव हैं जो अपनाए जा सकते हैं.
ताकि चलती रहे जिंदगी.
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